बहती है ज्ञान की सरित जिनसे सतत,
वह जल राशि खूब शिक्षक पयोद में ।।
शिक्षकों से मिलता विवेक ठीक वैसे जैसे,
मिल जाए नीर बूँद, धरती की खोद में ।।
शिक्षक ही देश का भविष्य गढ़ते हैं रोज,
मेरी इस बात को तो लेना न विनोद में ।
प्रलय – सृजन इस देश और जगती का,
खेला करती है मित्र, शिक्षकों की गोद में।
-: हरीश पटेल “हर”
ग्राम – तोरन
(थान खम्हरिया) बेमेतरा