रायपुर, 12 अक्टूबर 2025। Congress big allegation eow acb : प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने राज्य की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू/एसीबी पर गंभीर आरोप लगाए।
कांग्रेस नेताओं का बड़ा आरोप जांच एजेंसी झूठे साक्ष्य गढ़ रही
Congress big allegation eow acb : कांग्रेस नेताओं का कहना है कि एजेंसी ने “न्यायिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाते हुए” अभियुक्तों के खिलाफ झूठे साक्ष्य गढ़े हैं। जांच एजेंसी ईओडब्लू/एसीबी अभियुक्तों के खिलाफ झूठे साक्ष्य गढ़ रही है। फारेंसिक जांच से प्रमाणित हुआ कि दो अलग-अलग फॉन्ट का प्रयोग हुआ। न्यायिक प्रक्रिया की लगातार धज्जियां उड़ा रही है ईओडब्लू/एसीबी, क्या इसमें अदालतों की सहमति है?
इस मामले की निष्पक्ष जांच न हुई और दोषियों पर कार्रवाई न हुई तो लोकतंत्र का ढांचा चरमरा जाएगा। फिर कौन वकील अपने मुवक्किल को जांच एजेंसियों के चंगुल से बचा पाएगा ? दो दिन पहले वरिष्ठ वकीलों ने पत्रकारों को यह सूचना दी थी कि छत्तीसगढ़ ईओडब्लू/एसीबी के एक आपराधिक षडयंत्र का भंडाफ़ोड़ हुआ है।
जांच एजेंसी ने न्यायालयीन प्रक्रिया की इस तरह धज्जियां उड़ाई
Congress big allegation eow acb : इस मामले में इस जांच एजेंसी ने न्यायालयीन प्रक्रिया की इस तरह धज्जियां उड़ाई हैं कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें हिल जायेगी। दुर्भाग्यजनक है कि इस पूरे मामले में अदालत की भूमिका भी संदिग्ध दिखाई दे रही है और ऊंची अदालतों को इस मामले का संज्ञान लेकर तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ेगा।
अभी कुछेक मामले सामने आए हैं, हम नहीं जानते कि यह कब से हो रहा है, लेकिन अगर यह हो रहा है तो इस देश में न्याय और न्याय के लिए लड़ने वाले वकील साहेबान दोनों खतरें में हैं। हम आपके सामने लोकतंत्र का एक बड़ा मसला लेकर हाजिर हुए हैं और चाहते हैं कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में आप इसे जनता तक ले जाने में हमारी मदद करें।
Congress big allegation eow acb : कांग्रेस ने इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई
कांग्रेस ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 की धारा 164 जो कि अब BNSS की धारा 183 है, के तहत किसी भी अभियुक्त या गवाह का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया जाता है। इसे कलमबद्ध बयान भी कहा जाता है और यह एक गोपनीय दस्तावेज होता है। धारा 164 के तहत दर्ज बयान को बंद कमरे में कलमबद्ध किया जाता है।
ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अभियुक्त पर किसी तरह का दबाव न हो और वह अपनी मर्ज़ी से चाहे जो बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवा ले। इस कलमबद्ध बयान को एक लिफाफे में सील कर दिया जाता है. यह सील बंद लिफाफा तभी खोला जाता है, जब अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरु हो जाती है और उस अभियुक्त के बयान का समय आता है।
क्या है मामला
Congress big allegation eow acb : दस्तावेजों से पता चला है कि किसी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करवाने में जांच एजेंसी ईओडब्लू/एसीबी आपराधिक षडयंत्र कर रही है। नियमानुसार अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के सामने अपना मौखिक बयान कलमबद्ध करवाना होता है। यह बयान अदालत के लिपिक की ओर से दर्ज किया जाता है फिर उस पर अभियुक्त के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
लेकिन एक मामला ऐसा आया है जिसमें ईओडब्लू/एसीबी ने अभियुक्त को अदालत में तो पेश किया लेकिन उसका मौखिक बयान दर्ज करवाने की जगह पहले से एक बयान तैयार कर रखा था। ईओडब्लू/एसीबी द्वारा एक पेन ड्राइव में पहले से टाइप किया हुआ बयान लाया गया और उसी को अभियुक्त के बयान के रूप में दर्ज करवा दिया गया।
Congress big allegation eow acb : यह न्यायालयीन प्रक्रिया का घोर उल्लंघन और एक आपराधिक कृत्य है। इससे यह साबित होता है कि जांच एजेंसी न्याय प्रक्रिया को धता बताकर अन्य अभियुक्तों को फंसाने का षडयंत्र कर रही है।
Congress big allegation eow acb : कैसे मिली इसकी जानकारी
कथित कोयला घोटाले (अपराध क्रमांक – 02/2024, 03/2024) के मामले में अभियुक्त सूर्यकांत तिवारी की ज़मानत के मामले में ईओडब्लू/एसीबी की ओर से एक दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। इन दस्तावेजों में सह-अभियुक्त निखिल चंद्राकर का दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज बयान की प्रति भी लगाई गई थी। इसी प्रति से ईओडब्लू/एसीबी के आपराधिक षडयंत्र का भांडा फूटा है।
Congress big allegation eow acb : पहली बात तो यह कि जो बयान सीलबंद होना चाहिए था, वह खुला कैसे और वह सर्वोच्च न्यायालय तक कैसे पहुंचा? इसमें अदालत की भूमिका है या ईओडब्लू/एसीबी की? दूसरी बात यह कि दर्ज बयान उस भाषा में नहीं है जिस भाषा में न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत किसी अभियुक्त का बयान दर्ज होता है होती है।
यह बयान सब हेडिंग लगा-लगाकर दर्ज किया गया है और इतना लंबा है कि इसे दर्ज करने में लंबा समय लग सकता है. जबकि रिकॉर्ड बता रहा है कि अभियुक्त निखिल चंद्राकर अदालत में इतने लंबे समय तक रहा ही नहीं। दरअसल यह वही भाषा है जिसका उपयोग आमतौर पर जांच एजेंसी ईओडब्लू/एसीबी करती है। तीसरी बात यह कि इस बयान में जो फॉन्ट उपयोग में आया है, वह अदालत में उपयोग हाने वाला फॉन्ट नहीं है।
Congress big allegation eow acb : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ की अदालतों को निर्देश दिए हैं कि अदालत की ओर से तैयार होने वाले दस्तावेजों में सिर्फ़ एक ही फॉन्ट ऊबन्तू का प्रयोग किया जाए। इस दस्तावेज में प्रयोग किया गया फॉन्ट वह है ही नहीं, दूसरा है. तो यह फॉन्ट कहां से आया और किसने लाया. ज़ाहिर है कि यह फॉन्ट ईओडब्लू/एसीबी की ओर से पेन ड्राइव में लाए दस्तावेज का है।
जाहिर है कि यह पूरा बयान अदालत के बाहर किसी कंप्यूटर पर दर्ज किया गया और फिर पेनड्राइव में लाकर अदालत में प्रस्तुत कर दिया गया। ईओडब्लू/एसीबी ने आपराधिक षडयंत्र करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने निखिल चंद्राकर का बयान दर्ज करने की बजाय पेन ड्राइव में लाई गई सामग्री को ही बयान के रूप में जमा कर दिया।
Congress big allegation eow acb : कई स्तरों पर शिकायत
इन तथ्यों के सामने आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील गिरीश चंद्र देवांगन जी ने 10 अक्टूबर, 2025 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष एक परिवाद पेश किया है। इससे पहले गिरीश देवांगन जी ने 12/09/2025 को रजिस्ट्रार (सतर्कता) छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी।
गिरीश देवांगन जी ने फोरेंसिक विशेषज्ञ इमरान खान से इन दस्तावेजों की जांच भी करवाई. उनकी रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, रायपुर के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई। इस रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि बयान में उपयोग में लाया गया फॉन्ट और अदालत के दूसरे दस्तावेजों में प्रयोग में लाए गए फॉन्ट एकदम अलग हैं।
Congress big allegation eow acb : गिरीश देवांगन ने अपनी शिकायत में कहा गया है कि ईओडब्लू/एसीबी की ओर से यह षडयंत्र पूर्वक अन्य अभियुक्तों के ख़लिफ़ झूठे साक्ष्य रचने का मामला है और यह एक संज्ञेय अपराध है। शिकायत में विभिन्न स्थानों की सीसीटीवी फुटेज आदि की भी मांग की गई है। आवेदनकर्ता ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी से प्रार्थना की है कि इस मामले में ईओडब्ल्यू/एसीबी के निदेशक अमरेश मिश्रा और अन्य दो अधिकारियों राहुल शर्मा और चंद्रेश ठाकुर को दंडित किया जाए।
Congress big allegation eow acb : अकेला मामला नहीं है 16-17 जुलाई को निखिल चंद्राकर के मामले में अदालत में पेन ड्राइव के बयान को धारा 164 का बयान बना लेने का मामला अकेला मामला नहीं है। इसकी शिकायत तो 12 सितंबर, 2025 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (सतर्कता) से की जा चुकी थी।
लेकिन 30 सितंबर, 2025 को रायपुर की एक और अदालत में कुछ अधिवक्ताओं ने देखा कि ईओडब्ल्यू/एसीबी की ओर से दो अलग अलग मामलों में प्रस्तुत कुछ सह अभियुक्तों से माननीय न्यायाधीश की ओर से बयान लिए जा रहे हैं और कंप्यूटर पर पेन ड्राइव लगी हुई है। इस मामले में न्यायाधीश को सवाल पूछते और बयान दर्ज करवाने वाले अभियुक्त को सहमति में सर हिलाते देखा गया। अधिवक्ताओं ने 30 सितंबर को ही इसकी मौखिक शिकायत की और पहली अक्टूबर को इसकी लिखित शिकायत भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष की गई।
Congress big allegation eow acb : इसके बाद उन दोनों अदालतों के कंप्यूटरों को भी सुरक्षित रखने के आवेदन लगाए गए हैं जिनमें 16-17 जुलाई और 30 सितंबर को ईओडब्लू/एसीबी के अभियुक्तों के बयान दर्ज किए गए हैं। जाहिर है कि रायपुर की कुछ अदालतें चाहे अपनी मर्ज़ी से, चाहे किसी दबाव में जांच एजेंसी ईओडब्लू/एसीबी के साथ मिलकर न्याय की पवित्र प्रक्रिया पर दाग लगा रही हैं।
Congress big allegation eow acb : लोकतंत्र की जड़ों पर हमला
- हमारे लोकतंत्र के तीन घोषित स्तंभ हैं और तीनों स्वतंत्र रूप से लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य करते हैं।
- अगर विधायिका के सदस्यों के इशारे पर कार्यपालिका और न्यायपालिका मिलकर षडयंत्र रचने लगें तो लोकतंत्र कैसे बचेगा?
- 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद से कार्यपालिका की एक एक इकाई को धीरे धीरे या तो कमज़ोर किया गया या इतना कमज़ोर बना दिया गया कि वे कठपुतली की तरह काम करने लगे।
- ईडी, सीबीआई, डीआरआई से लेकर आईटी तक सारी एजेंसियां अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर ही काम कर रही हैं और उनके निशाने पर विपक्षी दल के लोग ही हैं।
- धीरे-धीरे हुआ यह है कि चुनाव आयोग जैसी एक सम्मानित संस्था भी शर्मिंदगी की वजह बन गई है।
- अब तक न्यायपालिका ही बहुत हद तक दबाव से मुक्त दिखती थी. लेकिन इस एक मामले ने न्यायपालिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
- ऐसा देश की न्यायिक व्यवस्था में पहली बार हुआ है जब कोई जांच एजेंसी अभियुक्त का बयान दर्ज करवाने की जगह अपने कार्यालय से लाए हुए बयान को अभियुक्त का बयान बताकर उस पर हस्ताक्षर करवा ले।
- यह तो जांच एजेंसी द्वारा अदालत को धोखा देने का आपराधिक मामला है।
- इससे सवाल यह भी खड़ा हुआ है कि अदालत ने ऐसा होने क्यों दिया और किस वजह से ऐसा हुआ?
- क्या माननीय न्यायाधीशों पर भी भाजपा की ओर से दबाव बनाया जा रहा है कि वे एजेंसी के साथ मिलकर अभियुक्तों के ख़लिफ़ सुबूत बनाने की इजाज़त जांच एजेंसियों को दे दें। या फिर अदालतें अपनी लोकतांत्रिक शक्तियों का उपयोग करना भूल गई हैं?
- इससे किसी भी अपराध की निष्पक्ष जांच और पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया दोनों पर कुठाराघात होता है और संविधान का खुला उल्लंघन होता है.
Congress big allegation eow acb : कांग्रेस की मांग
1. इस पूरे मामले की जांच हो और अदालत विशेष अदालतों से हर उस बयान की प्रतियां मंगाकर जांच करे कि किस किस एजेंसी ने किस किस मामले में इस तरह से बयान दर्ज करवाया है।
2. ईओडब्लू/एसीबी के निदेशक अमरेश मिश्रा व अन्य दो अधिकारियों राहुल शर्मा और चंद्रेश ठाकुर पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो तथा समुचित कार्रवाई हो।
3. जब तक इस मामले की जांच पूरी न हो जाए छत्तीसगढ़ सरकार इन अधिकारियों को पदमुक्त करके रखे और कोई अन्य ज़िम्मेदारी न दे जिससे कि जांच निष्पक्ष हो सके. यदि सरकार इन्हें पद से नहीं हटाती है तो यह स्वमेव स्पष्ट हो जाएगा कि दरअसल यह सब प्रदेश की भाजपा सरकार के संरक्षण में हो रहा है।
4. इस मामले में ऐसी कोई नज़ीर बने जिससे कि देश का हर वकील अपने मुवक्किल को भरोसा दिला सके कि वह दोषी नहीं है तो किसी भी जांच एजेंसी के मामले में अदालत से उसे न्याय दिलवा सकेगा।
5. माननीय अदालत से अपील है कि वह इस मामले को माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में भी लाए, जिससे कि देश में किसी और स्थान पर कोई एजेंसी या कोई निचली अदालत ऐसी गुस्ताखी न कर सके।
Congress big allegation eow acb : पत्रकारवार्ता में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा, पूर्व मंत्री मो. अकबर, पूर्व मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, पूर्व सांसद छाया वर्मा, प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेन्द्र तिवारी, गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, पूर्व विधायक विकास उपाध्याय, महामंत्री सकलेन कामदार, वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, घनश्याम राजू तिवारी, डॉ. अजय साहू, प्रवक्ता नितिन भंसाली, अजय गंगवानी उपस्थित थे।