देवबंद 11 अक्टूबर । amir khan muttaqi devband : अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी हफ्ते भर के लिए भारत दौरे पर है। इस बीच उनकी मुलाकात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से हुई । अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी ने जयशंकर से मुलाकात के दौरान भारत को अफगानिस्तान का अच्छा दोस्त बताया है मुत्ताकी ने इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम बताया ।
विदेश मंत्री मुत्ताकी को ऐतिहासिक दारुल उलूम देवबंद का दौरा
amir khan muttaqi devband : अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी शनिवार को ऐतिहासिक दारुल उलूम देवबंद का दौरा करेंगे। इस दौरान वे संस्थान के मोहतमिम (वीसी) मुफ्ती अब्दुल कासिम नोमानी, मौलाना अरशद मदनी और अन्य कई मदरसा शिक्षकों से मुलाकात करेंगे। मुत्ताकी दारुल उलूम परिसर का भ्रमण करेंगे, मस्जिद में नमाज अदा करेंगे और कक्षाओं में बैठकर हदीस की पढ़ाई की प्रक्रिया को भी देखेंगे।
विदेश मंत्री मुत्ताकी की शैक्षिक मुद्दों पर विचार-विमर्श होने की संभावना
amir khan muttaqi devband : दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक मुत्ताकी, मौलाना अरशद मदनी और अन्य शिक्षकों की तक़रीर (भाषण) आयोजित की जाएगी, जिसमें धार्मिक और शैक्षिक मुद्दों पर विचार-विमर्श होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि अफगान विदेश मंत्री का यह दौरा भारत-अफगान धार्मिक एवं सांस्कृतिक संबंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
धार्मिक और कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है यह दौरा
amir khan muttaqi devband : तालिबान नेता यह दौरा धार्मिक और कूटनीतिक दोनों ही दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण है। यह यात्रा पाकिस्तान के उस दावे को चुनौती देती है, जिसमें पाकिस्तान खुद को देवबंदी इस्लाम का संरक्षक और तालिबान का मुख्य समर्थक बताता है। मुत्ताकी की देवबंद यात्रा से यह संदेश जाता है कि तालिबान की धार्मिक जड़ें भारत में हैं, न कि पाकिस्तान में।
इसका मतलब है कि तालिबान अपनी राजनीति और कूटनीति में पाकिस्तान पर निर्भरता कम करके भारत की तरफ रुख कर रहा है। 1866 में देवबंद की नींव रखी गई और यह दारुल उलूम जैसे इस्लामी संस्थान का जन्मस्थल है।
amir khan muttaqi devband : देवबंद में पढ़ते हैं अफगानिस्तान के छात्र
जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान (तालिबान) के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी आज शनिवार को दारुल उलूम देवबंद पहुंचेंगे। उनका आगमन लगभग सुबह 11 बजे होने की संभावना है।
फिलहाल दारुल उलूम में अफगानिस्तान के करीब 15 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वर्ष 2000 के बाद भारत द्वारा लागू किए गए सख्त वीज़ा नियमों के कारण अफगान छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है। पहले जहां सैकड़ों अफगान छात्र यहां पढ़ाई करने के लिए आते थे, वहीं अब उनकी संख्या काफी घट गई है।
amir khan muttaqi devband : तालिबान दारुल उलूम देवबंद को अपना आदर्श संस्थान मानता है
गौरतलब है कि तालिबान विचारधारा के दृष्टिकोण से दारुल उलूम देवबंद को अपना आदर्श संस्थान मानता है। देवबंद से पढ़े छात्रों को अफगानिस्तान सरकार में भी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है। इतिहास में इससे पहले 1958 में अफगानिस्तान के बादशाह मोहम्मद ज़ाहिर शाह ने भी दारुल उलूम का दौरा किया था। उनके सम्मान में संस्थान में एक द्वार बनाया गया है, जिसे “बाब-ए-ज़ाहिर” नाम दिया गया है।
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