नारायणपुर हिंसा में आदिवासी नेता सहित पांच गिरफ्तार….वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर आरोपियों की धरपकड़

नारायणपुर

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में धर्मांतरण को लेकर सोमवार को हुए बवाल मामले में पुलिस ने भाजपा जिलाध्यक्ष रूपसाय सलाम सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया। इन सभी पर चर्च में तोड़फोड़ और पुलिस पर हमला करने का आरोप है। वहीं भाजपाइयों की गिरफ्तारी के बाद पहुंचे भाजपा सांसद संतोष पांडेय, मोहन मंडावी और नेता केदार कश्यप व महेश गागड़ा को रास्ते में रोक लिया गया है। इसके बाद वे सड़क पर ही धरने पर बैठ गए हैं।

जिले के बखरूपारा में तनावपूर्ण शांति छाई हुई है। उपद्रव स्थल से लेकर गांवों में करीब पांच हजार जवान तैनात हैं। वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर आरोपियों की धरपकड़ शुरू हो गई है। देर रात 35 से 40 लोगों को भी घर से उठाया गया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इस बीच नारायणपुर पहुंचे भाजपा नेताओं को रोकने पर वे बेनूर गांव में सड़क पर ही बैठ गए। अफसरों के समझाने पर वे उठने को राजी हुए। इसके बाद से ही सीएसपी कार्यालय के बंद कमरे में बैठक जारी है।

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में आदिवासियों के ही दो गुटों के बीच मारपीट मामला है । घटना के अनुसार ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों से नाराज़ कुछ लोगों ने एक चर्च को निशाना बनाने की कोशिश की थी। इस संघर्ष में पथराव भी किया गया है। जब उपद्रव कर रहे लोगों को पुलिस ने रोकने की कोशिश की गई तो पुलिस पर भी पथराव किया गया। इस घटना में ज़िला एसपी सदानंद कुमार को सिर पर पत्थर लगने से चोट आई है। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है साथ ही मौक पर बड़ी संख्या पुलिस बल भी मौजूद है।

इस मामले में छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया है कि अब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि इस पूरे संघर्ष में कोई भी आदिवासी घायल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रशासन के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना में एसपी के अलावा 8-10 जवान भी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन प्रदर्शन करने पहुंचे आदिवासियों को समझा बुझा कर वापस उनके घरों को भेज रहा है. गृहमंत्री ने इस मामले में किसी गिरफ्तारी पर अभी कुछ नहीं कहा है।

 

करीब तीन माह से थे तनाव के हालात

बताया जा रहा है कि एड़का के गौर्रा में पिछले करीब तीन माह से धर्मांतरण को लेकर तनाव के हालात बने हुए थे। पुलिस को इस संबंध में तमाम शिकायतें भी की गईं, लेकिन पुलिस ने न तो मामला दर्ज किया और न ही कोई कार्रवाई की। इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए। उपद्रवियों ने पहले थाना प्रभारी से मारपीट की। इसके बाद सोमवार को बवाल सड़क पर आ गया। उपद्रवियों ने तीन चर्चों में तोड़फोड़ की है। चर्च में रखा फर्नीचर और वहां लगी मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। ख़बरों के मुताबिक ज़िले के बखरूपारा में धर्मांतरण के खिलाफ बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग एकत्रित हुए। आदिवासियों ने दावा किया कि ईसाई समुदाय ने उनके साथ मारपीट की है।

सर्व आदिवासी समाज ने कहा- घटना की निंदा करते हैं
वहीं सर्व आदिवासी समाज ने इस पूरी घटना से दूरी बना ली है। समाज के अध्यक्ष हीरा सिंह देहारी ने कहा कि, इसमें सर्व आदिवासी समाज का कोई इन्वाल्वमेंट नहीं है। आदिवासी समाज का नाम लाया जा रहा है, यह गलत है। जो गलत किया है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। किसी से मारपीट करना, धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ करना गलत है। हम किसी भी रूप में इस विवाद में नहीं आना चाहता है। जो हमारा नाम लेकर ऐसा कर रहा है, उस पर शासन कार्रवाई करें।

भाजपा ने गांधी प्रतिमा के सामने किया प्रदर्शन
दूसरी ओर भाजपा ने विधानसभा के सामने महात्मा गांधी की मूर्ति के पास प्रदर्शन किया। हाथों में पोस्टर लिए पूर्व सीएम रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल सहित अन्य विधायक प्रदर्शन में शामिल रहे। पूर्व सीएम ने कहा कि, छत्तीसगढ़ की धरती पर प्रकृति के संरक्षक आदिवासी समुदाय पर ईसाई मिशनरी हमला कर रहे हैं और कांग्रेसी सरकार उन्हें बढ़ावा दे रही है। आदिवासियों की आवाज अब दबाई नहीं जा सकती, जब दाऊ आदिवासियों को न सुरक्षा और न ही आरक्षण दे पा रहे हैं तो इस्तीफा दे दें।

छह सदस्यीय जांच समिति भी बनाई
भाजपा ने नारायणपुर की घटना को लेकर छह सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव की ओर से गठित की गई यह समिति संबंधित स्थानों का दौरा कर वहां से रिपोर्ट तैयार कर पार्टी को सौपेंगी। इस समिति में पूर्व मंत्री और विधायक ननकी राम कंवर, प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक शिवरतन शर्मा, कांकेर सांसद मोहन मंडावी, राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय, प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप और पूर्व मंत्री महेश गागड़ा शामिल हैं।

 

 

 

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