आदि, मध्य और अंत सब सब कुछ परमात्मा ही है – गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी

Geeta Gyan Amrit Varsha
Geeta Gyan Amrit Varsha

रायपुर ; 20 नवंबर; हिन्द मित्र  । Geeta Gyan Amrit Varsha :  अद्वितीय आध्यात्मिक के दूसरे दिवस में गीता ज्ञान अमृत वर्षा की कथा में परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) कथा में भगवान के विराट स्वरूप की कथा बताएं.

गुरुजी बताएं कि परमात्मा हम सबके हृदय में निवास करते हैं और जब अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से या पूछ देते हैं कि आप कौन हो सबसे पहले आप अपने बारे में बताइए इस पर भगवान कृष्ण कहते हैं की मैं समस्त जीवों के हृदय में स्थित परमात्मा हूं,आदि ,मध्य और अंत सब कुछ मैं ही हूं अर्थात प्रारंभ जीवन और अंत में परमात्मा ही है।

Geeta Gyan Amrit Varsha : सब कुछ मैं ही हूं

सूर्य की भव्यता, दिव्यता में मैं हूं ,चतुराई में मैं हूं , जुआ में छल भी मैं हूं, वासना ,विषय, प्रकृति सब कुछ मैं ही हूं ।भगवान में विष्णु मै ही हूं ,शीतल और अग्नि में मैं ही हूं सूर्य और चंद्रमा दोनों मेरे नेत्र हैं तेज और शीतल दोनों मेरी ही दृष्टि है और मेरी तीसरी दृष्टि भी है जो खुलती है तो सब भस्म हो जाता है।

वेदों में सामवेद में ही हूं वेद.. अर्थात जानना ,वेद व्यास.. अर्थात जानकर बोलने वाला । सामवेद में गाकर मंत्रो को सुनते हैं जिसमें विभूति मंत्र और गायक को महत्व दिया गया । भगवान की कथा गाने की चीज है मनुष्य कथा को छोड़कर व्यथा गाते हैं संगीत ..संगीत के सात स्वर होते हैं *साकार से निराकार तक जो यात्रा करें वही संगीत है ।

गायन से परमात्मा में पहुंचना । आगे भगवान कृष्ण कहते है कि मैं ही मन हूं, श्रद्धा, बुद्धि ,ज्ञान हृदय सब मैं ही हूं। सब भगवान को प्राप्त करने की साधन है दिखाई नहीं देते परंतु सब है भक्ति से योग करना ज्ञान भक्ति के माध्यम से हम परमात्मा तक पहुंचते हैं । ज्ञान से मैं जाना जाता हूं ज्ञान के माध्यम से परमात्मा को जान सकते हैं ।

Geeta Gyan Amrit Varsha : प्रकृति में सब जगह परमात्मा की उपस्थिति बताई गई

संन्यास की साधना भी मैं हूं ,ग्यारह प्रकार के रूद्र जो होते हैं उन सब में महान रुद्र है, शिव भी मैं ही हूं भगवान कहते हैं कि मैं हूं कुबेर हूं मैं ही अग्नि हूं और मैं ही मेरी पर्वत हूं सभी पर्वतों में श्रेष्ठ सुमेरु पर्वत जो माला के ऊपर भाग में होता है सुमेरू पर्वत को भगवान का मस्तक बताया गया। सब जगह परमात्मा की उपस्थिति बताई गई प्रकृति में जो सबसे सर्वश्रेष्ठ है उन सब में अपने को बताए।, फूल में खुशबू भी मैं ही हूं।

भगवान सरल है, सृष्टि के समस्त पदार्थ में जो श्रेष्ठ है सब में अपने को बताए सबका संरक्षण करने की बात बताए ,समस्त प्रवृत्तियों को समाप्त करके संतुलन में रहने की बात बताई गई ।

मार्गशीर्ष अर्थात सभी मार्गों में सर्वश्रेष्ठ मार्ग….

Geeta Gyan Amrit Varsha : मार्गशीर्ष एक अगहन का महीना और दूसरा भगवान कृष्ण कहते हैं कि ज्ञान, भक्ति, कर्म, और पूजा-पाठ जप तक तीर्थ जितने भी परमात्मा तक पहुंचाने का मार्ग है उन सब मार्ग में सर्वश्रेष्ठ मार्ग मैं ही हूं महीना में मैं मार्गशीर्ष हूं। भगवान कृष्ण ने बताया कि मैं नदियों में गंगा हूं जो सबको पवित्र कर देती है महीना में मार्गशीर्ष हूं मार्गशीर्ष अर्थात सभी मार्गों में सर्वश्रेष्ठ मार्ग भी मैं ही हूं।

मार्गशीर्ष में समस्त जीव जंतु को अन्न की प्राप्ति होती है जो किसान खेत में बीज डाले रहते हैं इस समय फसल की कटाई होती है मैं ही साधन हूं मैं ही साध्य हूं समस्त मानव भ्रमित में रहते हैं भ्रम में रहते हैं भगवान के स्वरूप को नहीं पहचान पाते हैं इसलिए भगवान पास रहते हैं उसके बाद उसकी जान नहीं पाते हैं।

Geeta Gyan Amrit Varsha : कथा में आज बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे। कथा आयोजनकर्ता श्रीमती कविता चिंतामणि कश्यप ने बताया कि कथा कल दोपहर 2:00 बजे से पुनः प्रारंभ होगी। उक्त की जानकारी श्रीमती कल्पना शुक्ला जी द्वारा प्रदान की गई।

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