राज्यपाल सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) (संशोधन) विधेयक 2022 का अनुमोदन किया

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके

रायपुर,

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) अधिनियम 1999 में संशोधन के लिए प्रस्तुत विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। संशोधन उपरांत यह अधिनियम छत्तीसगढ़ आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) (संशोधन) अधिनियम 2022 कहलाएगा। मूल अधिनियम की 05 धाराओं में संशोधन किया गया है तथा 01 धारा को विलोपित कर दिया गया है।

संशोधन के अनुसार धारा 04 के तहत् आदिम जनजाति के भूमि स्वामी को अपने खाते पर खड़े हुए विनिर्दिष्ट वृक्ष को काटने की अनुमति के लिए ‘‘कलेक्टर’’ के स्थान पर ‘‘अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)’’ को अनुज्ञा के लिए आवेदन देना होगा। धारा 04 की उप-धारा (2) में भी संशोधन किया गया है, जिसके अनुसार ‘‘अनुविभागीय अधिकारी’’ आवेदन की जांच कराएगा तथा राजस्व विभाग एवं वन विभाग के संयुक्त जांच प्रतिवेदन पर विचार कर अनुज्ञा देने के संबंध में निर्णय करेगा।

मूल अधिनियम की धारा 5 का विलोपन किया गया है। धारा 06 में संशोधन किया गया है कि भूमिस्वामी को देय प्रतिफल की राशि का भुगतान, अधिनियम के अधीन बनाये गये नियमों एवं प्रक्रियाओं के अनुसार किया जायेगा। धारा 8 में अपील, पुनरीक्षण और पुनर्विलोकन के उपबंध जैसे कि वे संहिता में विहित किए गए हैं, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा इस अधिनियम के अधीन पारित किए गए किसी आदेश पर भी लागू होंगे।

धारा 09 के तहत् संशोधन के अनुसार कोई व्यक्ति जो आदिम जनजातियों के खातों में खड़े हुए विनिर्दिष्ट वृक्षों को काटता है, उनको नुकसान पहुंचाता है, काट-छांट करता है या किसी भाग को हटाता है तो दोष सिद्ध होने पर तीन वर्ष के कारावास और एक लाख रूपए जुर्माना देना होगा।

पूर्व में जुर्माने की राशि दस हजार रूपए निर्धारित थी। धारा 09 की उप-धारा 02 के तहत् कार्यवाही करने का आधार गठित करने वाले किन्हीं विनिर्दिष्ट वृक्षों के लकड़ी का अधिग्रहण कर लिया जाएगा और वह राज्य सरकार को राजसात हो जाएगी, किन्तु यदि भूमि स्वामी के प्रति कोई षड़यंत्र, कपट या छल किया जाता है तो इस प्रकार राजसात लकड़ी के विक्रय के बाद और उस आपराधिक मामले के निपटारे के बाद अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के आदेश के अधीन पांच लाख रूपए तक की अधिकतम सीमा के तहत् पचास प्रतिशत तक की सीमा की राशि भूमि स्वामी को दिया जाएगा। धारा 9 की उप-धारा (3) तथा (4) का लोप किया गया है।

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