Bridges being : जमींदोज हो रहे पुल -भ्रष्टाचार की नंगी नुमाइश या कोई साजिश ? 

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संपादकीय | Bridges being :  बिहार से पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक पुल गिरने की घटना बार-बार घटित हो रही है. पूरे देश में बिहार में लगातार एक के बाद एक पुल बहने के हादसों को लेकर भारी हैरानी है. दरअसल, बिहार में पिछले 18 दिनों में 12 पुल गिर चुके हैं.

बिहार में पुल गिरने का सिलसिला

Bridges being : इस साल बिहार में पुल गिरने का सिलसिला 18 जून से शुरू हुआ था, जब सबसे पहले अररिया जिले में सिकटी प्रखंड में एक पुल गिरा था. इसके बाद पुल गिरने का सिलसिला शुरू हो गया और एक पखवाड़े में करीब 10 पुल गिर गए. अगर छोटे मोटे पुलों को मिलाकर देखें तो 3 जुलाई को तो एक दिन में ही पांच पुल गिर गए. वैसे ऐसा नहीं है कि इस बार कुछ अलग है और पुल गिर रहे हैं.

2012 से 2021 के बीच 214 पुल गिरने के केस दर्ज

Bridges being : पूरे भारत का रिकॉर्ड देखा जाए तो एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1977 से 2017 के बीच 2130 पुल गिर चुके हैं (इसमें नाले और फुटओवर ब्रिज शामिल नहीं है). इस रिसर्च के हिसाब से भारत में पुल की औसत आयु 34.5 साल है. वहीं, पिछले कुछ सालों में पुल गिरने की घटनाओं पर नजर मारें तो फैक्टली की एक रिपोर्ट में एनसीआरबी के डेटा के हिसाब से बताया गया है कि साल 2012 से 2021 के बीच 214 पुल गिरने के केस दर्ज हुए हैं.

Bridges being : प्राकृतिक आपदा भी पुल गिरने की अहम वजह

रिपोर्ट के अनुसार, पुल गिरने के कई कारण हो सकते हैं. इन कारणों में डिजाइन, पुल बनाने में इस्तेमाल हुआ खराब सामान, लापरवाही, उम्रदराज पुल आदि शामिल है, इसके अलावा प्राकृतिक आपदा भी पुल गिरने की अहम वजह है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, 80.30 पुल गिरने की घटनाएं प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होती है. इसके बाद 10.10 फीसदी घटनाएं खराब मैटेरियल, 3.28 फीसदी ब्रिज ओवरलोडिंग और 2.19 फीसदी ह्यूमन मेड डिजास्टर्स की वजह से होती है. साथ ही बालू खनन भी पुल गिरने के कारणों में से एक है.
Bridges being : पुल गिरने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2012 से 2021 तक पुल गिरने से 285 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें साल 2012 में 62, 2013 में 53, 2014 में 12, 2015 में 24, 2016 में 47, 2017 में 10, 2018 में 34, 2019 में 26, 2020 में 10, 2021 में 5 लोगों की मौत हो गई थी.
साल 2022 में गुजरात के मोरबी में एक पुल गिरने का हादसा हुआ था, जब  मच्छु नदी में बने पूल के टूटने से 141 लोगों की मौत हो गई थी. उधर एक दर्जन पुल गिरने के बाद बिहार सरकार नींद से जाग गई है आज बिहार सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए 15 इंजीनियर सस्पेंड कर दिये.
Bridges being : 15 अभियंताओं को निलंबित
बिहार में पिछले दिनों विभिन्न जिलों में  एक दर्जन पुल-पुलियों के गिरने और धंसने के मामले में सरकार ने शुक्रवार को 15 अभियंताओं को निलंबित कर दिया. इसमें जल संसाधन विभाग के 11 और ग्रामीण कार्य विभाग के अन्य चार शामिल हैं.
रिपोर्ट बयान करती है कि 18 जून से अब तक राज्य भर में किशनगंज , अररिया , मधुबनी , पूर्वी चंपारण, सीवान और सारण में 10 पुल ढह गए हैं या धंस गए हैं. 9 पुलों-पुलियों में से चार अकेले सीवान में गिरे थे.
Bridges being : दोषी ठेकेदारों और बनाने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट
कारण बताओ नोटिस जारी करने तथा दोषी ठेकेदारों और बनाने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट में डालने की प्रक्रिया शुरू करने के अलावा सरकार उनमें से कुछ का पेमेंट भी रोक रही है.सरकार ने कहा कि राज्य के अलग-अलग जिलों में कुल 9 पुल और पुलिया ढह गई हैं. इनमें से 6 पुल और पुलिया बहुत पुरानी थीं और तीन पुल और पुलिया ऐसे थे जो बन ही रहे थे.
Bridges being : जल संसाधन विभाग ने एग्जीक्यूटीव इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर समेत 11 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया. ग्रामीण कार्य विभाग ने भी अपने चार वर्तमान एवं पूर्व इंजीनियरों को अपना काम सही से नहीं करने और लापरवाही बरतने की वजह से सस्पेंड कर दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले बिहार में सभी बनने वाले पुलों और पुराने पुलों के संबंध में दो हफ्ते के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी थी.
बिहार में पुलों के गिरने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका में उन सभी छोटे और बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के आदेश देने की मांग की गई है जो अभी और हाल के वर्षों में बने हैं.
इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि, ‘पिछले 2 सालों में दो बड़े पुल और कई छोटे पुल बनते ही या फिर निर्माण के दौरान ढह गए हैं।’ याचिका में पिछले 2 सालों में हुई पुलों की घटनाओं का जिक्र किया गया है। याचिका के मुताबिक पिछले दो साल में बिहार में 12 पुलों के गिरने की घटना सामने आई है.
Bridges being : नेशनल हाइवे पर 1,72,517 बड़े और छोटे पुल और पुलिया हैं
भारतीय पुल प्रबंधन प्रणाली (आईबीएमएस) की रिपोर्ट के हिसाब से नेशनल हाइवे पर 1,72,517 बड़े और छोटे पुल और पुलिया हैं. इनमें से 1,34,229 पुलिया, 32,806 छोटे पुल, 3,647 बड़े पुल और 1,835 अतिरिक्त लंबे पुल हैं. साथ ही इनमें करीब 30 फीसदी पुलिया, 12-15 फीसदी छोटे पुल, 8-10 फीसदी बड़े पुल और 5 फीसदी अतिरिक्त लंबे पुल खराब स्थिति में हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश भर में पुलों के गिरने की घटनाओं में कमी आई है.
Bridges being : 2012-2013 में पुल गिरने की घटनाएं औसतन 45 थीं जो 2021 में घटकर आठ हो गईं। बिहार सरकार के मुताबिक इन पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्यान्वयन से संबंधित दोषी जल संसाधन विभाग के 11 अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है.
इनमें कार्यपालक अभियंता अमित आनन्द और कुमार ब्रजेश, सहायक अभियंता राजकुमार, चन्द्रमोहन झा, सिमरन आनन्द और नेहा रानी तथा कनीय अभियंता मो. माजिद, रवि कुमार रजनीश, रफीउल होदा अंसारी, रतनेश गौतम तथा प्रभात रंजन शामिल हैं
Bridges being : जबकि, 18 जून को अररिया में पुलिया क्षतिग्रस्त मामले में निर्मल कुमार (मुख्य अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, पूर्णिया) की अध्यक्षता में जांच दल का गठन कर क्षतिग्रस्त पुल की जांच कराई गई है. क्षतिग्रस्त पुल के निर्माण कार्य में कर्तव्यहीनता बरतने के फलस्वरूप ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता अंजनी कुमार, आशुतोष कुमार रंजन तथा कनीय अभियंता वीरेन्द्र प्रसाद और मनीष कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.
इन घटनाओं ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। नीतीश सरकार विपक्ष के साथ आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है कि इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए। भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर राज्य के सड़क निर्माण और भवन निर्माण मंत्री रहते हुए पुल रखरखाव के लिए मजबूत नीति नहीं बनाने का आरोप लगाया.
वहीं उन्होंने  कहा ये केतली को काले बताने के जैसा मामला है. आरजीडी नेता तेजस्वी यादव ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन पिछले 20 दिनों में राज्य में एक दर्जन से ज्यादा पुल गिर गए हैं.
उधर सरकार के केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने बिहार में पुलों का लगातार गिरने की घटनाओं के पीछे साजिश की आशंका व्यक्त की है। वह मानते हैं कि यह चिंता का विषय है. लेकिन, 15 दिन या एक माह पहले पुल क्यों नहीं गिर रहे थे. साजिश के तहत इस तरह की घटना को अंजाम दिया जा रहा है. इससे सरकार को बदनाम करने का प्रयास विरोधियों की ओर से किया जा रहा है.
उक्त बातें केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि क्योंकि पहले बिहार में शायद ही एक-दो पुल गिरा करते थे, लेकिन लगातार इस तरह का घटना इशारा करती है कि इसके पीछे कोई साजिश है. सरकार इसे लेकर सख्त है. इंजीनियर और ठेकेदार पर कार्रवाई हो रही है, जो लोग भी इसके पीछे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
Bridges being : यह तथ्य भी सामने आया है कि हाल ही में नदियों नहरों की गाद सफाई का काम किया गया था आशंका है कि गाद की सफाई के दौरान जानबूझकर पुलों की आधार पिलर्स की नीवं के आसपास खुदाई कर दी गई बारिश होते ही पानी के बहाव से पिलर्स की खोदी गई जडों की नीव कटने से पुल हवा में झूलने लगे और धड़ाम बहने लगे।
सरकार इन बिंदुओं पर जांच करा रही है कि आखिर एक साथ इतने पुल कैसे गिर रहे हैं? देखना है कि यह कोई गहरी साजिश के तहत किया जा रहा कारनामा है या भ्रष्टाचार की नंगी होती तस्वीर है?
मनोज कुमार अग्रवाल 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)