राजभवन: सर्च कमेटी के सदस्य पर भेदभाव करने का आरोप

भोपाल
राजभवन की कुपलति चयन व्यवस्था संदेह में घिरती दिख रही है। एक प्रिंसिपल का आरोप है कि राजभवन मप्र विवि अधिनियम 1973 के विपरीत जाकर कुलपतियों की नियुक्तियां कर रहा है। तत्कालीन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कुलपति चयन में साक्षात्कार की व्यवस्था की थी। इसके बाद उन्होंने स्वयं साक्षात्कार लेना शुरू कर दिया। जबकि नियम में साक्षात्कार लेना नहीं है। अब हिंदी विश्वविद्यालय के लिए कुलपति के उम्मीदवार एक प्राचार्य ने राजभवन की चयन प्रक्रिया विशेषकर साक्षात्कार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आरोप है कि राजभवन कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर भेदभाव कर रहा है। कुलपति नियुक्ति में राजभवन की कार्रवाई को देखते हुए हिंदी विवि के कुलपति उम्मीदवार प्राचार्य प्रो. कमलेश सिंह चंदेल ने राज्यपाल मंगुभाई छ. पटेल को दस बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज करते हुए शिकायत की है।  प्राचार्य चंदेल आरजीपीवी के अंर्तगत आने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम यूआईटी झाबुआ में पदस्थ हैं। उनका कहना है कि राजभवन मप्र विवि अधिनियम 1973 के धारा 12 में साक्षात्कार की कोई व्यवस्था नहीं हैं। इसमें सिर्फ उम्मीदवारों की स्कू्रटनी कर पैनल तैयार कर राज्यपाल को भेजना है। इसमें से वे किसी उम्मीदवार की नियुक्ति करेंगे, यानी साक्षात्कार नहीं होना है।

जबकि अभी उम्मीदवार को सर्च कमेटी और राज्यपाल के समक्ष दो बार साक्षात्कार देने पड़ रहे हैं। इसके बाद ही स्कू्रटनी कर उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिये बुलाया जा रहा है। पत्र में लिखा है कि एक उम्मीदवार एसपी पॉलीटेक्निक के प्राचार्य आशीष डोंगरे की पीएचडी थीसिस में नकल होने पर कार्रवाई प्रस्तावित है। वहीं, दूसरे उम्मीदवार आरजीपीवी के पूर्व रजिस्ट्रार सुरेश कुमार जैन एमपीपीएससी से चयनित नहीं हैं। जबकि आरोप है कि कई उम्मीदवार उनसे ज्यादा योग्यता रखते थे। प्रो. चंदेल स्वयं प्राचार्य होने के बाद भी पैनल से बाहर हो गए हैं। अपने साथ हुये भेदभाव को लेकर उन्होंने अपनी पीड़ा पत्र में लिखी है। इनका पत्र शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।

राजभवन ने सर्च कमेटी चेयरमैन कुलपति रेणू जैन को बनाया। अन्य सदस्यों में कुलपति प्रो. टीआर थापक, साइंस कॉलेज के प्राचार्य अर्पण भारद्वाज और कुलपति कुलदीप अग्निहोत्री को शामिल किया गया। प्राचार्य चंदेल ने राज्यपाल को बताया कि सर्च कमेटी सदस्य भारद्वाज से उनका किसी बात पर विवाद है, जिसे लेकर उन्होंने सर्च कमेटी अध्यक्ष जैन से मिलकर मुझे बाहर किया है। जबकि वह स्वयं कमेटी में रहने की योग्यता नहीं रखते हैं। प्रदेश में नियमित पचास प्राचार्य हैं। जबकि प्रो. भारद्वाज प्रभारी प्राचार्य है।

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