बादल एकेडमी में बस्तरिया आदिवासी संस्कृति की झलक देखकर अभिभूत हुई राज्यपाल

रायपुर,

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके जगदलपुर के बादल एकेडमी में यहां की जनजातीय समुदायों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखकर अभिभूत हुईं। साथ हीं उन्होंने विकास के लिए सही दिशा में कदम बढ़ाते रहने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आज यहां की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को देखने का अवसर यहीं आसना के पार्क में मिला। वहां परंपरागत तरीके से बनाए गए व्यंजनों का स्वाद लेने का अवसर भी प्राप्त हुआ। आदिवासियों का यह भोजन अब अमीरों की पसंद बन रहा है। मिलावटरहित भोजन को प्रोत्साहित करने के लिए मैनें शासकीय आयोजनों के दौरान आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार ऐसे स्वादिष्ट भोजन परोसने के निर्देश भी दिए हैं।

राज्यपाल ने कहा कि बस्तर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। रुस और युक्रेन के बीच हो रहे युद्ध को देखते हुए यहां के कई लोगों के फोन राजभवन आए, जिनमें युक्रेन में फंसे उनके बच्चों को निकालने की गुहार की गई। इस संबंध मंे विदेश मंत्रालय से संपर्क करते हुए बच्चों को निकालने की कार्यवाही की गई। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस आदिवासी बाहुल्य अंचल के बच्चे विदेशों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं तथा वे आगे चलकर खासकर बस्तर क्षेत्र की सेवा करेंगे।

अमर शहीदों की जीवनी का करें प्रचार प्रसार
इस अवसर पर कलाकारों द्वारा शहीद गेंदसिंह के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया, जिसकी सराहना करते हुए राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले ऐसे वीर सपूतों की कहानी बच्चे-बच्चे के जुबान पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने प्राणों से अधिक अपने देश की स्वतंत्रता को महत्व देने की यह भावना हमें प्रेरित करती है। शहीद गेंदसिंह के जीवन पर आधारित नाटक के मंचन के लिए उन्होंने कलाकारों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

समाज प्रमुखों से राज्यपाल ने की भेंट
बादल एकेडमी परिसर के अवलोकन के दौरान राज्यपाल सुश्री उइके ने हल्बा, भतरा, कोया कुटमा, गोंड, मुरिया और मुण्डा समाज के प्रतिनिधियों से भेंट की। समाज के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर पंरपरागत व्यंजनों से राज्यपाल का स्वागत भी किया। समाज प्रमुखों से इस दौरान बस्तर के विकास पर भी चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने परिसर में स्थित पुस्तकालय का अवलोकन भी किया। उन्होंने यहां लोक संस्कृति पर आधारित किताबों के संकलन की प्रशंसा की और कहा कि वे स्वयं भी लोक संस्कृति पर आधारित किताबों के अध्ययन में रुचि रखती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here