धर्म रक्षार्थ सनातन धर्म पुरोहित महासभा का देशव्यापी अभियान आरंभ

भिलाई।

देश की सर्वाधिक प्रतिष्ठित, प्राचीन और बड़ी सनातनी संस्था सनातन धर्म परिषद न्यास के 9 अनुषांगिक संगठनों में से एक सनातन धर्म पुरोहित महासभा ने धर्म की रक्षा और हिंदू नव जागरण हेतु मार्च 2022 से अपना देशव्यापी अभियान आरंभ कर दिया है। विभिन्न जातियों संप्रदायों, गुटों और समुदायों में बटें सभी हिंदुओं/सनातनियों को एकजुट करना इसका मुख्य ध्येय है। सर्वसमाज, सर्वधर्म और समस्त प्राणीजनों के प्रति समभाव रखने वाली इस संस्था का विस्तार देश और इसकी सीमाओं के बाहर भी विस्तृत है। महासभा देश भर में हजारों आयोजन अब तक संपन्न कर चुकी है। सनातन धर्म परिषद न्यास-भारत के दूसरे विभिन्न 9 अनुषांगिक संगठनों की तरह यह भी न्यास का एक प्रतिष्ठित अनुषांगिक संगठन है और विगत तीन दशकों से भी अधिक समय से अपनी रचनात्मक सक्रियता से दूसरी सभी धार्मिक संस्थाओं में इसे एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

भिलाई छत्तीसगढ़ के पंडित अरुण मिश्रा को सनातन धर्म पुरोहित महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के तुरंत बाद से ही वे व्यापक जनसंपर्क में जुट गए हैं। 17 जुलाई को भिलाई में एक वृहद आयोजन करने के बाद 2 महीनों में ही उन्होंने सनातन धर्म परिषद न्यास के प्रमुख महंत अवध बिहारी दास के नेतृत्व और राष्ट्रीय महासचिव अमर बहादुर तिवारी के सानिध्य में देश के 15 राज्यों में पुरोहित महासभा की इकाई गठित कर दी है और दूसरे राज्यों में भी प्रयास जारी हैं। महासभा के राष्ट्रीय सलाहकार एवं मीडिया प्रभारी नरेंद्र राठौड़ के साथ देशभर में व्यापक जनसंपर्क करके वे लोगों में सनातन धर्म के प्रति जागरूकता, आस्था और रक्षा का संदेश दे रहे हैं।

विभिन्न राज्यों में इसके लिए महा आयोजन की भी तैयारी है जिसमें देश भर से अनेक महामंडलेश्वर, महंत, धर्माचार्य, आचार्य, पुजारी, संत, साधु-महात्मा और सनातन अनुयायियों के अतिरिक्त विभिन्न शीर्ष नेतागणों व विशिष्टजनों को शामिल किए जाने का प्रयास जारी है।

महासभा को संगठन स्तर पर एक मजबूत आधार देने के लिए राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर अनेक इकाइयों का गठन किया गया है और विभिन्न पदों की संरचना कर उसमें पुराने अनुभवी लोगों के साथ नए-नए उत्साही सनातनिओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा रही है। संगठन में अब तक सैकड़ों की संख्या में नई नियुक्तियां की जा चुकी हैं।

दूसरे किसी भी धर्म के प्रति विद्वेष फैलाने के बजाय तटस्थ रहकर ओर समभाव रखते हुए मात्र अपने धर्म के प्रति अपने कार्यों को केंद्रित करना ही महासभा का मूल भाव है। सब धर्मों के प्रति समान भाव रखने, शांतिपूर्ण सद्भाव और विश्व बंधुत्व की भावना को लेकर चलने वाला सनातन धर्म अपनी अतिशय उदारता की वजह से आज एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। आए दिन देश के विभिन्न राज्यों में सनातन धर्म और इसके अनुयायियों पर लगातार हमले हो रहे हैं और हिंदुत्व के प्रति कुछ मौकापरस्त लोगों द्वारा नफरत और अलगाववाद की भावना को भड़का कर अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है जबकि धर्मनिरपेक्ष भारत में हर धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग शुरू से ही मिलजुल कर रहते आए हैं। हिंदू और हिंदुत्व हमेशा से ही भारतीय संविधान की अवधारणानुरूप धर्मनिरपेक्षता, समता, समानता, सद्भावना और विश्वबंधुता का पालन करते आया है।

उसके बावजूद आज सनातन धर्म और सनातनियों के ऊपर संकट दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहा है। इससे पूरे विश्व समुदाय में भी भारत की छवि खराब हो रही है। सनातन धर्म पुरोहित महासभा का यही प्रयास है कि देश में शांति और सद्भाव कायम हो और दूसरे धर्मालंबियों की तरह हिंदू भी अपने धर्म के प्रति संगठित, जागरूक, सजग-सतर्क और जवाबदेही हो। इन्हीं सब उद्देश्यों को लेकर महासभा देशव्यापी अभियान में जुट गई है और एक- एक करके देश भर के विभिन्न सनातनी, हिन्दू और हिंदूवादी संगठन इससे निरंतर जुड़ते ही जा रहे हैं।

“मैं अकेला ही चला था, ज़ानिब-ए-मंजिल
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।”

और बकौल दुष्यंत कुमार यह भी कि…..

“सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन जलनी चाहिए।
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से अब कोई गंगा निकलनी चाहिए….।”

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