आणंद ;5 जुलाई । First cooperative university now : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के आणंद में देश की पहली सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ का भूमि पूजन किया। इस विश्वविद्यालय को 125 एकड़ भूमि पर 500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा।
सहकारिता क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन: अमित शाह
First cooperative university now : इस अवसर पर शाह ने कहा, “देशभर में 40 लाख कर्मी, 80 लाख बोर्ड सदस्य और लगभग 30 करोड़ लोग, यानी हर चौथा भारतीय सहकारिता आंदोलन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है।” उन्होंने विश्वास जताया कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र के लिए योग्य नेतृत्व और आधुनिक ज्ञान का केंद्र बनेगी।
કેન્દ્રીય ગૃહ અને સહકારિતા મંત્રી @AmitShah એ આજે ગુજરાતના આણંદમાં દેશની પ્રથમ સહકારી યુનિવર્સિટી 'ત્રિભુવન સહકારી યુનિવર્સિટી'નું ભૂમિપૂજન કર્યું
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— PIB in Gujarat 🇮🇳 (@PIBAhmedabad) July 5, 2025
First cooperative university now : देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ के भूमि पूजन कार्यक्रम में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि “आज का दिन सहकारिता क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।” शाह ने बताया कि चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करोड़ों गरीबों और ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति और सामाजिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी।
सहकारिता आंदोलन में मातृशक्ति और युवाओं की सहभागिता की गईं
First cooperative university now : मंत्रालय की स्थापना के बाद पिछले 4 साल में सहकारिता मंत्रालय ने भारत में सहकारिता क्षेत्र के विकास, संवर्धन और सम विकास के लिए 60 नई पहल की हैं। ये सभी पहल सहकारिता आंदोलन को चिरंजीव, पारदर्शी, लोकतांत्रिक बनाने, विकसित करने, सहकारिता के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाने और सहकारिता आंदोलन में मातृशक्ति और युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए की गईं।
इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रशिक्षण के बाद ही मिलेगी नौकरी; खत्म होगा भाई-भतीजावाद – अमित शाह
First cooperative university now : देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ के भूमि पूजन कार्यक्रम में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब सहकारिता क्षेत्र में नियुक्ति प्रक्रिया प्रशिक्षण आधारित होगी, जिससे भाई-भतीजावाद और पक्षपात की प्रथा समाप्त होगी। पहले कोऑपरेटिव में भर्ती के बाद कर्मचारी को ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब यूनिवर्सिटी बनने के बाद जिन्होंने प्रशिक्षण लिया है, उसी को नौकरी मिलेगी। इसके कारण सहकारिता में भाई-भतीजावाद खत्म हो जाएगा।
एक सहकारी नेता स्वयं के हितों के बारे में सोचे बिना, लोगों और राष्ट्र की समृद्धि में कितना बड़ा योगदान दे सकता है, इसका आदर्श उदाहरण त्रिभुवनदास पटेल जी ने प्रस्तुत किया था। pic.twitter.com/Cc839DyQJn
— Amit Shah (@AmitShah) July 5, 2025
First cooperative university now : यूनिवर्सिटी में सहकारिता के संस्कार भी मिलेंगे: अमित शाह
अपने संबोधन में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी न केवल युवाओं को तकनीकी विशेषज्ञता, अकाउंटेंसी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, और मार्केटिंग जैसे कौशल सिखाएगी, बल्कि उन्हें सहकारिता के मूल संस्कार भी प्रदान करेगी। सहकारिता आंदोलन देश के दलित, महिलाओं और आदिवासियों के लिए है। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र की कई समस्याओं का समाधान इस सहकारी यूनिवर्सिटी से हो जाएगा।
First cooperative university now : 2 लाख नई PACS और डेयरी इकाइयों को मिलेगी प्रशिक्षित मानवशक्ति: शाह
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने देश में 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) बनाने का निर्णय लिया है। इनमें से 60 हज़ार PACS इस वर्ष के अंत तक स्थापित कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि 2 लाख पैक्स में ही 17 लाख कर्मचारी होंगे। इसी प्रकार, कई ज़िला डेयरी बन रही हैं और इन सबके लिए ट्रेंड मैनपावर की ज़रूरत भी त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय पूरा करेगा।
First cooperative university now : नीति निर्माण और नेतृत्व तैयार करेगी त्रिभुवन यूनिवर्सिटी: शाह
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी केवल सहकारी कर्मचारियों के प्रशिक्षण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह संस्था नीति निर्माण, डेटा विश्लेषण और देश के सहकारी क्षेत्र के लिए 5, 10 और 25 वर्षों की रणनीतियाँ तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।
First cooperative university now : अनुसंधान को भी इस यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया है। यह यूनिवर्सिटी सिर्फ सहकारी कर्मचारी तैयार नहीं करेगी बल्कि यहां से त्रिभुवन दास जी जैसे समर्पित सहकारी नेता भी निकलेंगे जो भविष्य में सहकारिता क्षेत्र का नेतृत्व करेंगे। CBSE ने 9 से 12 कक्षा के पाठ्यक्रम में सहकारिता विषय को जोड़ा है। गुजरात सरकार को भी अपने पाठ्यक्रम में सहकारिता विषय को जोड़ना चाहिए जिससे आम लोग सहकारिता के बारे में जान सकें।
First cooperative university now : त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी को मिली ऐतिहासिक विरासत
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के मार्गदर्शन में गुजरात की इसी धरती पर सहकारिता आंदोलन का बीज बोया था।
त्रिभुवन दास जी ने दूध इकट्ठा करने की एक छोटी सी मंडली बनाई और उसके माध्यम से किसानों को सशक्त करने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया। शाह ने कहा कि 1946 में खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ की स्थापना हुई और आज त्रिभुवन दास द्वारा बोया गया वह बीज एक विशाल वट वृक्ष बनकर खड़ा है, जिसमें 36 लाख बहनें 80 हज़ार करोड़ रुपए का कारोबार करती हैं और किसी की 100 रुपए से अधिक पूंजी नहीं लगी है।
First cooperative university now : भारत को विश्व का सहकारिता गढ़ बनाएगी त्रिभुवन यूनिवर्सिटी
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में सहकारिता आंदोलन को जिस मेगा वैक्यूम (बड़े शून्य) ने सिकोड़कर रख दिया था, उसे अब त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी भरने का काम करेगी।
जिसके कारण अब सहकारिता आंदोलन फलेगा, फूलेगा, आगे बढ़ेगा और भारत पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा। त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी, यहां बनाई हुई नीतियां और अभ्यासक्रम, सहकारिता के आर्थिक मॉडल को एक जनआंदोलन में परिवर्तित करने का काम करेंगे।