बिहार चुनाव 2025 से पहले आचार्य प्रशांत का आह्वान : यांत्रिक वोट नहीं, जागृत वोट

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Acharya Prashant's call before Bihar
Acharya Prashant's call before Bihar

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर । Acharya Prashant’s call before Bihar : बिहार चुनाव नज़दीक हैं। इस अवसर पर दार्शनिक और लेखक आचार्य प्रशांत ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वोट को जागृति का एक अवसर मानें, न कि सिर्फ़ एक रूटीन लोकतान्त्रिक प्रक्रिया।

सरकार की गुणवत्ता उसे चुनने वाले लोगों से अधिक नहीं हो सकती

Acharya Prashant’s call before Bihar : आचार्य प्रशांत ने कहा, “किसी भी सरकार की गुणवत्ता उसे चुनने वाले लोगों की गुणवत्ता से अधिक नहीं हो सकती। जब लोग आदत, जाति या गुस्से को आधार बनाकर वोट देते हैं, तो चुनाव मात्र एक रस्म अदायगी बनकर रह जाते हैं। सोया हुआ मन सोती हुई व्यवस्था को ही जन्म देता है।”

बिहार की त्रासदी केवल आर्थिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक

Acharya Prashant’s call before Bihar : आचार्य प्रशांत ने कहा कि बिहार की त्रासदी केवल आर्थिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक है। “बिहार की त्रासदी यह नहीं कि वह गरीब है; बल्कि यह है कि वह जागना नहीं चाहता। धन की गरीबी बाहर से मिटाई जा सकती है, पर बोध और आत्मज्ञान की गरीबी नहीं।”

बिहार के घाव शासन के नहीं, दृष्टिकोण के हैं

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने बिहार की लगातार बनी रहने वाली चुनौतियों जैसे पलायन, बेरोजगारी, कमजोर शासन और खराब शिक्षा को मतदाताओं में जागरूकता की कमी से जोड़ते हुए कहा, “हर आंकड़ा हमारे सामूहिक मन का दर्पण बनकर सामने आता है। बिहार के घाव शासन के नहीं, दृष्टिकोण के हैं।”

बिहार की प्रति व्यक्ति आय रुपया 54,000 प्रति वर्ष

Acharya Prashant’s call before Bihar : सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय लगभग रुपया 54,000 प्रति वर्ष है, जो देश में सबसे कम है, जबकि हर साल 25 लाख से अधिक लोग रोजगार की तलाश में राज्य छोड़ते हैं। साक्षरता दर लगभग 71 प्रतिशत है (महिला साक्षरता लगभग 61 प्रतिशत), और महिला श्रम-बल भागीदारी दर मुश्किल से 25 प्रतिशत है।

Acharya Prashant’s call before Bihar : बिहार का पुनर्निर्माण उस कक्षा का पुनर्निर्माण

“बिहार की जिस भूमि ने संसार को बुद्ध दिए, वही आज अपने बच्चों को एक अच्छा स्कूल, एक उचित क्लासरूम भी नहीं दे पा रही है। बिहार का पुनर्निर्माण उस कक्षा का पुनर्निर्माण है, उस स्कूल का पुनर्निर्माण है जो बिहार के वासियों को शिक्षा से समृद्ध कर सके। किसी मनुष्य के साथ सबसे बड़ा अन्याय यह है कि उसे अशिक्षित रखा जाए, क्योंकि तब वह यह भी नहीं जान पाता कि वह कितने तरह से बंधनों में बंधा हुआ है।”

शिक्षा की उपेक्षा बेरोजगारी;अपराध को जन्म देती है

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने कहा कि किसी एक क्षेत्र की उपेक्षा बाकी सभी को संक्रमित कर देती है। “शिक्षा की उपेक्षा बेरोजगारी को जन्म देती है; बेरोजगारी अपराध को; और अपराध अंततः ऊँचा उठने की इच्छा को ही मार देता है। जब मतदाता भीतर से अचेत व अज्ञानी होता है, तो हर क्षेत्र उसी अज्ञान से पूरित अव्यवस्था को अलग-अलग रूप में दर्शाता है।”

बिहार सबसे अधिक लंबित न्यायिक मामलों वाले राज्य

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने कानून-व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य सेवाओं में जारी चुनौतियों को रेखांकित किया। बिहार अब भी भारत में सबसे अधिक लंबित न्यायिक मामलों वाले राज्यों में है, और प्रति व्यक्ति बिजली खपत राष्ट्रीय औसत का मात्र एक-तिहाई है। “जो प्रगति अंतिम घर तक नहीं पहुँचती, वह सिर्फ़ शाब्दिक सजावट भर रह जाती है,” उन्होंने कहा। “भीतर की अव्यवस्था के चलते बाहरी ढाँचा भी धीरे-धीरे अव्यवस्थित होकर टूट जाता है।”

Acharya Prashant’s call before Bihar : अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि

अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि पर आगाह करते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था जनसंख्या वृद्धि की दर से तेज नहीं दौड़ सकती। बिहार की जनसंख्या घनत्व 1,200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत का लगभग तीन गुना है। “जब जनसंख्या शिक्षा, रोजगार या स्वास्थ्य के अनुपात में नहीं बढ़ती, तो हर सुधार निष्फल हो जाता है,” उन्होंने कहा। “महिलाओं की शिक्षा और परिवार नियोजन किसी सहानुभूति के चलते नहीं बल्कि जीवित रहने की ही शर्त है।”

Acharya Prashant’s call before Bihar : समाज की परिपक्वता का सबसे सटीक

उन्होंने कहा कि स्त्री की स्थिति ही समाज की परिपक्वता का सबसे सटीक पैमाना है। “स्त्री की स्वतंत्रता कोई सामाजिक मुद्दा नहीं; यह किसी सभ्यता के मूल का थर्मामीटर है। उसी घर में जहाँ देवियों की पूजा होती है, बेटियों को सुरक्षा के नाम पर कैद किया जाता है।”

बिहार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार दफ्तरों में नहीं, दिमागों में है

Acharya Prashant’s call before Bihar : निर्वाचन व्यवहार पर बोलते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा कि बिहार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार दफ्तरों में नहीं, दिमागों में है। “जाति, मुफ्तखोरी, गुस्सा और भावनाएँ अब भी मतदाता की उँगली को निर्देशित करते हैं। मन प्रतिदिन आराम को विवेक के ऊपर, लालच को कृतज्ञता के ऊपर चुनता है; ईवीएम तो केवल उस भीतरी अज्ञान का अंतिम दृश्य है।”

मतदाताओं उदासीन न हों बल्कि विवेक से काम लें

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने मतदाताओं से कहा कि वे उदासीन न हों बल्कि विवेक से काम लें। “यदि कोई प्रत्याशी योग्य न दिखे, तो सही तरीका पूर्णता खोजने का नहीं बल्कि अयोग्यता को हटाने का है, जैसे परीक्षा में करते हैं। जो स्पष्ट रूप से अयोग्य हैं, जो भ्रष्ट हैं, हिंसक हैं, विभाजनकारी हैं, उन्हें हटाओ। जो बचें, उनमें से उस एक को चुनो जो सबसे कम हानिकारक हो, जो अब भी समझ और झूठ के नकार को तरजीह देता हो।”

चाटुकारिता से सावधान रहने की चेतावनी

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने चाटुकारिता से सावधान रहने की चेतावनी दी। “उनसे सावधान रहो जो केवल वही कहते हैं जो तुम सुनना चाहते हो। जो नेता असुविधाजनक सत्य बोलने का साहस रखता है, वही वास्तव में तुम्हारे वोट का अधिकारी है। जो तुम्हारी चापलूसी करता है, वही तुम्हारा शोषण करने की तैयारी कर रहा होता है।”

विरासत की पूजा नहीं, उसे जीना चाहिए

Acharya Prashant’s call before Bihar : बिहार की सांस्कृतिक विरासत पर विचार करते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा कि विरासत की पूजा नहीं, उसे जीना चाहिए। “बिहार की विरासत उज्ज्वल है: बुद्ध, महावीर, नालंदा। पर उज्ज्वल स्मृति जीवित समझ का पर्याय नहीं होती। ज्ञान तभी जीवित रहता है जब वह भीतर के झूठ को काटे। जैसे ही वह विरासत, नारा या परंपरा बन जाता है, वह मुक्त नहीं करता, कमजोरियों को ढकने का साधन बन जाता है।”

विरासत की जीवंतता आचरण में दिखनी चाहिए

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने कहा, “विरासत की जीवंतता आचरण में दिखनी चाहिए, दैनिक जीवन में दिखनी चाहिए और दिखनी चाहिए सार्वजनिक जीवन की ईमानदारी में, महिलाओं की सुरक्षा में, उन विद्यालयों में जो सच्ची जिज्ञासा करना सिखाएं, और न्यायालयों में जो न्याय दें। अन्यथा जिसे हम विरासत कहते हैं, वह केवल एक बहाना है।”

Acharya Prashant’s call before Bihar : बिहार का असली परिवर्तन मानव मन

उन्होंने आगे कहा कि बिहार का असली परिवर्तन मानव मन से ही शुरू होगा। “हर बाहरी परिवर्तन किसी आंतरिक परिवर्तन से शुरू होता है। यदि हम पहले अपने भीतर के मतदाता को नहीं सुधारते, तो बाहर की व्यवस्था पुराने ढर्रे दोहराती रहेगी।”

बिहार तब उठेगा जब उसके नागरिक बल्कि जागरण के उद्देश्य से वोट देंगे

Acharya Prashant’s call before Bihar : उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि आने वाले चुनाव को जागरूकता की ज़िम्मेदारी समझें। “बिहार तब उठेगा जब उसके नागरिक अर्थहीन खुशी मनाने के लिए नहीं, बल्कि जागरण के उद्देश्य से वोट देंगे। यहाँ यह समझना अत्यंत प्रासंगिक है कि असली चुनाव दलों के बीच नहीं है; यह चुनाव स्पष्टता और भ्रम के बीच है, प्रकाश और अंधकार के बीच है, जागरण और जड़ता के बीच है।” (आईएएनएस)

 


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