शिक्षा विभाग अनोखा निर्देश…कोरोना काल में प्रायमरी-मिडिल स्कूल के उत्तीर्ण बच्चों को दोबारा परीक्षा देने.. पुनः परीक्षा से शिक्षक, पालक,बालक चिंतित

रायपुर

छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत् बच्चों की बेस लाईन परीक्षा फिर से आयोजित करने का निर्देश प्रसारित किए जाने से प्रदेश में शिक्षकों, पालकों, बालकों में चिंता व्याप्त हो गई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने इस अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय को तत्काल वापस लेने कर की मांग शिक्षा मंत्री श्री प्रेमसिंह साय टेकाम से की है।  प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के प्रदेशाध्यक्ष विजय कुमार झा जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खाॅन ने बताया है कि प्रदेश में स्कूली छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले शिक्षा विभाग के कुछ उच्च अधिकारियों की अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय है। साथ ही इस निर्देश के प्रसारित होने का दूसरा पहलू यह है कि शिक्षकों से शिक्षा विभाग को विश्वास नहीं है। प्रदेश के शिक्षकों पर अविश्वास किए जाने वाले इस निर्देश का संध ने विरोध किया है। क्योकि करोना काल के बाद स्कूल खुलने पर कक्षा 01 से 08 तक के बच्चों की बेसलाइन, परीक्षा ली गई थीं।

परीक्षा का तरीका भी ऐसा था, कि किसी भी बच्चे को अलग से प्रश्नपत्र नहीं दिया गया बल्कि यह कहा गया था, कि शिक्षक ब्लेकबोर्ड में प्रश्नोंकोनिोगें तथा बच्चे अपनी कापी मेंबिना प्रश्न कोउतारे उत्तर लिखेगें। इस प्रक्रिया का कई शिक्षकों ने प्रारंभ से ही विरोध किया था। क्योकि यह अव्यवहारिक था। शिक्षकों की माने तो अधिकांश स्कूलों में ब्लेकबोर्ड का आकार उतना बड़ा नहीं होता कि एक बार में बेसलाइन के पूरे सत्रह प्रश्नों को लिखा जा सके। ऐसी स्थिति में दो-तीन बार में प्रश्नों कोलिखना पड़ता है। जबतक सभीबस्च्चे बोर्डै में लिखे पूरे प्रश्नों को हल नहीं लेते है।

शिक्षक उन्हें मिटाकर आगे के प्रश्नों को नहीं लिख सकता। ऐसे में एक आम आदमी भी बता सकता है किपूरे समय तक एक बच्स्चे के कारण आगे के प्रश्न लिखे ही नहीं जा सकते है। कारोना काल में आधे बच्चों का स्कूल में और आधे का मोहल्ले में बेसलाइन की परीक्षा शिक्षकों द्वारा आयोजित की गई तथा कापियों का मूल्यांकन कर शिक्षकों ने उसकी आॅनलाइन प्रविष्टि भी कर दी। अब शिक्षा विभाग के अधिकारी केवल 32.5 प्रतिशत् बच्चों के परिणाम के आधार पर बेसइलान परीक्षा को संदेहास्पद् बताते हुए फिर से आयोजित करने का निर्देश दे रहे है, और यह निर्देश भी व्यवहारिक नहीं है। इसी माह 25 सितंबर से 29 सितंबर तक मात्र 04 दिन में फिर से बेसइलान परीक्षा लेना है, जबकि कक्षा 6 से 8 में 6 विषय होते है।

वर्तमान् में शालाओं में आधे-आधे बच्चे ही उपस्थितहोरहे है। साथ ही ऐसे बस्च्चों की परीक्षा बिना प्रश्नपत्रदिए केसे आयोजित की जाएगी उसका शिक्षा विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। जो बच्चे लिखने में कठिनाई महसूस करते है तथा समय पर प्रश्न हल नहीं कर पाते है। शिक्षको पर अविश्वास करने वाले अफसरों को अव्यवहारिक व तुगलकी आदेश जारी के पहले शिक्षकों व छात्रों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। यह भी संभव है कि अनेक स्कूलों में बच्चों के परिणाम बेहतर होगें तथा अनेक स्कूलों के बच्चों के परिणम संतोषजनक नहीं होगें। ऐसी स्थिति में प्रत्येक स्कूलों के परिणामों की समीक्षा कराया जाना चाहिए। केवल कुछ स्कूलों के परिणामों के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुचना उचित नहीं है। केवल कुछ शालाओं की समीक्षा के आधार पर बेसलाईन परीक्षा पुनः आयोजित कराये जाने का निर्णय अप्रांसांगिक है।

यह निर्देश शिक्षकों को परेशान करने वाला है। इसलिए इस अफसरशाही निर्देश को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। साथ ही ऐसे शालाओं में जहां विषय शिक्षक नहीं है, उसके लिए पृथक से स्पष्ट निर्देश प्रसारित किया जाना चाहिए की उनकी परीक्षा लिया जाना कैसे संभव होगा। प्रदेश के शिक्षक हस्तपुस्तिका निर्माण, पठन, लेखन, एन.ए.एस., की तैयारी करने, बार-बार परीक्षा लेने, गुणवत्ता न आने पर शिक्षकों के विरूद्व कार्यवाही करने, पुनः परीक्षा लिए जाने, एस.सी.ई.आर.टी. एवं डी.पी.आई. व कुछ मिशन के माध्यम से शिक्षकों से विभिन्न कार्य कराने संबंधी निर्देश दिए जा रहे है।

शैक्षणिक कलेण्डर में त्रुटि होने पर संध के विरोध के बाद सुधार किया गया था। वर्तमान् में अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु फिल्ड में अनेक कार्य कराये जा रहे है। ऐसी स्थिति में पुनः परीक्षा के निर्देश का संध के कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, महासमुंद अध्यक्ष ओम नारायण शर्मा, जी.आर.चन्द्रा, आलोक जाधव, संजय ताण्डी, सुरेन्द्र त्रिपाठी, विमलचंद्र कुण्डू आदि ने विरोध करते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की है।

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