रायपुर : Day 4 Geeta Gyan Amrit Varsha : छत्तीसगढ़ नगर में में हो रहे गीता ज्ञान अमृत कथा में आज जल और पुष्प से हवन किया गया, इसका अर्थ परम पूज्य गुरुदेव संकर्षण शरण जी (गुरुजी) यह बताया कि इन सब के माध्यम से हम परमात्मा की शरण में जा सकते हैं, उनकी भक्ति प्राप्त कर सकते हैं .
Day 4 Geeta Gyan Amrit Varsha : गुरुजी ने फूल और जल का मह्त्व कुछ ईस प्रकार ब्ताय
फूल ..फूल की सुगंध की तरह हमारा यश का गुणगान चारों तरफ फैले ,सुगंधित रहे ,यह तीसरी अवस्था है, जल ..जल साफ सुथरा निश्चल ,सरलता,और हम निर्मलता प्रदान करता है। जल (बाल्यावस्था) से पौधा(किशोरावस्था) , फिर फूल (युवावस्था) की अवस्था। हर व्यक्ति चाहता है कि नाम कमाए, यश में वृद्धि हो चारों तरफ संसार में उसकी ।
इसलिए भगवान को फूल अर्पित किया जाता है ,तीसरी अवस्था भगवान की शरण में जाने से जीवन आनंददायक हो जाता है ।
सभी को बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक भगवान सबको स्वीकार करते हैं
Day 4 Geeta Gyan Amrit Varsha : जवानी अवस्था में जब हम आते हैं तो बहुत से आडंबर, पाखंड में फंस जाते हैं जानते कुछ भी नहीं, मानते कुछ भी नहीं ,भटका देते हैं लोगों को ।
फूल के बाद फल की अवस्था ,फल के रूप में भी भगवान हमें स्वीकार करते हैं पत्ता ,पुष्प ,फल इन सब के माध्यम से हम परमात्मा की शरण में होना।
कच्चा फल और उसके बाद पका हुआ फल बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक भगवान सबको स्वीकार करते हैं। कोई भी भक्त पत्ता ,पुष्प ,फल अर्पण करते हैं उसे मैं स्वीकार करता हूं।
Day 4 Geeta Gyan Amrit Varsha जीवन में हम सिर्फ बाहरी अर्थ को लेते हैं , इन सबका आंतरिक अर्थ को लेते ही नहीं है,प्रत्येक कथा का आंतरिक अर्थ भी होता है प्रैक्टिकल लाइफ में जीवन में रिलेटेड है ,उसके सही अर्थों को जानना चाहिए हम सिर्फ पूरा जीवन फूल और पत्ते फल ही चढ़ाते रहते हैं और जीवन में दुखी ही रहते हैं अपने को अर्पित करना जो भी अवस्था हो गुरु चरण में परमात्मा चरणों में जाना चाहिए ।
स्वाहा अर्थात स्व की आहुति
Day 4 Geeta Gyan Amrit Varsha : पुष्प यश में वृद्धि करता है, जल माध्यम है पहुंचने की ,जल पवित्र करता है ,जल जीवन देता है, जल के माध्यम से ही समस्त सृष्टि चल रही है ,बिना जल के कुछ भी होने वाला नहीं है ,पवन भी माध्यम है इन सब माध्यम से अपनी कुप्रवृत्तियों को समाप्त करना ,अगर जल में हवन हो रहा है तो स्वहा क्यों बोलते हैं?
स्वाहा अर्थात स्वाहा अग्निदेव की पत्नी है और उसके माध्यम से हमारा हवन परमात्मा तक पहुंचता है। लेकिन जब अग्नि में हवन करते हैं तब स्वाहा बोलते हैं और जब जल में हवन करते हैं तो “स्वाहा अर्थात स्व की आहुति” पुष्पों के माध्यम से स्वयं को परमात्मा अर्पित करना।
Day 4 Geeta Gyan Amrit Varsha : अपनी कुप्रवृत्तियों की आहुति देना,बुराई का त्याग करना, हम अपने आपके बच्चे हैं फूलों के माध्यम से आपको भाव अर्पित कर रहे हैं हमारा यश और कीर्ति चारों तरफ फैले,
हमारी शरीर ,बुद्धि हमारा कर्म शुद्ध हो, व्यवहार आचरण शुद्ध हो और जीवन में आनंद और सफलता प्राप्त करें हमारा यश और कीर्ति चारों तरफ फैले और सनातन की सेवा करते हैं जल में पुष्पक हवन। इस प्रकार के हवन से हम आध्यात्म से जुड़ते हैं जो वर्तमान समय में सबके लिए आवश्यक है।
इन 4 दिवस के गीता ज्ञान अमृत वर्षा के आयोजन में गुरुजी ने ऐसे अनमोल तत्वों से श्रद्धालुओं को जोड़ा जो जीवन की यात्रा को सुगम करने हेतु अति आवश्यक है । काफी संख्या में लोगों की भीड़ नित रोज आती रही, बहुत से लोग द्वितीय दिवस में शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर गुरु दीक्षा भी लिए, और आज वैदिक मंत्रों के संग भव्य हवन संपन्न हुआ ।
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