बूढ़ादेव यात्रा : छत्तीसगढ़ियामन के राज लाबो, हमर पुरखामन के सम्मान ल लहुटाबो – अमित बघेल

बूढ़ादेव की स्थापना के लिए माटी पूजा भी किया गया. बूढ़ातालाब में बूढ़ादेव की 50 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इस यात्रा में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल, भाजपा नेता नंदकुमार साय और सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सोहन पोटाई भी जुरियाय रहीस

रायपुर.

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने  राजधानी रायपुर में आज बूढ़ादेव यात्रा निकाली. लाखे नगर से जयस्तंभ चौक होते हुए बूढ़ापारा स्टेडियम तक करीब 8 किलोमीटर की लंबी यात्रा निकाली. इस यात्रा प्रदेश भर से हजारों की संख्या में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना से जुड़े सेनानी और आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए हैं. यात्रा के दौरान बूढ़ादेव भवगान की झांकी और लोक गीत-नृत्य की प्रस्तुतियां भी हुई.

बूढ़ादेव की स्थापना के लिए माटी पूजा भी किया गया. बूढ़ातालाब में बूढ़ादेव की 50 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इस यात्रा में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल, भाजपा नेता नंदकुमार साय और सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सोहन पोटाई भी जुरियाय रहीस . रैली के बाद बूढ़ापारा स्टेडियम में विशाल सभा का आयोजन भी किया गया. छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ियों की कूल देवता-मूल देवता को बचाने के लिए है.

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल का कहना है कि “छत्तीसगढ़िया के मूल देवता अउ कूल देवता बूढ़ादेव हे. छत्तीसगढ़ हमर पुरखामन के नाँव ल, देवी-देवता के नाँव ल मिटाय के उदिम करे गे हे. फेर अब हम अइसन नइ होवन दन. छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ियामन के राज लाबो. हमर पुरखामन के मान-सम्मान ल लहुटाबो. हमर नदिया-नरवा-तरिया के नाँव-गाँव ल बदलना नइ दन. इही पाय के हम पूरा परदेस भर म बूढ़ादेव यात्रा निकालत हन. ये हमर पहिली चरन रहिस हे. हमर परयास हे के अब पुरखा देवता ल जागगे हे. छत्तीसगढ़ियामन मूल देवता-कूल देवता के भाव ल जगाय जाए. छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना इही भाव ल जगाय के बीड़ा उठाय हे.

चिन्हारी ल बचाबो, बूढ़ादेव के राज लाबो- नंदकुमार साय

भाजपा के वरिष्ठ नेता और आदिवासी समाज के संरक्षक नंदकुमार साय का कहना है कि “छत्तीसगढ़ ल मध्यपरदेस ले अलग राज बने 22 बछर होगे. छत्तीसगढ़ राज के निरमान इहां के आदिवासीमन के बिकास ल लेके होय रहिस. फेर छत्तीसगढ़ियामन अपन राज बने के 22 बछर बाद घलोक बड़ उपेक्छित रहि गिन. उँखर उतका बिकास नइ होइस जतका होना रहिस. इहू म हमर आदिवासी समाज तो आज अपने हक-अधिकार बर लड़त हें. उमन ल बिना लड़े काहीं नइ मिलत हे. बस्तर ले सरगुजा तक संघर्स जारी हे. अइसन बेरा म हमला अपना मूल देवता, मूल चिन्हारी ल बचाना जरूरी हे. हम सबके मूल देवता अउ कूल देवता बूढ़ादेव हे. बूढ़ादेव ले ही बाकी सब देव हे.

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