सघन मिशन इन्द्रधनुष 4.0 अभियान का तृतीय चरण, 4 अप्रैल से 36 सत्रों में टीके से वंचित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए चलेगा अभियान

जगदलपुर, 

नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान जिले में टीकाकरण से छूटे हुए दो वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने के लिए मिशन इंद्रधनुष अभियान 4 अप्रैल से प्रारंभ होगा। सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0 टीकाकरण अभियान में उन्हीं बच्चों को शामिल किया गया हैं, जो नियमित टीकाकरण से किसी भी कारणवश वंचित रह जाते हैं। इंद्रधनुष मिशन के तहत टीके लगाने से गर्भवती महिलाओं के साथ बच्चों में इम्युनिटी विकसित होगी। इसके तहत बस्तर जिले में 0-2 वर्ष के बच्चे तथा गर्भवती माताएं जो टीकाकरण से वंचित हो गये है, उनका हेड काउंट सर्वे (गणना) कर विशेष सत्रों में टीकाकरण किया जाएगा। इस कार्यक्रम की शुरुआत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 25 दिसंबर 2014 को मिशन इन्‍द्रधनुष अभियान के नाम से की गई थी गया। इस कार्यक्रम मुख्य उद्देश्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विभिन्न जानलेवा बीमारियों से बचाना है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वस्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. आर.के.चतुर्वेदी ने बताया, “नियमित टीकाकरण के अंतर्गत बच्चों व गर्भवती महिलाओं को गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए प्रतिरक्षित किया जाता है। नियमित टीकाकरण न कराने वाले बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिस कारण उनके शरीर में जानलेवा बीमारियों से लड़ने की ताकत नहीं आ पाती। कई बार टीकाकरण से छूटे बच्चे इन रोगों की चपेट में आ जाते हैं जिससे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शिशुओं के जीवन और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी और कम लागत का तरीका है।

जिला टीकाकरण अधिकारी जगदलपुर डॉ. सी. मैत्री ने बताया, “4 अप्रैल से 10 अप्रैल तक आयोजित होने वाले तृतीय चरण की संपूर्ण तैयारियां जिले में कर ली गई है। प्रत्येक सत्र सात दिवस का रहेगा जिसके तहत 36 टीकाकरण सत्रों में 0-2 आयु वर्ग के 88 बच्चे एवं 26 गर्भवती महिलाओं का चिन्हांकन कर छूटी हुई खुराक प्रदाय की जाएगी । टीकाकरण बच्चों व गर्भवती माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो बच्चे टीकाकृत हैं वे उन खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित होते हैं, जो अक्सर अक्षमता या मृत्यु का कारण बनते हैं। यह जानना सभी माता-पिता के लिए जरूरी है कि क्यों, कब, कहां और कितनी बार बच्चे का टीका लगवाना चाहिए। साथ ही उन्हें यह भी जानने की आवश्यकता है कि बीमार बच्चे, अक्षम या कुपोषण से पीड़ित बच्‍चे को भी टीका लगवाना सुरक्षित होता है। बस्तर में मिशन इंद्रधनुष का प्रथम चरण 7 फरवरी से प्रारंभ हुआ, द्वितीय चरण 7 मार्च से 13 मार्च तक चला था जिसका लाभ छूटे हुए बच्चे और गर्भवती महिलाओं को मिला।

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