पटना l बिहार टीचर भर्ती पेपर लीक l बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। EOU ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 300 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह घोटाले की गंभीरता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जो दर्शाता है कि राज्य सरकार इस घटना को गंभीरता से ले रही है। EOU ने इस घटना के पीछे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद करेगा। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने इस मामले में 300 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें परीक्षार्थी, शिक्षक, बिचौलिए और परीक्षा केंद्र के कर्मचारी शामिल हैं।
READ MORE: Lok Sabha Elections : छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में मचेगी गदर, जानें क्या होगा 2024 के चुनाव का परिणाम
EOU के मुताबिक, पेपर लीक होने की जानकारी परीक्षा से एक दिन पहले मिली थी। हजारीबाग के एक होटल में 270 परीक्षार्थियों को पेपर रटवाया जा रहा था। EOU ने छापेमारी कर इन लोगों को पकड़ लिया।
यह भी देंखें : विमेंस आईपीएल में रॉयल चैलेंजर बैंगलोर फाइनल में पहुंची
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जो भी इस घोटाले में शामिल हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

बिहार टीचर भर्ती पेपर लीक को लेकर शिक्षा व्यवस्था पर उठा सवाल:
इस पेपर लीक घोटाले ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं। अभ्यर्थियों और शिक्षाविदों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मामले में ये भी सामने आया है कि 14 मार्च को ही प्रश्न बाहर आ गए थे, परीक्षा के बाद प्रश्न का मिलान करने पर वे बिल्कुल एक से पाए गए हैं। पता चला है कि बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा में धांधली के लिए जालसाजों ने झारखंड के हजारीबाग में बैठकर तैयारी की थी। ये रैकेट हजारीबाग से संचालित हो रहा था। इसका खुलासा बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), बिहार पुलिस और झारखंड पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में हुआ है।
हजारीबाग से गैंग के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह कि इस रैकेट के संचालन में बिहार सरकार के कई अफसरों की संलिप्तता के सबूत मिल रहे हैं। बिहार के एक वरिष्ठ अधिकारी के नेमप्लेट की एक गाड़ी भी हजारीबाग में जब्त की गई है। बिहार पुलिस के प्रेस नोट के अनुसार इस पेपर को लीक कराने के लिए 10 लाख में डील हुई थी, और प्रश्नपत्र 14 मार्च को ही बाहर आ गया था।
संगठित गिरोह के सदस्यों से परीक्षा के संबंध में पूछताछ की गई। इसमें पता चला कि शिक्षक भर्ती परीक्षा के तृतीय चरण के प्रश्न पत्र पेन ड्राईव में 14 मार्च को ही प्राप्त करा दिये गये थे, जिसे उनलोगों के द्वारा प्रिंट निकाल कर अभ्यर्थियों को अलग-अलग समुहों में उत्तर याद करवाने हेतु उपलब्ध कराया गया था। छापामारी व प्रारम्भिक पूछताछ के बाद उक्त प्रश्न पत्र को परीक्षा के बाद बीपीएससी कार्यालय से प्राप्त प्रश्न पत्र की प्रति से मिलान किये जाने पर हूबहू सही पाया गया।
एक्शन में लगी बीपीएससी, चल रही बैठक
आर्थिक अपराध इकाई द्वारा जांच रिपोर्ट बीपीएससी को सौंपी गई है। इसके बाद बीपीएससी जांच में जुट गई है। बीपीएससी का कहना है कि पेपरलीक के आरोपों की जांच की जा रही है। जांच में जो भी बात सामने आएगी, उसके बाद फैसला लिया जाएगा। बीपीएससी ने स्पष्ट कहा कि गड़बड़ी करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। वहीं सूत्रों की मानें तो बीपीएससी अध्यक्ष खुद इस मामले को देख रहे हैं। वह लगातार बीपीएससी के अधिकारियों के साथ के साथ बैठक कर रहे हैं।
छात्र नेताओं ने दी आंदोलन की चेतावनी
छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि मैंने पहले ही पेपरलीक का दावा किया था। अब बिहार पुलिस की ओर से भी स्पष्ट कर दिया है। छात्र नेता ने कहा कि कक्षा एक से पांचवीं के लिए हुई परीक्षा का उत्तर पहले ही वायरल हो गया। जांच में यह भी पता चला कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्न से वायरल उत्तर मैच कर रहे हैं। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। बीपीएससी अध्यक्ष से मांग है कि वह इस मामले को गंभीरता से लें और तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा रद्द कर दें। अगर परीक्षा रद्द नहीं होगी तो हमलोग आंदोलन करेंगे।
क्या आप इस मामले में EOU की कार्रवाई से संतुष्ट हैं? हमें कमेंट में बताएं।
Tell us this action was Efficient or Not according to you.