CBI custody: आंख मूंदकर लोन देने वाले सात बैंक सीबीआई शिकंजे में

 कानपुर | CBI custody:  3500 करोड़ रुपए के बैंक डिफॉल्टर रोटोमैक समूह पर कार्रवाई के साथ जांच एजेंसियों ने आंख मूंदकर लोन देने वाले बैंकों पर भी शिकंजा कस दिया है। सीबीआई के साथ-साथ सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन विंग ने भी बैंक के अफसरों को जांच के दायरे में लिया है। सात बैंकों के करीब 54 अधिकारियों से पूछताछ होगी।

CBI custody: रोटोमैक ग्रुप में बैंकों के 3700 करोड़ डूबने के बाद एक तरफ विक्रम कोठारी और राहुल कोठारी से सीबीआई लगातार पूछताछ कर रही है तो दूसरी ओर सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ)  विंग भी जांच कर रही है। इसी कड़ी में सामने आया कि महज 200 करोड़ की सिक्योरिटी के एवज में 2600 करोड़ बैंकों ने दे दिए। जांच में ये भी पाया गया है कि रोटोमैक को सिक्योरिटी से 12 गुना ज्यादा लोन दे दिया गया।

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CBI custody: बैंक अफसरों की मिलीभगत के प्रमाण मिलने के बाद जांच का दायरा और बढ़ गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंटल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक के उन अधिकारियों से पूछताछ होगी, जिन्होंने 2008 से 2013 के बीच अरबों का लोन पास किया। इतना बड़ा लोन पास करने का अधिकार कानपुर तो छोड़िए, लखनऊ स्थित स्टेट मुख्यालय के पास भी नहीं होता। इसलिए बैंकों के हेडक्वार्टर से जुड़े उच्चाधिकारियों से जांच एजेंसियां पूछताछ करेगी।

CBI custody:  चीफ जनरल मैनेजर रैंक का अधिकारी भी पांच करोड़ से ज्यादा का लोन अपने हस्ताक्षर से पास नहीं कर सकता। प्रारंभिक पड़ताल में एसएफआईओ विंग ने निदेशक स्तर के उन अफसरों की लिस्ट तैयार की है, जो मुख्यालय से सीधे फोन कर लोन देने का फरमान जारी करते थे।

इन सात बैंकों से रोटोमैक ने लोन लिया

  • बैंक ऑफ बड़ौदा: 456.53 करोड़ रुपए
  • बैंक ऑफ इंडिया: 754.77 करोड़ रुपए
  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र: 49.82 करोड़ रुपए
  • इलाहाबाद बैंक: 330.68 करोड़ रुपए
  • ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स: 97.47 करोड़ रुपए
  • इंडियन ओवरसीज बैंक: 771.07 करोड़ रुपए
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: 458.95 करोड़ रुपए

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