पैरालिंपिक में लगातार दूसरा पदक मरियप्पन थंगावेलु ने जीता, शरद कुमार को मिला ब्रॉन्ज

तोक्यो
रियो ओलिंपिक के चैंपियन मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार ने मंगलवार को पुरुष ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। इसके साथ ही तोक्यो पैरालिंपिक में भारत के कुल पदकों की संख्या 10 तक पहुंच गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने थंगावेलु और शरद कुमार को बधाई दी है। पीएम ने अपने ट्वीट में लिखा कि आप दोनों की इस उपलब्धि से युवाओं को प्ररेणा मिलेगी। मरियप्पन ने 1.86 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक अपने नाम किया जबकि अमेरिका के सैम ग्रेव ने अपने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर की कूद के साथ सोने का तमगा जीता। शरद ने 1.83 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता। 

9 प्रतियोगियों में 7वें स्थान पर रहे वरुण भाटी
स्पर्धा में हिस्सा ले रहे तीसरे भारत और रियो 2016 पैरालिंपिक के कांस्य पदक विजेता वरुण सिंह भाटी नौ प्रतिभागियों में सातवें स्थान पर रहे। वह 1.77 मीटर की कूद लगाने में नाकाम रहे।

इन खिलाड़ियों को रखा जाता है टी42 वर्ग में
टी42 वर्ग में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जिनके पैर में समस्या है, पैर की लंबाई में अंतर है, मांसपेशियों की ताकत और पैर की मूवमेंट में समस्या है। इस वर्ग में खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा पेश करते हैं। इससे पहले मंगलवार को निशानेबाज सिंहराज अधाना ने पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएफ1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।

तोक्यो पैरालिंपिक में भारत के पदकों की संख्या हुई 10
भारत ने अब तक दो स्वर्ण, पांच रजत और तीन कांस्य पदक जीते हैं। मरियप्पन ने रियो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। पैरालिंपिक में मरियप्पन का यह लगातार दूसरा पदक है। इससे पहले मंगलवार को निशानेबाज सिंहराज अडाना ने पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएफ1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। भारत ने अब तक दो स्वर्ण, पांच रजत और तीन कांस्य पदक जीते हैं। रियो में पांच साल पहले स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन तोक्यो पैरालिंपिक के उद्घाटन समारोह में भारत के ध्वजवाहक थे।

थंगावेलु का5 साल की उम्र में दाहिना पैर खराब हो गया था
पांच वर्ष की उम्र में बस के नीचे कुचले जाने के बाद थंगावेलु का दाहिना पैर खराब हो गया था। उनके पिता ने परिवार को छोड़ दिया जिसके बाद मां ने उन्हें अकेले पाला। उनकी मां मजदूरी करती थी और बाद में सब्जी बेचने लगीं। मरियप्पन का बचपन गरीबी और अभावों में बीता। वहीं पटना के रहने वाले कुमार को दो बरस की उम्र में पोलियो की नकली खुराक लेने के बाद बायें पैर में लकवा मार गया था। वह दो बार एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
 

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