नई दिल्ली, 5 अक्टूबर । swadeshi campaigns : वस्त्र मंत्रालय ने घोषणा की है कि वह खासकर शहरी युवाओं और जेन जी के बीच हथकरघा, हस्तशिल्प और वस्त्र उत्पादों की घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए अगले छह से नौ महीनों तक एक राष्ट्रव्यापी ‘स्वदेशी अभियान’ चलाएगा।
स्वदेशी अभियानों के कार्यान्वयन
swadeshi campaigns : मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि स्वदेशी अभियानों के कार्यान्वयन के बाद घरेलू वस्त्रों की मांग 9-10 प्रतिशत प्रति वर्ष की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 2030 तक 250 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। सरकार ने बताया कि भारत के वस्त्र और परिधान बाजार का मूल्यांकन 2024 में 179 अरब डॉलर पहुंच गया और इसमें सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
भारतीय वस्त्र बाजार में हाउसहोल्ड
swadeshi campaigns : भारतीय वस्त्र बाजार में हाउसहोल्ड (एचएच) सेक्टर का योगदान 58 प्रतिशत है और यह 8.19 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है। इस बीच, गैर-घरेलू खपत की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी 21 प्रतिशत की है और यह 6.79 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रही है।
लघु और मध्यम उद्यमों के लिए बाजार पहुंच
swadeshi campaigns : शहरी युवाओं और जेनरेशन जी के बीच कपड़ा खपत को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी अभियान “पूरे भारत में चलाया जाएगा”, साथ ही बुनकरों, कारीगरों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए बाजार पहुंच और आय के अवसरों को बढ़ाया जाएगा।
भारत में निर्मित वस्त्रों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित
swadeshi campaigns : इस अभियान का उद्देश्य भारतीय वस्त्रों को, विशेष रूप से युवा उपभोक्ताओं के लिए, गौरव और शैली के प्रतीक के रूप में पुनः स्थापित करना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और शैक्षणिक संस्थानों को वर्दी और साज-सज्जा के लिए भारत में निर्मित वस्त्रों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
swadeshi campaigns : राज्य-स्तरीय भागीदारी अभियान
मंत्रालय ने घोषणा की कि यह पहल मौजूदा कार्यक्रमों का पूरक है, जिसमें वस्त्रों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना, पीएम मित्र पार्क और एक जिला एक उत्पाद पहल शामिल हैं। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कार्यक्रम, सोशल मीडिया आउटरीच और राज्य-स्तरीय भागीदारी अभियान के नारे को बढ़ावा देगी।
swadeshi campaigns : सरकार ने कहा कि जीएसटी दरों में हाल में किए गए बदलावों से घरेलू और गैर-घरेलू क्षेत्रों में वस्त्र और परिधानों की मांग बढ़ेगी, जिससे देश में वस्त्रों की खपत में वृद्धि दर बढ़ सकती है। (आईएएनएस)
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