विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में शैली सिंह ने लंबी कूद में जीता रजत पदक

झांसी

झांसी की बेटी शैली सिंह ने लंबी कूद के जरिए मेडल ही नहीं जीता, बल्कि आसमान की ऊंचाइयों को भी छू लिया. उन्होंने अंडर20 विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में रजत पदक हासिल कर दुनिया में झांसी की प्रतिभा का परचम लहराया है.

शैली सिंह के रजत पदक जीतने की खबर जैसे ही झांसी में आई यहां लोगों में खुशी का माहौल छा गया. यहां के लोग अब बेटी के वतन वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही साथ शैली सिंह के भव्य स्वागत की तैयारी की जाने लगी है. झांसी मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर स्थित छोटा सा गांव पारीछा शैली सिंह की ननिहाल है, जहां वह पली-बढ़ीं.

शुरुआत से ही बेहद प्रतिभावान खिलाड़ी रहीं शैली सिंह ने 2016 में पहली बार झांसी के ध्यानचंद स्टेडियम में अपना कदम रखा. यहां अभ्यास की शुरुआत से ही शानदार प्रदर्शन कर शैली ने अपने मजबूत  इरादे जाहिर कर दिए.

इसके बाद शैली की वर्ल्ड चैम्पियन अंजू बॉबी जॉर्ज की बेंगलुरू स्थित एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू हो गई. देश में हुई कई चैम्पियनशिप में लगातार जीत हासिल करती हुई वह नैरोबी में अंडर20 विश्व एथलेटिक्स चैम्पिनशिप में पहुंच गईं. यहां शैली सिंह शुरुआत से ही छाई रहीं और अपनी प्रतिभा के बलबूते फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हो गईं. फाइनल में शैली सिंह ने 6.59 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक देश को दिया.

उनकी इस उपलब्धि पर पूरे झांसी में खुशी का माहौल है.  केवल खिलाड़ी और खेल प्रेमी ही नहीं, बल्कि पूरी झांसी का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. शैली के गांव पारीछा में रक्षाबंधन पर दिवाली जैसी रौनक छा गई. अब सबको अपनी बेटी के वापस आने का इंतजार है. झांसी आगमन पर शैली के भव्य स्वागत की तैयारियां की जाने लगी हैं.

निशाने पर है ओलंपिक में पदक

जिला एथलेटिक्स संघ के सचिव अर्जुन सिंह ने बताया कि शैली में असीम क्षमता आए हैं. विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक हासिल करने से उनका मनोबल बहुत ऊंचा हो गया. शैली की अगली तैयारी आगामी ओलंपिक में पदक हासिल करने की है.

परिवार में खुशी का माहौल

पारीछा गांव में शैली की नानी मीरा देवी मामा हेमंत, बृजेश सिंह की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्होंने शैली के विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक हासिल करने की जानकारी मिली घर में सभी की आंखों में आंसू आ गए. हालांकि पहले से ही उन्हें भरोसा था कि शैली देश का नाम ऊंचा करके ही लौटेंगी.

 

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