Chhattisgarh Assembly Session : शीतकालीन सत्र 13 से 17 दिसंबर तक….कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं

रायपुर

Chhattisgarh Assembly Session : छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर से शुरू होने जा रहे है. इस बार शीतकालीन सत्र में पांच बैठकें होंगी. तकालीन सत्र की अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिसूचना में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का 12वां सत्र 13 दिसंबर से शुरू होकर 17 दिसंबर तक चलेगा. विधानसभा के प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि 13 से 17 दिसंबर तक सत्र में होंगे कुल 5 बैठकें होगी. अनुपूरक बजट सहित कई विधेयकों को लेकर सत्र में चर्चा होगी.

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है। विधि विभाग के जरिए विधानसभा को जो जानकारी भेजी गई है, उसमें इसका उल्लेख नहीं है। इसे लेकर राजनीति गरमाने के आसार हैं। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून पारित किए जाने के विरोध में राज्य सरकार पिछले साल शीतकालीन सत्र में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक लेकर आई थी।

राज्य सरकार का आरोप था कि केंद्र का कृषि बिल किसानों के बजाय पूंजीपतियों के लिए है। मंडी विधेयक में किसानों को ध्यान में रखकर कानून लाया गया था। इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन फिलहाल मंजूरी नहीं है। हालांकि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। इस बार विधानसभा में सरकार दो नए कानून लेकर आ रही है।

इसमें इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति की आयुसीमा 70 वर्ष की जाएगी। बाकी विश्वविद्यालयों में यह प्रावधान पहले से है। इसके अलावा हुक्का बार को पूरी तरह बैन किया जाएगा। कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा सरकार अनुपूरक बजट भी लाएगी। शीत सत्र के पहले दिन देवव्रत सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी जाएगी।

देवव्रत खैरागढ़ से विधायक थे। दूसरे दिन अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा, जिस पर तीसरे दिन चर्चा की जाएगी। इस तरह पांच दिन का शीत सत्र एक दिन पहले ही समाप्त होने के आसार हैं। नगरीय निकाय चुनाव में दोनों ही दलों के विधायक जुटे हुए हैं, इसलिए ऐसा निर्णय लेने की बात सामने आ रही है।

राज्यपाल ने कहा था कानूनी सलाह ले रहे

मंडी संशोधन विधेयक पिछले साल शीत सत्र में बहुमत से पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था। इसकी मंजूरी में देरी को लेकर जब सवाल उठे, तब राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा था कि विधेयक के संबंध में कानूनी सलाह ली जा रही है। यह देखा जा रहा है कि केंद्रीय कानून से किसी तरह का टकराव तो नहीं है।

बता दें कि भाजपा विधायकों ने मंडी संशोधन विधेयक को संविधान के विपरीत और केंद्रीय कानून के खिलाफ बताया था। हालांकि सीएम भूपेश बघेल ने यह स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखकर यह कानून बनाया है। इसमें केंद्र के कानून को टच नहीं किया गया है। संविधान में राज्य सरकार को जो अधिकार दिए गए हैं, उसी के तहत कानून बनाया गया है।

इस तरह के बदलाव थे प्रस्तावित

  • मंडी की परिभाषा में डीम्ड मंडी को भी शामिल कर लिया गया है। सरकार निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित करेगी।
  • राज्य सरकार का अधिसूचित अधिकारी मंडी में कृषि उपज की आवाजाही की जांच कर सकेगा।
  • निरीक्षण करने वाले अधिकारी के पास जब्ती का भी अधिकार होगा।
  • अधिकारियों को कृषि उपजों के भंडारण की तलाशी लेने का अधिकार होगा।
  • मंडी कानून का उल्लंघन मिलने पर मंडी समिति और अधिकारियों को वाद दायर करने का अधिकार होगा।

धान खरीदी, कानून व्यवस्था और धर्मांतरण के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलेगा विपक्ष

शीत सत्र के लिए पांच दिन का समय है, लेकिन इतने दिनों के लिए ही 755 सवाल लगे हैं। धान खरीदी, लॉ एंड ऑर्डर, धर्मांतरण, कवर्धा विवाद, आदिवासियों की नाराजगी, पुलिस परिवार के आंदोलन जैसे मुद्दों पर विपक्ष राज्य सरकार को घेरेगा। सत्र के पहले दिन विपक्ष के नेता रणनीति बनाएंगे। सरकार अनुपूरक बजट पेश करेगी।

इस पर चर्चा के दौरान भी बढ़ते कर्ज का मुद्दा उठाया जाएगा। अलग-अलग मुद्दों पर हर दिन के लिए काम रोको प्रस्ताव लाने की तैयारी है। हालांकि सदन छोड़ने के बजाय पूरे समय चर्चा में भी शामिल होंगे। सत्र छोटा होने के कारण ज्यादा से ज्यादा मुद्दों पर चर्चा करने की कोशिश करेंगे।

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