राजधानी की सिटी ऑफ़ ड्रीम्स कालोनी में हरियाली की बलि; एक ओर “माँ के नाम एक पेड़ “

"यहाँ पेड़ लगाना फैशन है, और काटना परंपरा !"

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Tree in name of mother now
Tree in name of mother now

रायपुर; 14 जुलाई । Tree in name of mother now : प्रदेश भर में पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर बहस तेज़ है, सोशल मीडिया पर “हरियाली बचाओ” हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, नेता से लेकर अभिनेता तक हर कोई माँ के नाम एक पेड़ लगाकर फोटो खिंचवा रहा है। लेकिन राजधानी रायपुर की एक सोसायटी ने इस चलन से थोड़ा हटकर मिसाल कायम की है; यहाँ पेड़ सीधे-सीधे काटे जा रहे हैं !

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का मामला सामने आया

Tree in name of mother now : कंचना क्षेत्र स्थित सिटी ऑफ़ ड्रीम्स’ कॉलोनी में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का मामला सामने आया है। दिलचस्प बात ये है कि इस सोसायटी के जिम्मेदार पदाधिकारी ही इस पूरे ‘हरा भरा सफाया अभियान’ के पीछे बताए जा रहे हैं। पदाधिकारी अपनी ‘ड्रीम्स’ को साकार करने के चक्कर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करवा रहे हैं। जिसका विरोध अब शुरू हो चुका है।

एक ओर प्रदेश में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान

Tree in name of mother now : एक ओर छत्तीसगढ़ शासन 18 जुलाई को पूरे प्रदेश में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत वृहद वृक्षारोपण की भव्य तैयारियों में जुटा है पोस्टर छप रहे हैं, पौधे सजे हुए हैं, और कैमरे तैयार हैं। वहीं दूसरी ओर राजधानी रायपुर की सिटी ऑफ ड्रीम्स कॉलोनी में सोसायटी के निर्वाचित पदाधिकारी मानो इस हरियाली महोत्सव को ही चुनौती देने पर उतारू हैं।

जो पेड़ पहले से खड़े हैं, उनकी टहनियों की अंधाधुंध कटाई करवाई जा रही है  मगर जानकार पर्यावरण प्रेमियों की मानें तो यह असल में पेड़ों को ठूंठ बना देने की एक सुनियोजित योजना जैसा दिखता है।

Tree in name of mother now : कटाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली की रायपुर के कचना स्थित सिटी ऑफ ड्रीम्स कॉलोनी में लगे पेड़ों की टहनियों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। जिसमे उन्होंने इस मामले में कटाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

Tree in name of mother now : पेड़ को बचाने में सालों लग जाते हैं, काटने में दो मिनट

भोज साहू ने कटाक्ष करते हुए कहा “एक पेड़ को बचाने में हमें सालों लग जाते हैं, लेकिन काटने वाले उसे दो मिनट में ढेर कर देते हैं जैसे कोई पुराना सामान हो।” ऐसे लोगों पर राज्य सरकार द्वारा उचित कार्यवाही की जानी चाहिए।

Tree in name of mother now : “यहाँ पेड़ लगाना फैशन है, और काटना परंपरा !”

हरियाली की लाश पर टिकी विकास की इस कहानी में ‘ड्रीम्स’ तो पूरे हो रहे हैं, लेकिन सपनों में अब पत्तों की सरसराहट नहीं, केवल मशीनों की घरघराहट सुनाई देती है।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस “सिटी ऑफ़ एक्सक्यूज़” में पर्यावरण के लिए कोई कदम उठाता है या पेड़ों की चिताएं जलती रहेंगी; माँ नाम एक पेड़ का या श्रद्धांजलि पूरी हरियाली की ।


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