पटना
बिहार में इस साल बेमौसम बरसात और जरूरत से ज्यादा हुई बारिश व बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पहले से ही कृषि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे किसानों को इस बार बारिश और बाढ़ के चलते काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस साल मई महीने में आए समुद्री तूफान और बारिश के बाद से हालात इतने बदतर बने हुए हैं कि किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो गया है। इससे खेतों में खड़ी फसलें चौपट हो गईं और अब इन खेतों में पानी लगे हुए है जिससे खेती-किसानी ठप्प हो गया है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
तीन-तीन बार आ गई बाढ़
पूर्वी चंपारण के किसान नेता सुधीर कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, “बाढ़ और बारिश से हमलोगों के इलाके का निचला हिस्सा तो पहले ही डूब गया और ज्यादा बारिश होने पर ऊपरी हिस्सा भी डूब गया जिससे सभी फसल चौपट हो गई। यहां तो काफी भयंकर बाढ़ आ गई। एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार आ गई इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है। धान की खड़ी फसल पानी के चलते जमीन पर गिर गई और बर्बाद हो गई। सुगौली, रक्सौल, मेहसी, मोतिहारी और अन्य तमाम इलाकों में किसानों की फसलें चौपट हो गई। इस मुद्दे पर हमने इस महीने की शुरूआत में क्लेक्टर को मेमोरेंडम दिया था लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय स्तर पर हमारे अन्य साथियों ने सुगौली ब्लॉक का घेराव किया था।”
मुआवज़ा दे सरकार
बिहार के मुजफ्फरपुर के किसान नेता मो. गफ्फार ने कहा कि, “यहां बड़े पैमाने पर किसानों की फसल बर्बाद हुई। इससे किसान लचर चुके हैं। अब उनके पास खेतीबारी करने के लिए पैसे की कमी है। सरकार ने किसानों के साथ बहुत बड़ा दुर्व्यवहार किया है। केवल किसान ही नहीं बल्कि किसानों के यहां काम करने वाले मजदूर भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। हम इन मजदूरों के लिए सरकार से बराबर मांग करते रहें है कि जब तक स्थिति सुधर नहीं जाती है तब तक सरकार इनको 7,500 रूपये प्रति महीना दे ताकि उनके बच्चों और परिवार का भरण पोषण हो सके। उनके सामने जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है। सरकार किसानों को बीज, खाद जैसी कृषि से जुड़ी सभी सामग्री मुफ्त में मुहैया कराए जिससे की उनका बोझ कम हो और उनका जीवन पटरी पर लौट सके। सरकार किसानों को बर्बाद हुए फसल का जल्द से जल्द मुआवजा दे ताकि किसानों और उनसे जुड़े लोगों की समस्या दूर हो सके।”