स्वामी विवेकानंद जी के अनुयाई सत्य स्वरूपानंद जी स्वर्ग सिधार गए… राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न

रायपुर।

अविभाजित मध्यप्रदेश के ख्याति नाम संस्था विवेकानंद आश्रम के मानद सचिव स्वामी सत्य स्वरूपानंद जी का आज रविवार को एम एम आई हॉस्पिटल में दुखद निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आश्रम की पद्धतियों के तहत महादेव घाट रायपुर में संपन्न हुआ। जहां छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान के साथ शासकीय प्रोटोकाल के तहत जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार संपन्न कराया।

छत्तीसगढ़ मैथिल ब्राह्मण सभा के संरक्षक पं विजय कुमार झा एवं प्रदेश अध्यक्ष डॉ पूर्ण प्रकाश झा ने बताया है कि स्वामी सत्य स्वरूपानंद जी का जन्म बस्तर के मां दंतेश्वरी मंदिर के समीप पैतृक निवास में हुआ था। उनका लालन-पालन बस्तर में हुआ। शिक्षा दीक्षा के लिए वे पुरानी बस्ती रायपुर स्थित स्वर्गीय पं डी एन झा वरिष्ठ अधिवक्ता के निवास में रहकर अपनी शिक्षा दीक्षा प्राप्त की। उनका मूल नाम संतोष कुमार झा था।

विवेकानंद जी के आदर्शो को आत्मसात करते हुए संतत्व के मार्ग पर अग्रसर हो गए थे। उनको अपना मार्गदर्शक स्वीकार कर स्वर्गीय डीएन झा अधिवक्ता के जेष्ठ पुत्र स्वर्गीय शिवेंद्र नाथ झा अधिवक्ता भी आजीवन संत रुपी जीवन यापन कि उन्होंने शादी विवाह नहीं किया था। स्वामी जी ने चर्चा के दौरान यह स्पष्ट किया था की चूंकि वे संतत्व धारण कर लिए हैं इसलिए अब ना उनका परिवार होगा, ना संतान होगा, किंतु हिंदू धर्म में जन्म लेने के कारण अंतिम संस्कार तो अवश्य संभवी होगा। इसलिए उन्होंने अपने जीवन काल में ही इलाहाबाद त्रिवेणी संगम में अपना श्राद्ध कर्म भी संपन्न कर लिए थे। वे स्वामी आत्मानंद जी के निधन होने के बाद श्री रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम के मानद सचिव नियुक्त किए गए थे।

जहां वे नारायणपुर बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं शिक्षा सेवाएं देकर मिश्रण संचालित करते हुए भरपूर जन सेवा कर अपने जीवन को चरितार्थ कर लिया था। देश विदेश में भी प्रखर वक्ता के रूप में विख्यात थे। उनके मस्तिष्क व जिव्हा में साक्षात सरस्वती विराजमान थीं। उनके निधन पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल पूर्व मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, श्री प्रफुल्ल कुमार झा, पं रविशंकर विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य डॉ समीर ठाकुर, अधिवक्ता निलेश ठाकुर, सहित आश्रम के पदाधिकारियों एवं प्रबुद्धजनों ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि ऐसे व्यक्तित्व के धनी संतत्व जीवन यापन करने वाले कभी मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रध्वज से लिपटकर तोपो की सलामी के साथ राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई दी गई। पूरे छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से स्वामी जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित है।

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