व्यापार में सुगमता बढ़ाने से अभूतपूर्व निवेश आकर्षित हो सकता है

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Editorial Business Investments Attractions
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डॉ. सौम्य कांति घोष: Editorial Business Investments and Attractions : हाल ही में वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत पर भरोसा दोहराया है। यह भरोसा भारत की अर्थव्यवस्था की उस मजबूत संरचना को साबित करता है, जो पिछले कुछ वर्षों में कठिन मेहनत से तैयार की गई है। इससे व्यापार को लेकर उठने वाला संदेह और शोर-शराबा भी शांत हुआ है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्ति का बराबर बंटवारा हो और सभी को समान अवसर मिलें, सरकार ने
‘’बारबेल रणनीति’’ अपनाई है। इसके तहत नीतियों और नियमों में कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं, ताकि
ईज ऑफ बिज़नेस के अलग-अलग स्तंभ मज़बूत हों। साथ ही, बड़े पैमाने पर औपचारिकीकरण, वित्तीयकरण और तकनीकी एकीकरण को ज़रूरी बनाया गया है। यह निवेश आकर्षित करने और अन्य देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने के लिए अनिवार्य है।

Editorial Business Investments and Attractions : साल 2000 से अब तक भारत में 1 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा का एफडीआई आया

महामारी के बाद भू-राजनीतिक हालात ने मैन्युफैक्चरिंग के तरीके बदलने की ज़रूरत पैदा कर दी। इसी के
चलते भारत ने एक नई राह पकड़ी है, जहां ‘’ईज ऑफ एग्ज़िट’’ यानी व्यापार से बाहर निकलने की आसानी
पर जोर दिया जा रहा है। यह निवेशकों के लिए बहुत अहम है क्योंकि वे पूंजी लगाते समय इस सुविधा को
देखते हैं।

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साल 2000 से अब तक भारत में 1 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा का एफडीआई आया है, जिसमें सेवाएं, तकनीक और टेलीकॉम जैसे क्षेत्र सबसे ज़्यादा लाभान्वित हुए हैं (वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही तक ही लगभग 25 अरब डॉलर निवेश आया है)।

जब सेबी विश्वसनीय विदेशी निवेशकों के लिए एकल खिड़की स्वचालित एवं सामान्यीकृत पहुंच (स्वागत- एफआई) लागू करता है, कम जोखिम वाले माने जाने वाले प्रमुख विदेशी निवेशकों के लिए पहुंच को सरल बनाता है, या आरबीआई फेमा दिशानिर्देशों में बहुप्रतीक्षित बदलाव लाता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रुपये का उपयोग बढ़ता है, तो अटलांटिक पार से आने वाली हलचलें अविस्मरणीय होती हैं।

Editorial Business Investments and Attractions संस्थागत सुधारों की सफलता आईबीसी, संपत्ति पुनर्निर्माण, इंफ्रा फाइनेंसिंग और बैंकिंग, बीमा व वित्तीय सेवाओं में ‘’प्लग-एंड-प्ले’’ मॉडल के रूप में दिखती है। इन क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तेज़ी से बढ़ता इस्तेमाल इसे और मज़बूत बना रहा है।

जनसंख्या के पैमाने पर कई नीतिगत कदम उठाए गए हैं, जैसे पीएमएवाई ( 3.2 करोड़ घरों को मंजूरी), मुद्रा (कुल 52 करोड़ से अधिक खातों में 33.65 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए, जिसमें 68% महिला उद्यमी हैं), पीएम-स्वनिधि (96 लाख से अधिक ऋण खातों के माध्यम से 68 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को कवर किया गया),

उद्यम (उद्यम सहायता पोर्टल की गणना करते हुए 6.86 करोड़ से अधिक एमएसएमई पंजीकरण), श्रम सुविधा (2018 से 6.63 लाख ईएसआईसी पंजीकरण, 6.49 लाख ईपीएफओ पंजीकरण और फर्मों द्वारा 1.29 लाख अनुबंध श्रमिक पंजीकरण के साथ श्रम और रोजगार पोर्टल का अनुपालन), स्वामित्व (ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एकीकृत आवासीय संपत्ति स्वामित्व समाधान जिसमें ~ 3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है),

Editorial Business Investments and Attractions : नक्शा (प्रारंभ में 150 शहरों में पायलट कार्यक्रम के साथ शहरी भूमि पार्सल का व्यापक, जीआईएस-एकीकृत डेटाबेस, जिसे पूरे भारत में 4,912 शहरी स्थानीय निकायों तक विस्तारित किया जाएगा), एसएएससीआई (केन्द्र से राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए 50-वर्षीय ब्याज-मुक्त ऋण) और औपचारिकीकरण भी लगातार बढ़ रहा है। इन सारी योजनाओं ने मिलकर भारत की मेहनत और लचीलापन दोनों को नई ताक़त दी है।

Editorial Business Investments and Attractions : इससे पहले शुरू की गई कई योजनाओं को मजबूती मिली है, स्मार्ट सिटी मिशन से लेकर हर घर जल, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई), पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर आयुष्मान भारत योजना तक। इन योजनाओं का असर सिर्फ़ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि नए निवेश को आगे बढ़ाने और सहारा देने में भी दिख रहा है।
2021 से अब तक जीएसटी संग्रह 1.9 गुना बढ़ा है (94% की वृद्धि), कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह 2.2 गुना बढ़ा है
(116% की वृद्धि),

इनकम टैक्स वसूली 2.42 गुना बढ़ी है (143% की वृद्धि), टैक्स देने वालों की संख्या 1.4 गुना (37% वृद्धि) बढ़ी है, यानी लगभग 2.5 करोड़ नए करदाता जुड़े हैं। खास बात यह है कि निचले वर्ग के करदाता अब धीरे-धीरे ऊंचे स्तर पर पहुंच रहे हैं। इसके अलावा, कंपनियों का मुनाफ़ा (बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को छोड़कर) 2021 से अब तक 2.4 गुना यानी लगभग 136% बढ़ा है।

Editorial Business Investments and Attractions :  कंपनियों के औपचारिककरण को और बढ़ावा देने के लिए, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत में 1.85 लाख से अधिक कंपनियाँ बनीं। वहीं, 2024-25 में शुरुआती आंकड़े लगभग 1.63 लाख कंपनियों के पंजीकरण को
दिखाते हैं।

Editorial Business Investments and Attractions :  इसके साथ ही, वर्तमान में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज(आरओसी) में लगभग 18.5 लाख सक्रिय कंपनियां दर्ज हैं। लेकिन भारत ने करीब 8.5 लाख निष्क्रिय/अप्रचालित कंपनियों को अपने रिकॉर्ड से हटा दिया है।

इससे यह साफ़ होता है कि भारत बेनामी और फर्जी कंपनियों को प्रणाली से बाहर करने के लिए
प्रतिबद्ध है। मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को वित्तपोषण से रोकने (सीएफटी) के मोर्चे पर भारत के निरंतर
प्रयासों की पिछले साल वैश्विक निगरानी संस्था ने सराहना की थी।

Editorial Business Investments and Attractions : नवाचार (इनोवेशन) के क्षेत्र में हाल के वर्षों में भारत ने गहरी छाप छोड़ी है। कॉपीराइट, पेटेंट, बौद्धिक संपदा और ट्रेडमार्क के मामले में भारत की वृद्धि दर अब विकसित देशों के बराबर खड़ी है।

पश्चिमी देशों का दबदबा अब चीन की वजह से कमजोर हुआ है, क्योंकि चीन के पास महत्वपूर्ण तकनीक और दुर्लभ खनिजों में बढ़त है। ऐसे में हमें इस बेहद अहम क्षेत्र पर खास ध्यान देना होगा और शिक्षा जगत, संस्थानों और उद्योगों
के बीच सहयोग का एक गतिशील मॉडल आगे बढ़ाना होगा।

गौर करने वाली बात है कि भारत के स्टार्ट-अप्स ने सरकार के सहयोग (अर्थात स्टार्टअप्स के लिए फंड
ऑफ फंड्स) और फंडिंग सहायता से अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक
संकट और व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताओं के बाद आई “फंडिंग विंटर” (निवेश की कमी) से बाहर निकलने
में सफलता पाई।

Editorial Business Investments and Attractions : कई सफल स्टार्ट-अप्स ने सार्वजनिक निर्गम(पब्लिक ऑफरिंग) के ज़रिए पूंजी बाजार में प्रवेश किया है। 2014-15 से अब तक मुख्य बोर्ड पर 764 सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ, एफपीओ, ओएफएस आदि) और एसएमई प्लेटफॉर्म पर 1200 से ज़्यादा निर्गम (इस साल तक) हुए हैं।

इसने यह साबित किया है कि पूंजी बाज़ार निवेशकों को आसानी से ‘’एग्ज़िट’’ (निवेश से बाहर निकलने) का रास्ता देने
में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। पूंजी के इस चक्रीय प्रवाह और उसके गुणक प्रभाव से यह सुनिश्चित होता है कि
नई और छोटी कंपनियां भी अपने विकास के अलग-अलग चरणों में फंडिंग तक पहुँच बना सकें।

भारत को वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों (वर्तमान उभरते बाजारों के सूचकांकों से एक महत्वपूर्ण क्षण) में शामिल
करने पर विचार किया जा रहा है, जिसके लिए हमारे ऋण बाजार को नए सिरे से संतुलित करना जरूरी होगा
होगा, साथ ही, बहु-आयामी ढांचे (एनआईपी, एनएमपी, पीएम गति शक्ति ) के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग
की आवश्यकता होगी।

Editorial Business Investments and Attractions : इसलिए अब भारतीय निजी कंपनियों को वैश्विक सोच अपनानी होगी, दुनिया भर में ब्रांड इंडिया की मजबूत पहचान बनानी होगी और भारतीय प्रवासी समुदाय की बड़ी प्रतिभा को साथ जोड़कर तेज़ और साझी प्रगति की दिशा में बढ़ना होगा।

(लेखक –16वें वित्त आयोग के सदस्य, पीएमईएसी (प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद) के सदस्य और
भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइज़र हैं। यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं।)