पटना, 4 अक्टूबर । Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ नाम ऐसे हैं, जो न सिर्फ अपनी पार्टी की बल्कि पूरे राष्ट्र की सेवा का प्रतीक बन जाते हैं। भागवत झा आजाद उनमें से एक हैं, जिन्हें ‘शेर-ए-बिहार’ कहा जाता था।
योद्धा का जीवन संघर्ष
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : आजादी के आंदोलन से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय करने वाले इस योद्धा का जीवन संघर्ष, समर्पण और अटूट इच्छाशक्ति की मिसाल है, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करता है।
झारखंड के गोड्डा जिले के कसबा गांव हुआ था
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : भागवत झा आजाद का जन्म 28 नवंबर 1922 को अविभाजित बिहार (अब झारखंड) के गोड्डा जिले के मेहरमा प्रखंड के कसबा गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता एक मेहनती किसान थे, जिन्होंने बेटे को बचपन से ही कठोर परिश्रम और देशभक्ति की सीख दी।
‘आजाद’ उपनाम का जुड़ना एक दिलचस्प किस्से
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : आजाद का पूरा नाम भागवत झा था, लेकिन ‘आजाद’ उपनाम का जुड़ना एक दिलचस्प किस्से से जुड़ा है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब वे गिरफ्तार हुए, तो ब्रिटिश पुलिस ने उनका नाम पूछा। उन्होंने गर्व से कहा, “मेरा नाम आजाद है।” इस घटना ने न सिर्फ उन्हें आजादी का प्रतीक बना दिया, बल्कि उनके व्यक्तित्व की जिद और साहस को भी उजागर कर दिया।
शिक्षा के मामले में आजाद बेहद मेहनती
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : शिक्षा के मामले में आजाद बेहद मेहनती थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई स्थानीय स्कूलों में की और बाद में भागलपुर विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की। लेकिन उनकी पढ़ाई बीच में रुक गई, जब 1942 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन ने जोर पकड़ा। युवा आजाद आंदोलन में कूद पड़े। वे रात-दिन भूमिगत गतिविधियों में लगे रहे, ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ पर्चे बांटते, सभाओं का आयोजन करते और साथियों को प्रेरित करते।
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को जीवन समर्पित
इस आंदोलन के कारण उन्हें कई बार जेल यात्रा करनी पड़ी। जेल से बाहर आकर उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अपना जीवन समर्पित कर दिया। बिहार प्रांत कांग्रेस कमेटी में उनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण हो गई कि वे जल्द ही प्रदेश स्तर के नेता बन गए।
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : राजनीतिक सफर 1950 के दशक से चमका
भागवत झा आजाद का राजनीतिक सफर 1950 के दशक से चमका। वे बिहार विधानसभा के सदस्य बने और विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री के रूप में सेवा की। लेकिन असली ऊंचाई तब आई, जब उन्होंने लोकसभा चुनावों में धमाल मचाया। भागलपुर लोकसभा सीट से वे पांच बार सांसद चुने गए। संसद में उनकी वाकपटुता और तर्कशक्ति ऐसी थी कि विपक्षी नेता भी उनका लोहा मानते थे।
बिहार की राजनीति में आजाद का योगदान अविस्मरणीय
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : बिहार की राजनीति में आजाद का योगदान अविस्मरणीय है। 14 फरवरी 1988 से 10 मार्च 1989 तक वे बिहार के 18वें मुख्यमंत्री रहे। इस छोटे से कार्यकाल में उन्होंने राज्य की बुनियादी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य, कृषि सुधार और गरीबी उन्मूलन योजनाओं को गति दी।
पुत्र कीर्ति आजाद क्रिकेटर से राजनेता बने
Sher e Bihar Bhagwat Jha Azad : भागवत झा आजाद का निजी जीवन भी उतना ही प्रेरणादायक था। वे एक पारिवारिक व्यक्ति थे। उनके पुत्र कीर्ति आजाद क्रिकेटर से राजनेता बने, जिन्होंने 1983 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा होने का गौरव प्राप्त किया। आजाद स्वयं खेलप्रेमी थे और युवाओं को खेल के माध्यम से अनुशासन सिखाते थे। 4 अक्टूबर 2011 को 88 वर्ष की आयु में दिल्ली में उनका निधन हो गया। (आईएएनएस)
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