रायपुर
रायपुर ट्रांसफर पोस्टिंग पर बैन जरूर लगा हुआ है । लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर जोरों पर है। अपनी ही सरकार में घिरे शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम सता सरकार में आते ही ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में शुरुआती दौर से ही विवादों में रहे शिक्षा मंत्री पर कई बार आरोप लगा है, कभी बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं या फिर पैसे लेकर काम कर रहे है।
बीते रोज चंद्र देव राय सहित दर्जनों विधायकों ने शिक्षा मंत्री पर पैसा लेकर ट्रांसफर करने का आरोप लगाया है। जिसे पर बीच बचाव करते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा है की फिलहाल ट्रांसफर पर बैन लगा हुआ है समन्वय के माध्यम से मुख्यमंत्री को ट्रांसफर करने का अधिकार है विधायकों ने जो आरोप शिक्षा मंत्री पर लगाए हैं वह गलत है
जबकि ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में पैसे लेनदेन की बात कोई नई नहीं है इस खेल के पीछे शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम के सहायक अजय सोनी है।जिसके चलते शिक्षा मंत्री आरोपों में घिरे रहते हैं इसके पूर्व भी विशेष सहायक रहे नवीन भगत , संजय सिंह जैसों पर आरोप लगा था की पैसा लेकर ट्रांसफर किया जा रहा है।
जबकि इस खेल के पीछे का रहस्य हर कोई जानता है, लेकिन आरोप शिक्षा मंत्री पर मढ़ दिया जाता है जबकि अजय सोनी के चलते कांग्रेस के कार्यकर्ता, पदाधिकारी परेशान है क्योंकि शिक्षा मंत्री भी अजय सोनी के जवाब को ही अंतिम निर्णय मानते हैं सूत्रों की माने तो शिक्षा विभाग से संबंधित कई प्रकरण को लेकर जाने पर शिक्षा मंत्री अजय सोनी की ओर फाइल बढ़ा देते हैं और इस फाइल पर सोनी कोई कार्य आगे की ओर नहीं बढ़ाते हैं और न ही किसी प्रकार का संतुष्ट जवाब देते हैं।
जिससे कार्यकर्ता और पदाधिकारी दूरी बनाते हैं और अपनी ही सरकार में ठगा हुआ महसूस करते हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो अजय सोनी के स्थान पर किसी अन्य अफसर को विशेष सहायक के रूप में रखें तो संभवत कार्यकर्ताओं का कार्य बेहतर ढंग से होने लगेगा और शिक्षा मंत्री पर लगने वाले आरोप भी नहीं लगेंगे वैसे भी हताश कार्यकर्ता, पदाधिकारी शिक्षा मंत्री कि विभाग का काम आते ही अपने लोगों से साफ कहते हैं कि यहां कोई काम नहीं होता।सूत्रों की माने तो अजय सोनी का ही बोलबाला इस बंगले में है क्योंकि मामला कुछ और भी है।
जिसे सार्वजनिक करना ठीक नहीं लेकिन ऐसे में करें तो क्या करें इसके पूर्व भी शिक्षा मंत्री के खिलाफ कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री के समक्ष मोर्चा खोला था लेकिन कार्यवाही के नाम पर केवल नवीन भगत और संजय सोनी जैसे विशेष सहायक को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। जबकि वास्तव में सहायक अजय सोनी को हटाया जाना था अगर समय रहते इस पर निर्णय नहीं लिया गया तो आगे भी सत्ता के विधायक अपने ही मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलते रहेंगे और विपक्षियों को मुद्दा मिलता रहेगा सरकार को घेरने के लिए। सरकार वैसे भी आम जनता किसान कर्मचारियों के हित में कई फैसले ले रही है वही कविड के चलते पिछले 2 साल से स्थानांतरण पर बेन लगा हुआ है समन्वय के माध्यम से भी अधिकांश कर्मचारियों अधिकारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है जिसके चलते सरकार को स्थानांतरण पर बेन हटा देना चाहिए और स्वयं के व्यय पर होने वाले ट्रांसफर पर अनुमति दे देना चाहिए।