राष्ट्र प्रथम की भावना RSS का मूल मंत्र, कटुता का कोई स्थान नहीं’, RSS शताब्दी समारोह में बोले पीएम मोदी

100 Years of RSS
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नई दिल्ली: 100 Years of RSS:  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरएसएस (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर नई दिल्ली के डॉक्टर आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में विशेष डाक टिकट, सिक्का जारी किया । वे बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसी दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूल भाव राष्ट्र प्रथम की भावना है। यह संगठन इसी मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ता रहा है। यहां कटुता का कोई स्थान नहीं है।

100 Years of RSS: संघ की धारा में भी सैकड़ों जीवन पुष्पित पल्वित हुए 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक नदी की तरह संघ की धारा में भी सैकड़ों जीवन पुष्पित पल्वित हुए हैं। नदी जिस रास्ते से गुजरती है, वहां के गांवों को समृद्ध करती है। वैसे ही संघ ने हर क्षेत्र और समाज के हर आयाम को स्पर्श किया है। जैसे एक नदी खुद को कई धाराओं में खुद को प्रकट करती है, उसी तरह से संघ की धारा भी ऐसी ही है।

संघ की एक धारा अनेक धारा तो बनी लेकिन उनमें विरोधाभास पैदा नहीं हुआ। क्योंकि हर धारा का उद्देश्य एक ही है, राष्ट्र प्रथम। अपने गठन के बाद से ही आरएसएस एक विराट उद्देश्य लेकर चला-राष्ट्र निर्माण और इसमें नियमित शाखाओं का बड़ा योगदान रहा।

100 Years of RSS: राष्ट्रनिर्माण पर ध्यान केंद्रित 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि हमारी ‘स्वयंसेवक’ पीढ़ी भाग्यशाली है कि वह आरएसएस के शताब्दी वर्ष की साक्षी बन रही है। अपनी स्थापना के समय से ही आरएसएस ने राष्ट्रनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। चुनौतियों के बावजूद, आरएसएस मजबूती से खड़ा है और राष्ट्र एवं समाज की अथक सेवा कर रहा है।

100 Years of RSS: पीएम मोदी ने कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत और एकमात्र लक्ष्य – ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मार्गदर्शन में अनगिनत बलिदान दिए हैं। विविधता में एकता हमेशा से भारत की आत्मा रही है, अगर यह सिद्धांत टूट गया तो भारत कमजोर हो जाएगा।

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