पीएम मोदी केदारनाथ में योजनाओं का शिलान्यास किया…जाति और पंथ में फंसे समाज में आदि शंकराचार्य ने चेतना जगाई’

नई दिल्ली:

पीएम मोदी केदारनाथ में लगभग 400 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। केदारनाथ धाम से अपने आध्यात्मिक रिश्ते की वजह से मोदी ने केदारपुरी को विकसित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदार के दर्शन किए और मंदिर के अंदर पूरे विधि विधान के मुताबिक पूजा अर्चना की। मंदिर के पुरोहितों ने पूजा संपन्न करवाई। कुछ देर पहले पीएम मोदी ने आदि गुरु शंकराचार्य के नवनिर्मित समाधि स्थल पहुंचकर शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। साल 2013 में आई बाढ़ के चलते समाधि को नुकसान पहुंचने के बाद अब इसका फिर से निर्माण किया गया है। इसके बाद पीएम मोदी ने केदारनाथ में लगभग 400 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। केदारनाथ धाम से अपने आध्यात्मिक रिश्ते की वजह से मोदी ने केदारपुरी को विकसित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मोदी ने केदारपुरी के पुननिर्माण कार्यों का भी जायजा लिया और इसके बाद एक सभा को संबोधित किया।

जितनी तेजी से केदारनाथ में इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है उसे देखते हुए मैं कह सकता हूं कि पिछले 100 साल में जितने तीर्थयात्री आए हैं, आने वाले 10 साल में उससे भी ज्यादा आने वाले हैं। 21वीं सदी का यह तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक है मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए। हाल के दिनों में हमने सभी ने देखा कि किस तरह 4 धाम यात्रा आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है, कोविड नहीं होता तो न जाने यह संख्या कहां से कहां पहुंच गई होती

चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाइवेज से जुड़ रहे हैं। भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है

आदि शंकराचार्य जी ने पवित्र मठों की स्थापना की, चार धामों की स्थापना की, द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पुनर्जागरण का काम किया। आदि शंकराचार्य जी ने सबकुछ त्यागकर देश, समाज और मानवता के लिए जीने वालों के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की। सदियों से हमारे देश में चारधाम यात्रा का चलन है

एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, holistic way में देखता है। आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया

जाति और पंथ में फंसे समाज में आदि शंकराचार्य ने चेतना जगाई’

जब भारत राग द्वेष के भंवर में फसकर अपनी एकजुटता को खो रहा था, तब शंकराचार्य जी ने कहा था- राग द्वेष लोभ मोह ईर्ष्या अहम, ये सब हमारा स्वभाव नहीं है। जब भारत को जाती पंथ की सीमाओं से बाहर देखने की शंकाओं, आशंकाओं को ऊपर उठने की मानव जात को जरूरत थी तब उन्होंने समाज में चेतना फूंकी

शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे

इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं। मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं

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