सरकारी स्कूलों में 9वीं कक्षा में नामांकन लक्ष्य से अभी 60 फीसदी पीछे

 पटना  
राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के नामांकन को लेकर विशेष अभियान ‘प्रवेशोत्सव’ की उपलब्धि तो अच्छी रही, पर यह पर्याप्त नहीं है। कारण कि पिछले शैक्षिक सत्रों की तुलना में अबतक काफी कम नामांकन हुए हैं। खासतौर से प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक विद्यालयों की पहली कक्षाओं में, अर्थात कक्षा-1, कक्षा-6 और कक्षा-9 में नामांकन को लेकर शिक्षा विभाग को खासा जोर लगाना होगा। इन कक्षाओं में अबतक कुल नामांकितों की उपलब्धि काफी कम है। 

गौरतलब है कि राज्य के सरकारी स्कूलों की 9वीं कक्षा में पिछले दो-तीन वर्षों का आंकड़ा देखें तो 14 लाख से अधिक बच्चे ही नामांकित होते रहे हैं। राज्य सरकार बच्चों को अभिप्रेरित करने के लिए 9वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए साइकिल खरीद की राशि देती है। मुख्यमंत्री बालिका/बालक साइकिल योजना के तहत प्रति विद्यार्थी 3000 रुपए की दर से शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए भी 14 लाख से अधिक बच्चों के लिए राशि निर्गत की गई है। परंतु एक अप्रैल 2021 से आरंभ होने वाले सत्र के लिए 9वीं कक्षा में 25 मार्च तक नामांकन महज 5 लाख 80 हजार 268 है। यह 14 लाख की विद्यार्थी क्षमता का महज 40 फीसदी से कुछ ही अधिक है। अर्थात अभी 9वीं कक्षा में करीब 60 फीसदी और बच्चों का नामांकन कराना होगा। भले ही नामांकन का विशेष अभियान समाप्त हो गया, लेकिन माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा पूर्व से लागू आदेश के मुताबिक इस कक्षा में 30 जून तक नामांकन लिए जा सकते हैं। 

छठी कक्षा में पहले की तुलना में आधा नामांकन
वहीं, बात छठी कक्षा में नामांकन की करें तो 8 मार्च से चले नामांकन अभियान की समाप्ति अर्थात 25 मार्च तक सिर्फ 689726 छात्र-छात्राओं के ही दाखिले हुए हैं। यह संख्या भी करीब-करीब आधी है। विभागीय जानकारी के मुताबिक छठी कक्षा में भी 13-14 लाख के करीब बच्चे नामांकित होते रहे हैं। पहली कक्षा में राज्य के 72 हजार प्रारंभिक स्कूलों में नामांकन की उपलब्धि पहले के सालों में 20 से 25 लाख के करीब रही है परंतु नामांकन अभियान के तहत 1437989 ही एडमिशन होने से बीईपी ने पहले ही जिलों को इस कक्षा में नामांकन को लेकर निर्देश दे दिए हैं। 
 

टीसी बुक जिलों को नहीं मिलने से भी रफ्तार कम 
शिक्षक संगठनों की मानें तो 8 से 25 मार्च तक चले नामांकन अभियान की कम उपलब्धियों के कई कारण हैं। खासतौर से छठी और 9वीं कक्षा में कम दाखिले का बड़ा कारण जिलों में अबतक टीसी बुक का नहीं पहुंचना है। इसलिए जिन बच्चों ने दाखिला लिया है, उन्हें हेडमास्टर से पैड पर लिखवा कर देना पड़ा है। शिक्षा विभाग को टीसी बुक स्कूलों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना होगा। प्रवेशोत्सव के दौरान माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक और प्रधान इंटर और मैट्रिक मूल्यांकन में व्यस्त थे, इसका भी कुछ असर हुआ। सबसे बड़ा कारण रहा कि 8 से जारी अभियान के 8 दिन बाद 16 मार्च को शिक्षा विभाग ने पहली से आठवीं के बच्चों के प्रमोट करने का आदेश जारी किया। 
वास्तविक आंकड़ा कहीं अधिक 
बीईपी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रविशंकर सिंह ने कहा कि प्रवेशोत्सव के दौरान जो आंकड़े आए हैं वह सिर्फ उन्हीं बच्चों के हैं जिनके स्कूल बदले हैं या जो बाहर से स्कूल आए हैं। स्कूल में एक कक्षा से दूसरी कक्षा में दाखिल हुए बच्चों की संख्या जुटने पर नामांकन का वास्तविक आंकड़ा और अधिक हो जाएगा।

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