नई दिल्ली
राज्यसभा में विपक्षी सांसदों और मार्शलों के बीच धक्का मुक्की का मामला गरमाता जा रहा है। विपक्ष ने गुरुवार को इसके खिलाफ पैदल मार्च किया और सांसदों की पिटाई करने का आरोप लगाया। उधर सत्ता पक्ष के मंत्री और सांसद इसे सरासर झूठ बता रहे हैं और विपक्षी सांसदों पर हंगाने का और संसद की मर्यादा भंग करने का आरोप लगा रहे हैं। इस हंगामे के बीच बुधवार को हुए हंगामे का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। इस फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि मार्शल सांसदों को वेल में जाने का रास्ता रोक रहे हैं। जब सांसदों के कई बार कहने पर भी मार्शल नहीं हटे तो बहस धक्का-मुक्की में बदल गई।सत्ता पक्ष के मुताबिक हालात जब बिगड़ने लगे, तो हंगामा कर रहे विपक्षी सासंदों को रोकने के लिए मार्शलों की मदद लेनी पड़ी।
दरअसल बुधवार को विवादास्पद सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को राज्यसभा में पेश किया गया। विपक्ष इस विधेयक को एक प्रवर समिति को भेजने की मांग कर रहा था। वाईएसआर कांग्रेस के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि इस कानून के व्यापक प्रभाव को समझने के लिए इसे एक प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस, आरजेडी और टीडीपी के सांसदों ने इसका समर्थन किया।
लेकिन जब सरकार ने हंगामे के बीच बिल पर चर्चा के लिए दबाव डाला, तो सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने मेज पर चढ़ने की कोशिश की। इस पर सभापति बीजेडी सांसद सस्मित पात्रा ने तुरंत सदन को स्थगित कर दिया। इसके बाद फौरन 10 से अधिक महिला मार्शल और लगभग 50 पुरुष मार्शल ने रिपोर्टर की मेज के चारों ओर से घेरकर एक मानव श्रृंखला बनाई और उन्होंने विपक्षी सदस्यों के वेल में जाने से रोक दिया। इसके विरोध में सांसदों ने धक्का-मुक्की शुरु कर दी। अब दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर संसद की गरिमा भंग करने का आरोप लगा रहे हैं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सदन में देश से जुड़े विषयों को उठाना चाहिए, लेकिन विपक्ष ने सड़क से संसद तक अराजकता किया। विपक्ष को जनता के टैक्स के पैसे की न तो फिक्र रही और न ही संवैधानिक मूल्यों की। विपक्ष को घड़ियाली आंसू बहाने की बजाए देश से माफी मांगनी चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि संसद का मानसून सेशन अभी खत्म हुआ। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले दिन से ही जब सर्वदलीय मीटिंग हुई थी, उसमें प्रधानमंत्री भी हिस्सा लिए थे, तब पहले दिन से ही विपक्ष ने सदन न चलने के संकेत दिए थे। टीएमसी और कांग्रेस के सांसदों ने अराजकता की हद पार कर दी।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष की मंशा शुरू से स्पष्ट थी। मिनिस्टर के हाथ से कागज छीनना, सस्पेंड होने के बाद भी माफी भी नहीं मांगना और महिला मार्शल को चोट लगना, ये सब विपक्ष के अराजकता के उदाहरण हैं। नौ तारीख को भी सदन में विपक्ष ने भद्दा प्रदर्शन किया। रूल बुक चेयर के ऊपर फेंका गया। एक प्रकार से यह चेयर और सेक्रेटरी जनरल के ऊपर कातिलाना हमला था। ऐसे सांसदों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। विपक्ष के सांसद माफी तो छोड़िए, सीना चौड़ाकर सौ बार ऐसी घटनाएं करने की बात कह रहे हैं। पूरे सदन की गरिमा गिराते हुए विपक्ष ने जनता के बीच में बहुत प्रश्न चिह्न् खड़ा कर दिया। आखिर विपक्ष के सांसद हमारे युवा-युवतियों को क्या दृश्य दिखाना चाहते हैं? हम लगातार चर्चा चाहते थे।लेकिन विपक्ष ने जानबूझकर जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं की।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कहावत है कि चोरी और सीनाजोरी। पहले विपक्ष ने पार्लियामेंट में प्रदूषण फैलाया, उसके बाद सड़क पर प्रदर्शन किया। उसके ऊपर कहा कि सौ बार हम यह हरकत दोहराएंगे।