भारत के ग्रामीण क्षेत्र की दशा और विश्व में भारत की बढ़ती ऊचाईयाँ के बीच की गहराइयाँ

रायपुर। अमन शर्मा,

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययन शाला विभाग द्वारा समाज कार्य द्वितीय सेमेस्टर प्रैक्टिकल के अंतर्गत एक दिवसीय ग्रामीण शिविर अवलोकन के अंतर्गत ग्राम रूही ब्लॉक पाटन जिला दुर्ग राजधानी रायपुर से 25 -30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित
ग्राम के सामाजिक ,आर्थिक ,राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जन – जीवन पर अवलोकन गांव में नशा, शिक्षा, रोजगार खेती, बेरोजगारी आदि विषयों पर भी जानकारी ली गईं । गांव में प्रायः सभी शौचालय का उपयोग करते हैं। परंतु यह स्वयं के द्वारा निर्मित शौचालय है। गांव में यह जागरूकता सराहनीय लगी परंतु एक दृष्टि “खुले में शौच मुक्त भारत ” योजना के अंतर्गत शौचालय निर्माण क्रियान्वयन पर सवाल भी खड़ा किए।

गांव के कुछ ही दूरी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित है सरकारी विद्यालय संचालित है। गांव में अधिकतर परिवार मजदूरी एवं खेती से जीवन यापन कर रहा है मजदूरी के लिए वह शहर पलायन कर रहा है और खेती के लिए उन्हें सुविधाएं प्राप्त नहीं हो रही है जैसे कि पानी की सुविधा खेती परामर्श के कार्यक्रम नवीन तकनीकों का प्रचार
गांव में कचरे के निपटान के लिए किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है ग्रामीण अपने बाड़ियों में नालियों में कचरा फेंकते हैं । स्वच्छ भारत अभियान पर एक बड़ा सवाल है।

गांव में स्थानीय रोजगार के लिए शासन – प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं किया जा रहा है नहीं जागरूकता है और ग्रामीण खेती में जागरूक नहीं है खेती से ज्यादा आमदनी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं ना ही उन्हें कृषि से संबंधित सरकारी योजनाओं का अधिक जानकारी है यह एक प्रश्न है प्रशासन से और शासन से जनप्रतिनिधियों से जो चुनाव के समय गांव में अपना वोट लेने जाते हैं और बड़े-बड़े वादे करते हैं। गांव में पहले की पीढ़ी अधिकतर अशिक्षित है ।लगभग पांचवी से ज्यादा तक कोई पढ़ाई नहीं किया है।

गांव में पानी की समस्या है तालाब देखरेख में नहीं है और ना ही नलकूप की विस्तारित सुविधा है। गांव नशे की चपेट में है अधिकतर पुरुष और अधिकतर महिलाएं नशे का सेवन करते हैं ,जैसे कि पुरूष शराब , बीड़ी सिगरेट का सेवन और महिलाएं गुड़ाखू आदि का सेवन पुरुष दिन के समय भी शराब पीकर गांव के मोहल्लों में उपद्रव मचाते हैं । पशुपालन सीमित है , गांव के एक घर में दो जवान लड़कों की मौत इस कारण हुई क्योंकि उन्हें सही प्रकार से चिकित्सा उपलब्ध नहीं हो पाई । जहां भारत ने कोरोना काल में विश्व को कोरोना वैक्सीन बांटे आज भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति चिंतनी है, क्या हमने केवल सुख बटोरने के लिए वैक्सीन दिया हमने अपने घर के भीतर नहीं झाँका ।

आज 21 वी सदी का भारत जो विश्व बंधुत्व का वसुधैव- कुटुंबकम का विश्व को संदेश देता है वह जातियों की बेड़ियों से मुक्त नहीं है गांव में जाति का प्रभाव अत्यधिक है लोगों में जाति की मानसिकता भरी हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जातियों से व्यक्ति के कार्य को और उसके चरित्र को आक रहे हैं यह आज के 21वीं सदी के भारत के लिए शर्म का विषय है। आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क की सुविधा इतनी अच्छी नहीं है जितनी कि शहरों की चकाचक सड़कें हर मोहल्लों तक है।

गांव के लोग जो मजदूरी कर रहे हैं आज भी उन्हें उनके मजदूरी का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है चंद मुट्ठी भर लोग ग्रामीणों के श्रम का दुरुपयोग कर रहे हैं उनके श्रम का उचित मूल्य नहीं दे रहे हैं, क्या शासन और प्रशासन इन चीजों को नहीं देख रहा है क्या निर्माणों के युग में केवल हम चंद भर लोगों को फायदा दे रहे हैं। क्या कुछ क्षेत्रों को और कुछ जनसंख्या को अवसर देना समानता हैं ,भारत का विकास है भारत की समृद्धि है।

आज लाखों एनजीओस भारत के राज्यों में काम कर रहे हैं वह कृषि क्षेत्र, ग्रामीण जनजीवन को अच्छा बनाने शिक्षा ,नशा आत्मनिर्भर बनाने आदि पर कार्य कर रहे परंतु उनके कार्य दिखाई क्यों नहीं दे रहे क्यों वह केवल वाह-वाह बटोर रहे हैं और कागज की प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार अपने ऑफिस में लटका रहे हैं।

भारत में काम करने वाले हजारों स्वैच्छिक संगठन किस क्षेत्र में कार्य कर रहे किस विषय पर कार्य कर रहे हैं उन्हें समस्या पर ध्यान देना चाहिए वह ध्यान क्यों नहीं दे पा रहे हैं क्या उनका उद्देश्य केवल अपना नाम बनाना है। अपनी प्रशंशा करवाना हैं ।

अमन शर्मा, स्वतंत्र ख एवं अवलोकन

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