Dr. Annie Besant - deeply attached to India... had made India her second home
Biography of Famous Social Reformers of India : समाज सुधारक डॉ. एनी बेसेंट एक प्रख्यात समाजसेवी, लेखिका, स्वतंत्रता सेनानी और प्रवक्ता थीं। वह आयरिश मूल की महिला थीं। भारत से गहरा लगाव रखने वाली एनी बेसेंट ने भारत को अपना दूसरा घर बना लिया था। एनी बेसेंट ने कई मौकों पर अन्याय का कड़ा प्रतिरोध करके ‘आयरन लेडी”” की छवि बनाई थी।
डॉ. एनी बेसेंट का संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम – डॉ. एनी बेसेंट (Annie Besant)
जन्म की तारीख – 01 अक्टूबर
जन्म स्थान – क्लैहम, लंदन, यूके
निधन तिथि – 20 सितम्बर
माता व पिता का नाम- एमिली मॉरिस / विलियम वुड
उपलब्धि 1917 – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष
पेशा / देश महिला / राजनीतिज्ञ / इंग्लैंड
डॉ. एनी बेसेंट का जन्म
एनी बेसेन्ट का जन्म 01 अक्टूबर 1847 को लंदन, ग्रेट ब्रिटेन में हुआ था। इनके पिता का नाम विलियम वुड था इनके पिता एक डॉक्टर थे परन्तु डाक्टरी पेशे के साथ साथ इनकी गणित एवं दर्शन में गहरी रूचि थी। इनकी माता एक आदर्श आयरिस महिला थीं।
डॉ. एनी बेसेंट का निधन
एनी बेसेंट की मृत्यु 20 सितंबर 1933 (आयु 85 वर्ष) को अडयार , मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुई।
डॉ. एनी बेसेंट की शिक्षाऔरकरियर
अपने पिता की मृत्यु के समय डॉ॰ बेसेन्ट मात्र पाँच वर्ष की थी। पिता की मृत्यु के बाद धनाभाव के कारण इनकी माता इन्हें हैरो ले गई। वहाँ मिस मेरियट के संरक्षण में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। मिस मेरियट इन्हें अल्पायु में ही फ्रांस तथा जर्मनी ले गई तथा उन देशों की भाषा सीखीं।
एनी बेसेंट का विवाह 1867 में फ्रैंक बेसेंट नामक एक पादरी से हुआ था, परन्तु उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा समय तक नहीं चल सका और वे 1873 में क़ानूनी तौर पे अलग हो गए। जिसके बाद उन्हें आर्थिक मंदी का सामना करना पढ़ा था। और तब उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर धनोपार्जन करना पड़ा। डॉ॰ बेसेन्ट इसी समय चार्ल्स व्रेडला के सम्पर्क में आई। अब वह सन्देहवादी के स्थान पर ईश्वरवादी हो गई। कानून की सहायता से उनके पति दोनों बच्चों को प्राप्त करने में सफल हो गये। इस घटना से उन्हें हार्दिक कष्ट हुआ। महान् ख्याति प्राप्त पत्रकार विलियन स्टीड के सम्पर्क में आने पर वे लेखन एवं प्रकाशन के कार्य में अधिक रुचि लेने लगीं। अपना अधिकांश समय मजदूरों, अकाल पीड़ितों तथा झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों को सुविधा दिलाने में व्यतीत किया। वह कई वर्षों तक इंग्लैण्ड की सर्वाधिक शक्तिशाली महिला ट्रेड यूनियन की सेक्रेटरी रहीं। 1878 में ही उन्होंने प्रथम बार भारतवर्ष के बारे में अपने विचार प्रकट किये। उनके लेख तथा विचारों ने भारतीयों के मन में उनके प्रति स्नेह उत्पन्न कर दिया। अब वे भारतीयों के बीच कार्य करने के बारे में दिन-रात सोचने लगीं। 1883 में वे समाजवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुईं।
उन्होंने “”सोसलिस्ट डिफेन्स संगठन”” नाम की संस्था बनाई। इस संस्था में उनकी सेवाओं ने उन्हें काफी सम्मान दिया। इस संस्था ने उन मजदूरों को दण्ड मिलने से सुरक्षा प्रदान की जो लन्दन की सड़कों पर निकलने वाले जुलूस में हिस्सा लेते थे। साल 1893 मे एनी बेसेन्ट ने शिकागो के सर्वधर्म परिषद मे हिस्सा लिया था। वर्ष 898 मे बनारस में उन्होंने सेंट्रल हिंदु स्कूल की स्थापना की। 16 नवंबर 1893 को वे एक वृहद कार्यक्रम के साथ भारत आईं और सांस्कृतिक नगर काशी (बनारस) को अपना केन्द्र बनाया। वह इंग्लैंड की सबसे शक्तिशाली ‘महिला ट्रेड यूनियन”” की सचिव रहीं। ह चार्ल्स ब्रेडलॉफ और साउथ प्लेस एथिकल सोसाइटी के साथ राष्ट्रीय धर्मनिरपेक्ष समाज की एक प्रमुख सदस्य थीं। 1907 मे ऑलकॉट के मौत के बाद एनी बेसेन्ट ‘थीऑसॉफिकल सोसायटी”” की अध्यक्षा बनी थी। जुलाई 1921 में पेरिस में आयोजित प्रथम थियोसॉफिकल वर्ल्ड कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गईं। जब 1914 का विश्व युद्ध खत्म हुआ तब उन्होंने भारत में होम रूल अभियान की स्थापना की थी।
सन् 1889 में उन्होंने घोषणा कर स्वयं को ‘थियोसाफिस्ट”” घोषित किया और शेष जीवन भारत की सेवा में अर्पित करने की घोषणा की। उन्होने सामाजिक बुराइयों जैसे बाल विवाह, जातीय व्यवस्था, विधवा विवाह आदि को दूर करने के लिए ‘ब्रदर्स ऑफ सर्विस”” नामक संस्था बनाई। ब्रिटिश नागरिक होने के कारण एनी बेसेन्ट को देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया था। स्वतंत्रता के विषय में वह गांधी जी के विचारों से असहमत थीं। उन्होंने काशी के तत्कालीन नरेश ‘महाराजा प्रभु नारायण सिंह”” से भेंट की और उनसे कामच्छा स्थित ‘काशी नरेश सभा भवन”” के समीप की भूमि प्राप्त कर 7 जुलाई 1898 को ‘सेंट्रल हिन्दू कॉलेज”” की स्थापना की। वर्ष 1917 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था।
डॉ. एनी बेसेंट के पुरस्कार और सम्मान
डॉ. एनी बेसेंट ने वर्ष 1918 में ‘इंडियन भारत स्कॉउट”” की नींव रखी। जिसके बाद 14 दिसंबर 1921 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने इन्हें ‘डॉक्टर ऑफ़ लेटर्स”” की उपाधि से विभूषित किया था। 1 अक्टूबर 2015 को, सर्च इंजन Google ने एनी बेसेंट को उनकी 168 वीं जयंती पर डूडल के साथ याद किया। Google ने टिप्पणी की: “”भारतीय स्वशासन के एक उग्र अधिवक्ता, एनी बेसेंट ने भाषा से प्यार किया, और जीवन भर जोरदार अध्ययन ने एक लेखक और संचालक के रूप में जबरदस्त क्षमताओं की खेती की। उन्होंने निबंधों के पहाड़ों को प्रकाशित किया, एक पाठ्यपुस्तक लिखी, जिसमें क्लासिक साहित्य की रचनाएं शामिल हैं। युवा वयस्कों के लिए और अंततः न्यू इंडिया समाचार पत्र के संपादक बने, एक समय-समय पर भारतीय स्वायत्तता के लिए समर्पित “” हो गई।
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