बैकअप व्यवस्था के नाम पर दूसरी लहर में 204 वेंटिलेटर इस्तेमाल नहीं हुए

जबलपुर
जबलपुर हाईकोर्ट में गुरुवार को कोरोना महामारी मामले में स्वत: संज्ञान समेत 14 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट से पता चला कि 204 वेंटिलेटर इस्तेमाल में लाए ही नहीं गए। ये स्टोर रूम में ही बंद पड़े रहे। वहीं, कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि निजी अस्पतालों ने जिस तरीके से इलाज के नाम पर मरीजों से लूट की है, उसकी ऑडिट कराई जाए। अब अगली सुनवाई 21 जून को होगी।
सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 204 वेंटीलेटर सरकारी अस्पतालों के स्टोर रुम्स में बंद पड़े थे, जिन्हें बैकअप व्यवस्था बताकर अस्पतालों में इस्तेमाल ही नहीं किया गया.

सरकार के इस जवाब पर कोर्ट मित्र ने आपत्ति लेते हुए कहा कि अगर स्टोर रूम्स में बंद पड़े वैंटीलेटर्स का इस्तेमाल कर लिया जाता तो शायद कोरोनाकाल में इतनी मौतें नहीं होतीं. कोर्ट मित्र की आपत्ति के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ये स्पष्टीकरण मांगा है कि पीएम केयर फण्ड से अस्पतालों को मिले वैंटिलेटर्स में से इतनी बड़ी तादात को मरीजों के इस्तेमाल में क्यों नहीं लाया गया. वहीं सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी निजी अस्पतालों के बिलों का ऑडिट की मांग की गई. कोर्ट मित्र की ओर से ये मांग की गई कि अस्पतालों द्वारा मरीजों से वसूली गई ज्यादा राशि संबंधित मरीजों और उनके परिजनों को वापिस दिलवाई जाए.

इस दौरान ये भी कहा गया कि सरकार द्वारा तय की गई कोरोना इलाज की दर, कई बड़े अस्पतालों की दरों से भी ज्यादा है. इस पर भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का जवाब मांगा है. साथ ही साथ हाईकोर्ट ने प्रदेश के 52 में से 48 जिलों के जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन ना होने और कोरोना तीसरी लहर के मद्देनजर इलाज की व्यवस्थाओं पर भी जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने पाया कि सरकार तीसरी लहर के मद्देनजर सिर्फ बच्चों के लिए अस्पतालों के मौजूदा स्ट्रक्चर में ही फेरबदल करके व्यवस्थाएं कर रही है जबकि हैल्थ सैक्टर में डॉक्टर्स की भर्ती सहित बड़े कदम उठाए जाने की जरुरत है. ऐसे में हाईकोर्ट ने इन तमाम बिंदुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और इसके लिए राज्य सरकार को 10 दिनों का वक्त दिया है. मामले पर अगली सुनवाई 21 जून को की जाएगी.

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