अध्यात्म,
प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा आज 01 जुलाई शुक्रवार से शुरु हो रही है। यह 01 यात्रा पूरे 9 दिन तक चलती है, इस साल यह यात्रा आज से प्रारंभ होकर 12 जुलाई तक चलेगी। इस भव्य यात्रा को देखने के लिए देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालू आज के दिन पुरी पहुंचते हैं. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ तीन भव्य रथों में सवार होकर निकलते हैं। इन तीन लकड़ी के रथों में इसमें पहला रथ भगवान जगन्नाथ का, दूसरा भाई बलराम और तीसरा बहन सुभद्रा का होता है।
#WATCH ओडिशा: पुरी में जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ रथयात्रा के लिए तीन नवनिर्मित रथ तैयार किए गए हैं। pic.twitter.com/OsdM94xF4L
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 30, 2022
कब और क्यों होती है जगन्नाथ रथ यात्रा
हिंदू मान्यता के अनुसार यह यात्रा भगवान कृष्ण के जीवन में उनके भाई और बहन के महत्व को बताने वाली है। ये तीनों भाई बहन हर साल 7 दिन के लिए एक साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से होता है। यह यात्रा कुल 09 दिन की होती है, जिसमें 7 दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में रहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुंडिचा मंदिर उनकी मौसी का घर है. सैकड़ों सालों से परंपरा को निभाते हुए रथ यात्रा के पहले दिन तीनों रथों को गुंडिया मंदिर ले जाया जाता है। इन रथों को मोटे रस्सों से खींचा जाता है।
ବଡ଼ ଦାଣ୍ଡରେ ମହାପ୍ରଭୁଙ୍କ ରଥ ଟଣା ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି ଓ ତିନି ରଥ ଶ୍ରୀ ଗୁଣ୍ଡିଚା ମନ୍ଦିର ଅଭିମୁଖେ ଆଗେଇ ଚାଲିଛନ୍ତି।#JaiJagannatha#RathaJatra2022 pic.twitter.com/skgbPzP5xi
— Shree Jagannatha Temple Office, Puri (@SJTA_Puri) July 1, 2022
दोपहर में होगी जगन्नाथ रथ यात्रा 2022 की पहली रस्म
बता दें कि तीनों रथों के अलग-अलग नाम हैं, जिनमें भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष, बलराम के रथ को तालध्वज और सुभद्रा जी के रथ को दर्पदलन कहा जाता है। आज दोपहर में इन तीनों रथों की निकासी से पहले मंदिर के पुजारी ‘छेरा पहरा’ की रस्म करेंगे। इसके बाद इन विशाल रथों पर लकड़ी के घोड़ों को लगाया जाएगा. उसी दौरान इन रथों के सारथी भी स्थापित होंगे। इसके बाद भगवान की यात्रा का शुभारंभ होगा। इसके बाद भक्त 3 किलोमीटर तक इन रथों को रस्सों से खींचकर ले जाएंगे।
सोने के झाड़ू से होती है रास्ते की सफाई
आपको बता दें कि रथ यात्रा के रथों के निर्माण में लोहे या किसी अन्य धातू का उपयोग वर्जित है, इसलिए बिना एक भी कील के ये रथ तैयार किए जाते हैं। वहीं भगवान जब रथ यात्रा के लिए निकलते हैं तो पूरे मार्ग को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है।
#WATCH ओडिशा: पुरी में सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने जगन्नाथ रथयात्रा को लेकर रेत से 125 रथ बनाए हैं, उन्होंने जगन्नाथ की मूर्ति भी बनाई है। (30.06) pic.twitter.com/ZpBmH1rGFZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 30, 2022
9 जुलाई को होगी वापसी
गुंडीचा मंदिर से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा 09 जुलाई को निकलेंगे, उस दिन ही वापसी यात्रा शुरु होगी. जिसके बाद 12 जुलाई तक पूरा की विधियां चलेंगीं और भगवान जगन्नाथ को फिर से उनके सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा।