आरी तुतारी;6 अप्रैल । Aari Tuutari Satire Now : ऊर्जा चाहे वह किसी भी रूप में हो एक दोधारी तलवार की तरह होती है। यह हमें सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों को करने की शक्ति देती है, नई चीजें बनाने और प्रगति करने में मदद करती है। कोयला भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिससे बिजली उत्पादन और औद्योगिक विकास संभव हुआ है।
ऊर्जा स्वयं में न तो सकारात्मक है और न ही नकारात्मक
Aari Tuutari Satire Now : लेकिन जब यही ऊर्जा नकारात्मकता से भर जाती है, जैसे कि भ्रष्टाचार, लालच और हिंसा, तो यह विनाशकारी परिणाम ला सकती है। छत्तीसगढ़ के कोयलांचल (Koyelaanchal) में जो कुछ हो रहा है, वह इसी नकारात्मक ऊर्जा का उदाहरण है। कोयले से प्राप्त होने वाले धन का दुरुपयोग, अवैध गतिविधियाँ और आपसी टकराव बड़ी-बड़ी घटनाओं को जन्म दे रहे हैं, जिससे सामाजिक अशांति और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो रही है।
Aari Tuutari Satire Now : यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा स्वयं में न तो सकारात्मक है और न ही नकारात्मक। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसका उपयोग किस प्रकार करते हैं और किस मंशा से करते हैं। जब ऊर्जा का उपयोग ईमानदारी, पारदर्शिता और सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है, तो यह विकास और समृद्धि लाती है। लेकिन जब यह स्वार्थ, भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों से जुड़ जाती है, तो यह विनाश और दुख का कारण बनती है।
Aari Tuutari Satire Now : कोयले से जुड़ी कमाई में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार
आज छत्तीसगढ़ की ऊर्जा नगरी कोरबा और पूरे देश में कोयला कारोबार से जुड़े भ्रष्टाचार की काले खेल की गंभीर तस्वीर दिखाता है। सच यह है कि कोयलांचल क्षेत्रों में कोयले से जुड़ी कमाई में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जिसमें विभिन्न स्तरों पर सरकारी तंत्र चाहे वो मुख्यमंत्री स्तर के हों, या आईएएस, आईपीएस अधिकारी, छोटे-बड़े नेता अन्य रसूखदार लोग किसी न किसी रूप में इस “काली कमाई” की कोठरी में डुबकी लगाने की होड़ में लगे हुए हैं।
Aari Tuutari Satire Now : “कोयले की काली कमाई” काजल की कोठरी’ बन चुकी
“कोरबा के कोयले की काली कमाई से जुड़ी व्यवस्था ऐसी ‘काजल की कोठरी’ बन चुकी है, जहां जो भी जाता है, उसके दामन पर कालिख लगना तय है। चाहे वह अफसर हो, नेता हो या व्यापारी।”
पदस्थापनाएं अब योग्यता या अनुभव पर नहीं बल्कि ‘सौदेबाज़ी’ पर तय हो रही हैं। मनचाहे पदों पर नियुक्ति के लिए मोटी रकम का लेनदेन और इस “काली कमाई” में हिस्सेदारी के लिए अंदरूनी टकराव भी चिंताजनक हैं। पाली में ट्रांसपोर्टरों के बीच हुई हिंसक झड़प और एक ट्रांसपोर्टर की मौत इस समस्या की भयावहता को दर्शाती है।
Aari Tuutari Satire Now : गंदे खेल में सरकार बदनाम
चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंदे खेल में न सिर्फ वर्तमान सरकार, बल्कि पिछली सरकार भी उतनी ही बदनाम रही है। आज भी पिछली सरकार से जुड़े कई रसूखदार जेल की सलाखों के पीछे हैं। इससे साफ़ जाहिर होता है कि यह समस्या किसी एक दल या शासन तक सीमित नहीं है, बल्कि एक गहरी और पुरानी बीमारी बन चुकी है, जिसने तंत्र की जड़ों को जकड़ लिया है।
Aari Tuutari Satire Now : चौथा स्तंभ भी इस काले खेल की कालिख से अछूता नहीं
सबसे दुखद पहलू यह है कि मीडिया, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, वह भी इस काले खेल की कालिख से अछूता नहीं रहा। कुछ मीडिया संस्थानों या व्यक्तियों पर आरोप लगते रहे हैं कि वे इस भ्रष्ट व्यवस्था के हिस्सेदार बन गए हैं, जिससे जनता के सामने सच आने का रास्ता भी धुंधला पड़ने लगा है।
Aari Tuutari Satire Now : यह नासूर प्रदेश की पूरी व्यवस्था को ग्रस सकता
आज ज़रूरत इस बात की है कि कोयले की इस काली कमाई पर लगाम कसने के लिए एक निष्पक्ष, निर्भीक और कठोर अभियान चलाया जाए, वरना आने वाले समय में यह नासूर बनकर प्रदेश की पूरी व्यवस्था को ग्रस सकता है। जिसमें सरकार, प्रशासन, नागरिक समाज और मीडिया सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
Aari Tuutari Satire Now : ये कविता इस पर सटिक बैठता है !
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल-कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लोह-शृंखला काली,
माखनलाल चतुर्वेदी जी ये कविता इस पर सटिक बैठता है ! लेकिन ये कविता “कैदी और कोकिला”, महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी द्वारा रचित है और यह स्वतंत्रता सेनानियों के कारावास के कष्टों और कोकिला के माध्यम से उनकी व्यथा को अत्यंत मार्मिक ढंग से व्यक्त करती है।
मैने इस कविता का उदाहरण इस लिए दिया की यहाँ भी काली शब्द निराशा और अंधकार का प्रतीक है।
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