Bilva patr : भगवान शिव को एक बिल्व पत्र चढ़ाने की महिमा !

Bilva patr
Bilva patr

 अध्यात्म | Bilva patr :  परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने आज भगवान शिव की महिमा का वर्णन करते हुए ।

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधा युतम्।
त्रिजन्मपाप संहारं एकं बिल्व शिवार्पणम् ॥

यह बताएं कि तीन दल अर्थात बिल्व पत्र के रूप में अपना मन, बुद्धि ,अहंकार को अर्पित करना ,जो तीनों गुणों से पार है, तम, रज , सत इन सबसे अलग ऊपर है, बिल्व पत्र चाहे ताजा हो , सुखा हो या कड़ा हो जो भी मेरे ऊपर चढ़ाते हैं उसको मैं स्वीकार करता हुं,अर्थात बच्चा ,जवान, बुढ़ापा सब अवस्था में भगवान की ही भक्Bति करना चाहिए,भगवान सबको स्वीकार करते हैं और तीन जन्मों का पाप नष्ट करते हैं ।

बिल्व पत्र और आध्यात्मिक अर्थ

Bilva patr :  वह बिल्व पत्र के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। हिंदू धर्म में बिल्व पत्र को भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। इसे चढ़ाना एक पवित्र अनुष्ठान है जिसका गहरा आध्यात्मिक अर्थ है।

Bilva patr :  श्लोक का सार

  • तीन दल: बिल्व पत्र के तीन दल मन, बुद्धि और अहंकार का प्रतीक हैं। ये तीनों मनुष्य के अंदर विकारों का कारण बनते हैं।
  • तम, रज, सत: ये तीन गुण हैं जिनसे संसार बना है। तम अज्ञानता, रज राग-द्वेष और सत ज्ञान का प्रतीक है।
  • ताजा, सुखा या कड़ा: बिल्व पत्र की अवस्था चाहे जो भी हो, भगवान उसे स्वीकार करते हैं। यह दर्शाता है कि भगवान किसी भी रूप में भक्ति को स्वीकार करते हैं।
  • बच्चा, जवान, बुढ़ापा: किसी भी अवस्था में भगवान की भक्ति करनी चाहिए।
  • तीन जन्मों का पाप: भगवान की भक्ति करने से तीन जन्मों का पाप नष्ट हो जाता है।

Bilva patr :  श्लोक का गहरा अर्थ

  • आत्म समर्पण: बिल्व पत्र के तीन दलों को अर्पित करके, हम अपने मन, बुद्धि और अहंकार को भगवान को समर्पित कर रहे हैं।
  • गुणों से ऊपर उठना: भगवान तम, रज और सत गुणों से परे हैं। उनकी भक्ति करने से हम इन गुणों के बंधनों से मुक्त हो सकते हैं।
  • निष्काम भक्ति : भगवान किसी भी रूप में भक्ति को स्वीकार करते हैं। यह निष्काम भक्ति का महत्व बताता है।
  • सर्वकालिक भक्ति : किसी भी अवस्था में भगवान की भक्ति करनी चाहिए। यह दर्शाता है कि भक्ति एक निरंतर प्रक्रिया है।
  • मोक्ष का मार्ग : भगवान की भक्ति मोक्ष का मार्ग है। यह तीन जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाती है।

Read More:  Shravan month special : देवों के देव महादेव जिनका प्रत्येक श्रृंगार हमें कुछ ना कुछ प्रेरणा देती है

Bilva patr :  ओंकार के बीच में तीनों एक

इसलिए जल में डूबा कर भगवान को बिल्वपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए। ब्रह्मा विष्णु सदा शिव…लोग तीनों को अलग-अलग समझते हैं किंतु यह तीनों एक ही है इनका कार्य अलग है ओंकार के बीच में तीनों एक ही है।

Bilva patr : भगवान शिव को एक बिल्व पत्र चढ़ाने की महिमा !

Bilva patr :  भगवान शिव को दूध, जल, शहद, भस्म चढ़ाने का महत्व

हालाहल पान करने के उपरांत भगवान शिव का शरीर तपने लगा,ज्वाला उत्पन्न होने लगी फिर उस अग्नि को शांत करने के लिए दूध, जल,शहद, भस्म चढ़ाया गया फिर शरीर की ज्वाला शांत हुई फिर समाधि में लग गए। इस समय से यह प्रथा चल गई कि भगवान को यह सब अर्पित किया जाता है।

विषपान के उपरांत भगवान के शरीर में ज्वाला उत्पन्न होने लगा,उसे शांत करने के लिए दूध चढ़ाया जाता है,भगवान शुद्ध चित आनंद में डूबे रहे , दूध पान करने से सर्प का विष शांत होता है पूरे महीने शिव को समर्पित किया गया है।

Bilva patr अधिक वर्षा करके पृथ्वी की ज्वाला शांत करते हैं,जब भगवान शयन मुद्रा में होते हैं शिव का कार्य बढ़ जाता है संहार करने का कार्य राक्षसी प्रवृत्ति को समाप्त करना। हम पूरे समय भगवान की पूजा नहीं कर पाते इसलिए कम से कम सोमवार को भगवान का व्रत करके विधि विधान से पूजन जरूर करना चाहिए।

Bilva patr : भगवान शिव को एक बिल्व पत्र चढ़ाने की महिमा !

बिल्व पत्र चढ़ाने की महिमा

बिल्व पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में इसे शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। एक बिल्व पत्र चढ़ाने मात्र से भी भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि एक बिल्व पत्र चढ़ाने की क्या महिमा है:

  • शिव की कृपा: एक बिल्व पत्र चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  • पापों का नाश: बिल्व पत्र चढ़ाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: बिल्व पत्र चढ़ाने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  • शिव तत्व का आशीर्वाद: बिल्व पत्र शिव तत्व का प्रतीक है। इसे चढ़ाने से भक्तों को शिव तत्व का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सभी देवताओं का आशीर्वाद: बिल्व पत्र चढ़ाने से सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

बिल्व पत्र चढ़ाने की विधि

  • सबसे पहले बिल्व पत्र को गंगा जल से धोकर साफ करें।
  • फिर बिल्व पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
  • बिल्व पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद जल अर्पित करें।

क्यों है बिल्व पत्र इतना खास ?

  • बिल्व पत्र में त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।
  • बिल्व पत्र में तीन पत्तियां होती हैं जो त्रिगुणों – सत्व, रज और तम का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • बिल्व पत्र में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।

Read More:  Lord Shiva : भगवान शिव 11 बच्चों के पिता 3 पुत्री 8 पुत्र जाने रोचक कथा आखिर कौन हैं शिवजी की बेटी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here