राज्यपाल ने सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर का किया शुभारंभ, राज्यपाल ने कहा मैं गर्व से कहती हूँ कि मैं राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेवक रही हूँ

रायपुर, 

मैं गर्व से कहती हूँ कि मैं राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेवक रही हूँ, राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़कर मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और जीवन में सकारात्मक बदलाव आये। उक्त बातें राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने 7 दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर के शुभारंभ कार्यक्रम में कही। भारत सरकार के युवा कार्यक्रम व खेल मंत्रालय, राष्ट्रीय सेवा योजना तथा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के संगठना व्यवस्था के तत्वाधान में 7 दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर का आयोजन अमलेश्वर स्थित रामचंद्र मिशन आश्रम में किया जा रहा है। राज्यपाल सुश्री उइके सह अथितियों ने युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उल्लेखनीय है कि 21 से 27 मई तक चलने वाले राष्ट्रीय एकता शिविर में  देश के 12 राज्यों से स्वयंसेवक शामिल होने पहुंचे हैं, जहां विभिन्न सांस्कृतिक, बौद्धिक व शारीरिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा।

 राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने राष्ट्रीय एकता शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने तथा युवाओं को देश की सांस्कृतिक विविधताओं से परिचय कराने में यह शिविर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन से राष्ट्रीय सेवा योजना से मेरा जुड़ाव रहा है। यह ऐसा मंच है जो न केवल राष्ट्र प्रेम की भावना को जागृत करता है बल्कि आपका आत्मविश्वास बढ़ाता है और आपको सम्मान दिलाता है। मैं हमेशा गर्व से कहती हूं कि मैं राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेवक रही हूं और इससे मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आये हैं। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि अनुशासन, जनसेवा, एकता की भावना और व्यक्तित्व का विकास राष्ट्रीय सेवा योजना के मूल हैं। निश्चित ही हमारी भावी पीढ़ी राष्ट्रीय सेवा योजना  से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देगी और हमारे सांस्कृतिक वैविध्य और विरासत को सहेजने का काम करेगी। इसके माध्यम से युवाओं की ऊर्जा और शक्ति को सकारात्मक दिशा देकर देश का विकास संभव होगा। उन्होंने अपने छात्र जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैं इन शिविरों में भाग लेती थी और इसी के परिणाम स्वरूप ही मेरे भीतर समाज सेवा की भावना जागृत हुई और मैं सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रियता से भाग लेनी लगी। छात्रों की मदद के लिए सदैव आगे रही और उस समय मुझे बड़ी लोकप्रियता भी मिली। विद्यार्थियों को लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित भी किया और वन विभाग के सहयोग से बड़े पैमाने पर पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्ष रोपित किये।

राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना आपको समानता के साथ ही लिंग, भाषा, क्षेत्र, समुदाय से ऊपर उठकर मानव सेवा के लिए संकल्पित होकर काम करना सीखाती है। इसी आशय से उन्होंने अपने राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्यकाल का अनुभव बताया कि उन्होंने महिलाओं में कानूनी जागरूकता लाने के लिए अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली किताबों का प्रकाशन हिन्दी में कराया। ताकि भाषा अधिकारों व ज्ञान के आड़े न आये। राष्ट्रीय सेवा योजना से जो आत्मविश्वास मुझे मिला था, वह जीवन के हर पल में काम आ रहा है। जो विनम्रता मैंने सीखी थी, आज उसका परिणाम है कि राजभवन के दरवाजे हर किसी के लिए मैंने खोलने का निर्णय लिया।

राज्यपाल सुश्री उइके ने अपने उद्बोधन के अंत में कहा कि प्रदेशवासियों और मैंने परस्पर एक-दूसरे को आत्मसात किया है और यह स्नेह मुझे अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए और अधिक प्रेरित करती है। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त दो स्वयंसेवकों सत्येन्द्र साहू और श्री राकेश कुमार को मेडल देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम को युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक पंकज सिंह, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा, राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक ए.एस. कबीर, राष्ट्रीय सेवा योजना छत्तीसगढ़ के राज्य समन्वय अधिकारी समरेन्द्र सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना सभी के अधिकारीगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

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