Chhattisgarh Establishment Day : छत्तीसगढ़ राज्य 21 साल की किशोरावस्था में…. समूचे विश्व में अलग पहचान !

कुलदीप शुक्ला 

Chhattisgarh Establishment Day : छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर, 2000 यानी 21 साल पहले आज ही के दिन मध्यप्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया था। पौराणिक नाम कौशल राज्य है। गोंड जनजाति के शासनकाल के दौरान सालों पहले इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ रखा गया था । आज छत्तीसगढ़ समूचे विश्व में अपना अलग पहचान बना लिए है | यह राज्य अभी किशोरावस्था में एक विकसित राज्य की ओर अग्रसर है | खनिज सम्पदा से भरपूर राज्य होने के कारण रोजगार   अनेक अवसर बना रहता है |

राज्य में एसईसीएल,एनएमडीसी,जिंदल,वेदांता,बाल्को,भिलाई स्टील प्लांट राज्य का प्रमुख उद्योग है जो कि पुरे विश्व में इनका अलग पहचान है | कई देशो में भिलाई स्टील प्लांट के कारण छत्तीसगढ़ को जाना जाता है |

भारत के हृदय-स्थल पर स्थित छत्तीसगढ़, जो भगवान श्रीराम जी का ननिहाल है, प्राचीन कला, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास और पुरातत्त्व की दृष्टि से अत्यंत संपन्न है। यहाँ ऐसे भी प्रमाण मिले हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि अयोध्या के राजा श्रीराम की माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की बेटी थी। जो की वर्तमान में रायपुर के पास चन्दखुरी में माता कौशल्या का मंदिर  स्थित है| छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी परियोजना राम वन गमन पर्यटन परिपथ पर्यटन तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है |

36 किलों 

छत्तीसगढ़ के नाम पर प्रचलित हैं। पर असल कारण था गोंड राजाओं के 36 किले। जी हां, इन 36 किलों को गढ़ भी कहा जाता है। इन्हीं के कारण इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा।  ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे। इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। ये उस समय की बात है जब रामायण काल से सत्रहवीं शताब्दी का दौर चल रहा था। ध्यान देने वाली बात ये है कि राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, कल्चुरी हुआ करती थी।

18 – गढ़ उत्तर और 18 -गढ़  दक्षिण में स्थापित
बता दें कि 18 गढ़ और दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत बनाए थे। 18  गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में कल्चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत बनाए गए थे।

रतनपुर राज्य के अधीनस्थ 18 गढ़ों के नाम इस प्रकार है ( खाल्हे राज ) 
रतनपुर, विजयपुर, पंडर भट्टा, पेंड्रा, केन्दा, बिलासपुर, खरौद, मदनपुर (चांपा), कोटगढ़, कोसगई (छुरी), लाफागढ़ (चैतुरगढ़), उपरोड़ागढ़, मातिनगढ़, करकट्टी-कंड्री, मारो, नवागढ़, सेमरिया।

रायपुर राज्य के अधीनस्थ 18 गढ़ों के नाम इस प्रकार है (ऊपर राज) 
रायपुर, सिमगा, ओमेरा, राजिम, फिंगेश्वर, लवन, पाटन, दुर्ग, सारधा, सिरसा, अकलबाड़ा, मोहंदी, खल्लारी, सिरपुर, सुअरमार, सिंगारपुर, टैंगनागढ़, सिंघनगढ़ थे।

भौगोलिक दृष्टि 

छत्तीसगढ़ उत्तरी गोलार्द्ध के एशिया महाद्वीप में भारत के उत्तरी प्रायद्वीपीय में स्थित है। छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति 17°46′ से 24°5′ उत्तरी अक्षांश के मध्य तथा 80°15′ से 84°20′ अन्य स्रोत में 84°24′ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। … है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 4.11 प्रतिशत है।

प्राचीन विरासत

छत्तीसगढ़ अपनी प्राचीन विरासत के साथ-साथ सांस्कृतिक ,सामाजिक, सभ्यता,कला,संस्कृति, इतिहास और पुरातत्त्व की दृष्टि से एक समृद्ध  राज्य है। राज्य में एक बहुत ही अद्वितीय और जीवंत संस्कृति है। लोक संगीत, नृत्य और नाटक विविधता को अद्भुत समावेश देखना को मिलता है ।

राज्य का सबसे प्रसिद्ध नृत्य-नाटक पंडवानी,कर्मा,सुआ,पंथी,आदिवासी नृत्य, संगीत समूचे विश्व में प्रसिद्ध है | पंडवानी  सबसे प्रसिद्ध नृत्य-नाटक जो की  महाकाव्य महाभारत का संगीतमय वर्णन है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति’ अंचल के प्रसिद्ध उत्सव, नृत्य, संगीत, मेला-मड़ई तथा लोक कला आदि भी शामिल हैं। पंडवानी, भरथरी, पंथी नृत्य, करमा, दादरा, गैड़ी नृत्य, गौरा, धनकुल आदि की स्वर माधुरी भाव-भंगिमा तथा लय में ओज और उल्लास समाया हुआ है।

छत्तीसगढ़ का त्यौहार 

छत्तीसगढ़ अपनी प्राचीन विरासत के साथ-साथ यहां प्रमुख त्यौहार,हरेली,बस्तर का ‘दशहरा’, रायगढ़ का ‘गणेशोत्सव’ तथा बिलासपुर का ‘राउत मढ़ई’ ऐसे ही उत्सव हैं, जिनकी अपनी एक बहुत-ही विशिष्ट पहचान है।

छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ

छत्तीसगढ़ की नदियाँ अरपा,पैरी,महानदी,इंद्रावती,शिवनाथ,हसदेव,लीलागर,मनियारी,सोंढुर,जोंक,रिहंद(रेणुका),खारुन ,कोटकी,बाघ,शबरी,तांदुला,मांड,हॉप,ईब,की प्रमुख नदियाँ है जो की समूचे छत्तीसगढ़ को सिंचित कर समृद्ध करती है |

     

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