विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष, मानसिक तनाव के इलाज से युवक को मिला नया जीवन

बेमेतरा,

शादी हर किसी के जिंदगी में नई खुशियां लेकर आती है। इसके सपने सभी संजोये रखते हैं। लेकिन आज हम एक ऐसे युवक “अजय” (बदला हुआ नाम) के बारे में बात कर रहे हैं जिसको शादी और पारिवारिक जिम्मेदारी बोझ लगने लगी थी। पत्नी और मां-बाप का खर्च छोटी सी नौकरी से कैसे पूरा हो सकेगा। यह सोच-सोच कर वह गम्भीर अवसाद में चला गया था। अवसाद के कारण अजय मानसिक रोग से ग्रसित हो गया। शादी से कुछ माह पहले पास के ही शहर की रहने वाली लड़की से उसका रिश्ता तय हुआ। और उसकी सगाई भी हो गयी। लेकिन इसी बीच युवक ने शादी करने से इंकार करते हुए रिश्ता तोड़ दिया।

पारिवारिक जिम्मेदारियों के बारे में सोचते हुए अजय का नर्वस सिस्टम कमजोर होने लगा। नर्वस सिस्टम पर हमारे शरीर के कंट्रोल और विभिन्न आंतरिक अंगों के परस्पर कम्यूनिकेशन का दारोमदार होता है। इसलिए शरीर की कार्यप्रणाली को दुरूस्त रखने के लिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है।  परिजनों ने अजय की हालत देखते हुए कई जगह निजी अस्पतालों में डॉक्टरों से इलाज भी कराया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इस दौरान युवक उदास, गुमशुम रहने लगा और ड्यूटी के दौरान भी उसका मन कार्य में नहीं लगता था। तनाव में आकर कई बार उसने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया। फिर किसी ने परिजनों को स्पर्श क्लीनिक के बारे में बताया। वहां पर प्रभारी डॉ. दिपक मिरे द्वारा अजय का उपचार किया गया। स्पर्श क्लीनिक में मानसिक तनाव से गुजर रहे युवक अजय का मनोचिकित्सकों की टीम ने कई बार काउंसलिंग और उपचार भी किया गया तब जाकर अजय की हालत में सुधार हुआ।

इस बारे में डॉ. मिरे ने बताया, “अस्पताल आने पर अजय की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। हालत काफी गम्भीर थी मरीज के मन में बार-बार नकारात्मक विचार आ रहे थे जिस कारण वह तनावपूर्ण जीवन जी रहा था। किन्तु यहाँ काफी उपचार और परामर्श के बाद वह अब ठीक है।“

मनोचिकित्सक डॉ. सुचिता गोयल ने बताया, “अजय को मार्च से लेकर सितंबर तक लगभग 6 महीने तक काउंसलिंग की गयी। इसके साथ 6 महिने तक योगा, प्रणायाम, मेडिटेशन के साथ स्पर्श क्नीनिंक से मिलने वाली निशुल्क दवाइयों से उपचार किया गया जिससे अब वह पूरी तरह से ठीक हो गया है।“

अजय कुमार ने बताया, “मानसिक रुप से बीमार होने की वजह से उनके मन में नकारात्मक विचार आ रहे थे साथ ही काम में मन भी नहीं लगता था। मानसिक तनाव के दौरान कई बार आत्महत्या का भी विचार आया। लेकिन परिजनों ने इस मामले बहुत सहयोग किया और इलाज में देरी नहीं की जिस कारण आज मैं ठीक हो सका हूँ। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर अजय ने लोगों को संदेश देते हुए कहा, मानसिक रोग किसी को हो सकता है। लेकिन समय पर इलाज कराकर इससे बचा जा सकता है।“

सकारात्मक सोच से करें तनाव का मुकाबला 

तनाव आजकल की सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के तनाव में जी रहा है। किसी को अच्छा जॉब नहीं मिलने का तनाव है, तो किसी को व्यापार-व्यवसाय ठीक से नहीं चलने का तनाव है। कोई घर-परिवार के झगड़ों से तनाव में है तो कोई बाहरी जीवन में किसी बात को लेकर तनाव है। जीवन में छोटी-मोटी समस्याएं तो लगी रहती हैं, लेकिन उनसे निकलने के उपाय भी इंसान को खुद ही तलाशना होंगे। निराश होने की बजाय सकारात्मक सोच से आगे बढ़ेंगे तो तनाव को हरा पाएंगे।

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