अध्यात्म; 11 जुलाई; कल्पना शुक्ला । Shiva worship in Saavan now : हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का पाँचवाँ मास श्रावण (सावन) होता है, जो सामान्यतः जुलाई-अगस्त के बीच आता है। यह माह चैत्र से शुरू होने वाले हिंदू सौर संवत का एक अत्यंत पुण्यकारी और धार्मिक रूप से समर्पित समय माना गया है।
भारत में इस समय वर्षा ऋतु का प्रभाव रहता है। वर्षा के कारण वातावरण में एक विशेष प्रकार की शीतलता, हरियाली, और आध्यात्मिकता का संचार होता है। वहीं, वर्षा से पहले की भीषण गर्मी से यह एक प्रकार की राहत का संकेत भी होता है।
श्रावण मास भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत पावन और फलदायक माना गया है। यह महीना भक्ति, व्रत, संयम और शिव को प्रसन्न करने का विशेष अवसर होता है। सावन में शिव की उपासना विशेष विधि से की जाती है और कुछ नियमों का पालन न करना भी आवश्यक होता है।
श्रावण मास भगवान महादेव की आराधना
Shiva worship in Saavan now : श्रावण मास भगवान महादेव की आराधना का सबसे शुभ और पवित्र समय माना जाता है। इस मास में शिव की पूजा, विशेषकर शिवलिंग पर जलाभिषेक, अत्यंत पुण्यदायी और फलदायक होता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, शिव को जल अर्पण करना उनके प्रियतम कार्यों में से एक है।
श्रावण माह में शिवलिंग पर जलाभिषेक का महत्त्व
Shiva worship in Saavan now : श्रावण मास, जिसे सावन भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पवित्र और प्रभावशाली महीना माना गया है। यह संपूर्ण माह भक्ति, संयम, व्रत और शिवोपासना का प्रतीक है। इस महीने में भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
Shiva worship in Saavan now : जलाभिषेक का आध्यात्मिक अर्थ
यह केवल भौतिक सत्य नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है। जब हम शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, तो वह केवल एक द्रव्य अर्पण नहीं, बल्कि मन, कर्म और वाणी से की गई समर्पण भावना होती है। शास्त्रों में कहा गया है:
“आपो हि ष्ठा मयोभुवस्ताः न ऊर्जे दधातन।” (ऋग्वेद)
अर्थात् जल में सुख, शक्ति और शांति की शक्ति है। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर हम अपनी अहंता, विकार और कष्टों को महादेव को अर्पित करते हैं, और बदले में उनकी कृपा, शांति और समाधान प्राप्त करते हैं।
सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और भगवान शिव की पूजा करें । प्रसाद: दूध, शहद, जल, बिल्व पत्र, बेल फल, धतूरे के फूल, भांग, चंदन का लेप और पंचामृत चढ़ाएं। मंत्र: पूजा के दौरान ओम नमः शिवाय, महामृत्युंजय मंत्र और रुद्र गायत्री मंत्र का जाप करें।
क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर जल? जानिए आध्यात्मिक रहस्य
Shiva worship in Saavan now : भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ, आदि योगी, महाकाल और त्रिपुरान्तक जैसे कई नामों से जाना जाता है, सनातन धर्म में संहार और पुनर्जन्म के देवता माने जाते हैं। उनकी पूजा अत्यंत सरल और प्रभावकारी मानी गई है। भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे लोकप्रिय और सहज माध्यम है – शिवलिंग पर जल चढ़ाना, जिसे जलाभिषेक कहा जाता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर जल? इसके पीछे केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और तात्त्विक रहस्य छिपा है।
Shiva worship in Saavan now : आध्यात्मिक रहस्य: जल अर्पण का अर्थ सनातन शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव पंचतत्वों से भी परे हैं वह निर्गुण और निराकार हैं, जिनका स्वरूप शिवलिंग के रूप में पूज्य है। जब भक्त शिवलिंग पर जल अर्पित करता है, तो वह अपने भीतर के अहंकार, काम, क्रोध, लोभ और मोह को धोने का प्रतीकात्मक प्रयास करता है। जल को शुद्धता और समर्पण का प्रतीक माना गया है।
Shiva worship in Saavan now : पौराणिक दृष्टिकोण : पुराणों में वर्णन है कि समुद्र मंथन के समय जब कालकूट विष निकला, तो भगवान शिव ने समस्त सृष्टि की रक्षा हेतु उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विष की तीव्रता को शांत रखने के लिए देवताओं और ऋषियों ने शिवलिंग पर जल अर्पित किया। तभी से यह परंपरा चल पड़ी कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शरीर, मन और वातावरण की विषाक्तता दूर होती है।
विज्ञान भी करता है पुष्टि : शिवलिंग को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। शुद्ध जल जब शिवलिंग पर निरंतर गिरता है, तो वह आसपास के क्षेत्र में नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यही कारण है कि शिव मंदिरों में वातावरण शांत, संतुलित और ध्यानयोग्य होता है।
Shiva worship in Saavan now : शिवलिंग का अभिषेक मंत्र
अभिषेक करते समय मंत्रों का उच्चारण करें: 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें. महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा या रुद्राष्टक भी पढ़ सकते हैं. दीपक और अगरबत्ती जलाकर आरती करें. भगवान को फल, मिठाई आदि अर्पित करें और फिर सब में प्रसाद बांटें ।
Shiva worship in Saavan now : पंचामृत से अभिषेक करते समय मंत्र
दूध: दुग्धाभिषेकं कुरुते पशूनां पतये नमः।
दही: दधिञ्छलति सोमाय नमः।
घी: घृतं मेदाय नमः।
शहद: मध्वाभिषेकं मधुपाय नमः।
गंगाजल या शुद्ध जल: गङ्गा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलस्मिन्सन्निधिं कुरु॥
जल से अभिषेक करते समय भगवान शिव का सबसे प्रिय पंचाक्षरी मंत्र है। इसे 108 बार रुद्राक्ष माला से जाप करें।
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महामृत्युंजय मंत्र : ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
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शिव चालीसा
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रुद्राष्टक
Shiva worship in Saavan now : नित्य शिव पूजा की विधि
सोमवार को सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें और सबसे पहले उसका गंगाजल से अभिषेक करें। अब शक्कर, दही, दूध और घी समेत आदि चीजों से अभिषेक करें। इस दौरान प्रभु के मंत्रों का जाप करें।
Shiva worship in Saavan now : निष्कर्ष:
शिवलिंग पर जल चढ़ाना एक साधारण-सा कर्म प्रतीत हो सकता है, लेकिन उसके पीछे छिपा रहस्य अत्यंत गंभीर, गूढ़ और आध्यात्मिक है। यह केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि, प्रकृति से सामंजस्य, और परमात्मा से एकत्व का पवित्र प्रयास है।
श्रद्धा से किया गया एक बूँद जल का अर्पण भी भगवान शिव को उतना ही प्रिय है जितना कोई बड़ा यज्ञ क्योंकि वह भाव से जुड़ा होता है, आडंबर से नहीं।