धर्म,तीज-त्यौहार, 24 अगस्त । dharm shiv parvati 108 janm teej parv : तीज हिंदू महिलाओं के सबसे बड़े और खास त्योहारों में से एक है। तीज व्रत पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इसमें उपवास, पूजा और भगवान शिव-पार्वती की आराधना की जाती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। हरतालिका तीज का व्रत उसी तपस्या की याद में किया जाता है।
तीज पर्व का धार्मिक महत्व
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : हरतालिका तीज की कथा भगवान शिव के प्रति देवी पार्वती की अगाध भक्ति से जुड़ी है। राजा हिमवान की पुत्री पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की और कठोर कष्ट सहे। हालाँकि, उनके पिता चाहते थे कि उनका विवाह भगवान विष्णु से हो।
शिव-पार्वती के 108 जन्मों की कथा
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : हरियाली तीज का त्योहार शिव और पार्वती के पुनर्मिलन की याद में भी मनाया जाता है, वह दिन जब शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था । पार्वती ने कई वर्षों तक उपवास और कठोर तपस्या की और उनके 108वें जन्म में शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। पार्वती को तीज माता (शाब्दिक रूप से “तीज माता”) के नाम से भी जाना जाता है।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : माता पार्वती के प्रमुख जन्म
भगवान शिव और माता पार्वती की यह चर्चा पौराणिक ग्रंथों और शिव पुराण में वर्णित है। शिवजी की गले की माला में जो मुंड (कपाल) हैं, वे माता पार्वती के विभिन्न जन्मों का प्रतीक माने जाते हैं। शिवजी ने माता पार्वती को यह बताया था कि जब-जब आप जन्म लेती हैं, मैं आपकी प्रतीक्षा करता हूं और आपके हर जन्म को अपनी माला में सजाता हूं। यह माता पार्वती और शिवजी के प्रेम और अनंत बंधन का प्रतीक है।
माता पार्वती का मूल स्वरूप आदिशक्ति है। उन्होंने सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मांड के संतुलन और शिव के साथ विवाह के लिए कई बार अवतार लिए।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : पहला अवतार सती
माता पार्वती का पहला उल्लेखनीय अवतार सती के रूप में हुआ। वे प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं और भगवान शिव से उनका विवाह हुआ था। सती ने अपने पिता द्वारा शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण यज्ञ में आत्मदाह कर लिया। इसके बाद उन्होंने पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया।
सती के देह त्यागने के बाद पार्वती के रूप में जन्म
सती के देह त्यागने के बाद माता ने हिमालय और मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। उन्होंने कठोर तपस्या करके शिवजी को पुनः प्राप्त किया।
माता पार्वती ने कई बार विभिन्न नामों और स्वरूपों में जन्म लिया
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने कई बार विभिन्न नामों और स्वरूपों में जन्म लिया, जैसे कि- कात्यायनी (दुर्गा का एक रूप), ललिता त्रिपुर सुंदरी, शैलजा (पर्वत की पुत्री), विभिन्न समय पर काली और दुर्गा के रूप में अवतार लिया। ये रूप अधर्म और असुरों के नाश के लिए थे।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : मुंडमाला का अर्थ
शिवजी ने बताया कि उनकी माला में जितने मुंड हैं, वे माता के उतने जन्मों के प्रतीक हैं। जब-जब माता जन्म लेती हैं और उनके शरीर का अंत होता है, तब शिव उन मुंडों को अपनी माला में जोड़ लेते हैं। यह दर्शाता है कि उनका प्रेम चक्र सतत चलता रहता है और शिव हर जन्म में उनका साथ निभाते हैं।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : तीज का व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। विवाहित और अविवाहित दोनों ही महिलाएं यह व्रत करती हैं। हरतालिका तीज व्रत के दौरान पतियों को संयम बरतना ज़रूरी है। दोनों के मन, कर्म और वचन में पवित्रता होनी चाहिए; पति को भी इस कार्य में पत्नी का साथ देना चाहिए। उन्हें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे उनकी पत्नी का व्रत खंडित हो।
हरतालिका तीज डेट और शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 25 अगस्त सोमवार को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का समापन 26 अगस्त मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर 26 अगस्त को पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 56 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना कर सकते हैं।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : भारत में कितने तीज त्यौहार मनाया जाता है ?
हरियाली तीज हिंदू महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे कजरी तीज और हरतालिका तीज के साथ मनाया जाता है। कजरी तीज (शाब्दिक अर्थ, “अंधेरा तीज”), जिसे बारी तीज के नाम से भी जाना जाता है, हरियाली तीज के 15 दिन बाद चंद्रमा के अंधेरे (घटते) चरण के दौरान मनाया जाता है। हरतालिका तीज ( हरत का अर्थ “अपहरण” और आलिका का अर्थ “सखी” है) हरियाली तीज के एक चंद्र मास बाद भाद्रपद माह की अमावस्या के तीसरे दिन पड़ती है।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : कैसे मनाया जाता है तीज का पर्व
इस दिन सुबह-सुबह महिलाएं स्नान कर नए कपड़े पहनती हैं, विशेष रूप से हरे रंग के. हाथों में मेहंदी रचाई जाती है, पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, और झूले झूलने की परंपरा निभाई जाती है. शाम को महिलाएं सोहाग की 16 शृंगार में सजकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं ।
प्राचीन ग्रंथों में शिव-पार्वती के जन्मों की कथा का रहस्यमयी प्रसंग
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : शिव-पार्वती के जन्मों की कथा एक गूढ़ और रहस्यमयी प्रसंग है, जो मुख्यतः लोकश्रुति और पुराणों की व्याख्याओं में मिलता है। यदि आप इस अद्भुत कथा को गहराई से जानना चाहते हैं, तो धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना आवश्यक है। विशेषकर शिव पुराण,देवी भागवत पुराण, स्कंद पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में शिव-सती-पार्वती के पुनर्जन्म और तपस्या से जुड़े प्रसंग विस्तार से वर्णित हैं।
dharm shiv parvati 108 janm teej parv : इन ग्रंथों का अध्ययन करने से यह समझ आता है कि सती से पार्वती तक की यात्रा केवल एक कथा नहीं, बल्कि भक्ति, तपस्या और अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। इसलिए यदि कोई इस रहस्य को जानना चाहता है तो उसे इन ग्रंथों का स्वयं मनन, चिंतन और अध्ययन करना चाहिए।