विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार..

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गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरु जी)

अध्यात्म, कल्पना शुक्ला | श्रीराम जन्मोत्सव : परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरु जी) प्रयागराज ने कथा में यह बताएं कि जब-जब इस धरती पर अधर्म बढ़ जाती है ,धर्म की हानि होने लगती है, तब-तब अधर्म का नाश करने तथा धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान इस धरती पर अवतार लेते हैं , प्रगट होते हैं। भगवान ब्राह्मणों के लिए ,गौ माता के लिए ,सज्जनों के लिए और संत की रक्षा के लिए इस धरती पर प्रकट होते हैं । ब्राम्हण का अर्थ किसी जाति समुदाय से नहीं अपितु जो भगवान के संदेश को जन-जन तक पहुंचाते हो जो धर्म का कार्य करते हो ,सत्य बोलता हो,ब्रम्ह की तरह आचरण करता हो वह ब्राहण है।

भगवान जन्म नहीं लेते है,भगवान का जन्म नहीं होता है भगवान प्रगट होते हैं अभी तक अप्रगट है अदृश्य थे, छिपे हुए थे लेकिन प्रेम ने प्रकट कर दिया ।

भगवान अदृश्य है हम सब के प्रेम से प्रगट हो जाते हैं। प्रेम ते प्रकट होई मैं जाना….

भगवान जग निवास है अर्थात सभी जगह भगवान है, पितांबर धारी हाथ में धनुष बाण लिए चतुर्भुज रूप में माता कौशल्या के घर में प्रकट होते हैं।ब्रम्ह आदेश पालन करने के लिए धरती पर आते हैं, सेवा भाव से भगवान आते हैं ,सेवा करने के लिए आते हैं ,आते ही भगवान ने पूछा – माता का क्या आदेश है ? और भगवान राम सब की बात मानने वाले हैं जिसने जो कहा वही मानते हैं विरोध किसी का नहीं करते है विश्वामित्र ने कहा चरण दे दो इस पत्थर को , चरण दे देते हैं,अहिल्या का उद्धार हो जाता है, तड़िका के लिए कहा बाण चला दो ,बाण चला देते हैं ,धनुष उठा लो उठा देते है, बाल्मीकि ने कहा चित्रकूट चले जाओ चले जाते हैं केवट ने कहा चरण धोना है चरण दे देते है, कोलभीड़ ने कहा कंदमूल फल ले लो , ले लेते हैं , शबरी ने कह दिया पम्पासर चले जाओ चले जाते हैं जटायु ने शिक्षा दी जटायु की बात मान लिए और वानर भालू ने जो कह दिया वही मान लेते है, सब की सेवा सब के आदेश का पालन करते हैं।

विभिषण ने कहा प्रार्थना कीजिए, समुद्र देव से प्रार्थना करते हैं, भगवान हर जगह मर्यादा का पालन करते हैं इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम है, इस संसार में जगत में भक्तों की इच्छा पूरी करने के लिए आदेश का पालन करने के लिए सबका कार्य करने के लिए पूछते हैं माता क्या आदेश है ? माता ने आदेश दिया। शिशु बन जाओ,शिशु बन जाते हैं यह संकेत देते है कि माँ के सामने बेटा कितना भी बड़ा हो लेकिन मां के सामने छोटा ही रहता है कितना बड़ा हो जाय,माँ के सामने छोटा ही रहता है।

 

 

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