नई दिल्ली
लिएंडर पेस की ओर से 1996 के अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद हर ओलंपिक में भारतीय डबल्स टेनिस खिलाड़ी पदक जीतने के दावेदार बनकर गए हैं, लेकिन इस बार टोक्यो में ऐसा नहीं है। पुरुष डबल्स में रोहन बोपन्ना और दिविज शरण की जोड़ी ओलंपिक केलिए क्वालिफाई ही नहीं कर पाई। वहीं सानिया मिर्जा को अपनी पुरानी सुरक्षित नौवीं विश्व रैंकिंग के चलते ओलंपिक खेलने का मौका मिल गया है। सानिया 191वीं विश्व रैंकिंग की अंकिता रैना के साथ टोक्यो में भारतीय चुनौती पेश करेंगी।
ओलंपिक में महिला डबल्स में भारतीय टेनिस का इतिहास अच्छा नहीं रहा है। सिर्फ बीजिंग ओलंपिक में ही सानिया मिर्जा और सुनीता राव की जोड़ी दूसरे दौर में पहुंच सकी है। लंदन ओलंपिक में रश्मि चक्रवर्ती और रियो ओलंपिक में प्रार्थना के साथ सानिया पहले दौर से आगे नहीं बढ़ पाईं। इससे पहले मनीषा मल्होत्रा और निरूपमा वैद्यनाथन की जोड़ी सिडनी ओलंपिक के पहले दौर में बाहर हुई थी। इस बार देखने वाली बात यह होगी कि सानिया और अंकिता की जोड़ी कितना सफर तय करती है। सानिया का यह चौथा ओलंपिक है। रियो में वह मिश्रित युगल में रोहन बोपन्ना के साथ कांस्य पदक की लड़ाई हार चुकी हैं। यह ओलंपिक उनके लिए बेहद खास है। मां बनने के बाद वह पहली बार ओलंपिक में उतरने जा रही हैं।
अच्छा रैंकिंग नहीं होने के चलते सानिया और अंकिता को शुरूआती दौर में ही कड़े प्रतिद्वंद्वियों से सामना करना पड़ सकता है। फिर सानिया भी लंबे समय बाद विंबलडन में खेलने उतरीं है। कभी विश्व नंबर एक रहीं सानिया की वर्तमान डबल्स रैंकिंग 135 है। ओलंपिक के लिए अंकिता के साथ तालमेल बिठाने के लिए सानिया ने उन्हें अपने घर पर साथ भी रखा। सानिया अपने अनुभव के भरोसे महिला डबल्स में इस ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहेंगी।