दूसरों की ईर्ष्या प्रमाण है कि आप सचमुच आनंदित हैं

दूसरों की ईर्ष्या प्रमाण है कि आप सचमुच आनंदित हैं

(लोग दुख में आपके साथ हो सकते हैं लेकिन आपकी ख़ुशी में नहीं)

कई बार ऐसा होता है कि जब आप अपने किसी मित्र, रिश्तेदार अथवा परिचित से मिलते हैं अथवा मिलने जाते हैं तो आपको अपेक्षित आदर-सत्कार, सम्मान अथवा स्नेह की बजाय उपेक्षा और तिरस्कार मिलता है। कल तक जो लोग आपकी तरफ पूरा ध्यान देते थे, आपकी पसंद-नापसंद का ख़याल रखते थे और आपकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे वे ही एकाएक आपमें कमियाँ निकालना तथा आपकी उपेक्षा और तिरस्कार करना प्रारंभ कर देते हैं जबकि आपने ऐसा कोई काम नहीं किया जो उनकी शान के ख़िलाफ हो। ऐसे में आपका दुखी, उत्तेजित अथवा परेशान होना स्वाभाविक है लेकिन ऐसा करने से पहले ज़रा इसके कारणों पर विचार कीजिए।

कल तक जो मित्र आपके सेंस ऑफ ह्यूमर अथवा आपकी डेªससेंस की प्रशंसा करते थकते नहीं थे आज आपको बत्तमीज़ और फूहड़ साबित करने पर तुले हुए हैं तो इसका कोई कारण तो होगा ही और वो कारण है आपके व्यक्तित्व का अपेक्षाकृत अधिक प्रभावशाली होना अथवा आपकी प्रसन्नता के स्तर में वृद्धि होना लेकिन उनके इस अप्रत्याशित व्यवहार से आपको दुख तो होगा ही। हो सकता है आपको क्रोध भी आ जाए। लेकिन आपको क्रोध करने अथवा दुखी होने की ज़रूरत नहीं है। लोग बेशक हमारे ग़मों में शरीक होते हैं लकिन हमारी ख़ुशियों के हमेशा ख़िलाफ ही होते हैं। प्रायः अधिकांश लोग दूसरों को प्रसन्न देखना नहीं चाहते। किसी अन्य की प्रसन्नता कुछ लोगों को कभी बरदाश्त नहीं होती। हाँ अगर आप दुखी हैं तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। तभी तो उर्दू शायर डॉ0 नवाज़ देवबंदी साहब कहते हैं:

वो जो मेरे ग़म में शरीक था जिसे मेरा ग़म भी अज़ीज़ था,

मैं जो ख़ुश हुआ तो पता चला वो मेरी ख़ुशी के ख़िलाफ़ है।

लेकिन उपेक्षा, अपमान अथवा तिरस्कार की यह स्थिति आपके लिए दुखी नहीं प्रसन्न होने के लिए है क्योंकि इस समय आप वास्तव में प्रसन्नचित्त अथवा ख़ुशहाल हैं। इसी वजह से तो कुछ लोग आपसे दुखी होकर आपको नीचा दिखलाने के प्रयास में हैं। कुछ लोग हमेशा सुंदर, सुशील, प्रसन्नवदना, खुले हृदय और उनमुक्त विचारों वाली महिलाओं में चारित्रिक दोष ढूंढने के प्रयास में ही लगे रहते हैं। वास्तव में दुर्बल चरित्र वाले लोगों को इससे अधिक कुछ आता ही नहीं। जो व्यक्ति जिन दुर्गुणों से युक्त होता है वह उन्हें दूसरों में देखना और उन पर आरोपित करना चाहता है। अब ऐसे ईर्ष्यालु व्यक्तियों से भला एक अच्छे व्यक्ति का क्या मुक़ाबला लेकिन दूसरे लोगों की ईर्ष्या इस बात का प्रमाण है कि आप सचमुच आनंदित हैं। वे लोग यही चाहते हैं कि आप किसी तरह इस आनंद से वंचित होकर दुखी हों। ये हम पर निर्भर करता है कि हम इस षड़यंत्र के शिकार होते हैं अथवा नहीं।

यदि आप ईमानदार, अनुशासनप्रिय और नियमों का पालन करने वाले हैं तो बेईमान, अनुशासनहीन तथा नियम तोड़नेवाले लोग अवश्य ही आपको नीचा दिखाने का कोई अवसर अपने हाथ से नहीं जाने देंगे। यदि आप लोगों की सहायता करने वाले, उन्हें अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित करने वाले अथवा दो पक्षों का झगड़ा निपटवाने वाले हैं तो दूसरों की टाँग खींचने वाले तमाशबीन क़िस्म के लोग अवश्य ही आपके शत्रु हो जाएँगे और आपको अपमानित करने का कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देंगे। लेकिन आप सद्गुणों के स्वामी हैं अतः इन अमूल्य जीवन-निधियों और जीवन-मूल्यों को खिसकने मत दीजिए। यदि लोग आपमें बिना वजह कमियाँ निकालने का प्रयास करते हैं तो ये आपके लिए सचमुच अच्छी बात है।

लोग दुख में आपके साथ हो सकते हैं लेकिन आपकी ख़ुशी बरदाश्त नहीं कर सकते, यही सच्चाई है। सभी लोग तो ऐसे नहीं होते लेकिन अधिकांश ऐसे ही होते हैं इसमें संदेह नहीं। लोग तो ऐसे ही होते हैं लेकिन अब आपकी बारी है। आप प्रसन्न रहना चाहते हैं अथवा प्रसन्नता से वंचित होना चाहते हैं। वास्तविकता ये है कि जो लोग दूसरों की समृद्धि देख कर आनंदित होते हैं उन्हें स्वयं समृद्ध होते देर नहीं लगती। विद्वान ही विद्वानों का आदर करते हैं, उनकी संगति से लाभांवित होते हैं। जो प्रभावशाली व्यक्तित्व से संपंन व्यक्तियों को देखकर उनके गुणों की प्रशंसा करते हैं, उन्हें उचित ठहराते हैं एक दिन स्वयं भी प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी बन जाते हैं।

यदि कोई व्यक्ति विशेष निरंतर किसी व्यक्ति की उपेक्षा कर रहा है अथवा अपमानित करने का मौक़ा तलाश रहा है तो इसमें दो बातें हो सकती हैं। जिस व्यक्ति की उपेक्षा की जा रही है या तो वह है ही उपेक्षा और तिरस्कार के योग्य अन्यथा वह उपेक्षा और तिरस्कार करने वाले व्यक्ति से आगे बढ़ रहा है, उन्नति कर रहा है, इसमें संदेह नहीं। अब यह उन्नति किसी भी प्रकार की हो सकती है। यह आर्थिक उन्नति भी हो सकती है और बौद्धिक उन्नति अथवा विकास भी। कई लोगों की सोच अत्यंत सकारात्मक होती है इसलिए नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति कभी उनके साथ उचित व्यवहार नहीं कर सकते।

यदि आपके किन्हीं गुणों के कारण आपका व्यक्तित्व विकसित होकर प्रभावशाली हो रहा है, आपमें सद्गुणों की वृद्धि हो रही है तो यह बात भी निश्चित है कि जो लोग इन गुणों से वंचित या कमज़ोर हैं आपकी उपेक्षा करेंगे ही लेकिन ऐसे में उनको मुँह तोड़ जवाब देना स्वयं के विकास को अवरुद्ध करना है। यद्यपि आपकी उपेक्षा करके आपको कमज़ोर करने का प्रयास अवश्य किया जा रहा है लेकिन यदि आप किसी भी प्रकार से कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं करते हैं तो स्वाभाविक है आपकी स्थिति कमज़ोर नहीं होगी।

आपकी स्थिति अपेक्षाकृत सुदृढ़ है जिसे किसी प्रकार की चुनौती नहीं दी जा सकती। हाँ, यदि आपमें कुछ कमियाँ हैं, आपकी ग़लत आदतों अथवा दुर्व्यसनों की वजह से आपकी उपेक्षा की जाती है तो आपको अपना पुनर्मूल्यांकन करके स्वयं को दोषमुक्त करने की ज़रूरत है न कि बुरा मानने अथवा क्रोध करने की। और यदि बेवजह आपकी उपेक्षा की जा रही है तो आपको दुखी नहीं ख़ुश होना चाहिए। आपकी उपेक्षा की वजह है आपकी वर्तमान स्थिति से ईर्ष्या होना।

 

यदि आप क्रोध करते हैं अथवा उपेक्षा का जवाब उपेक्षा से देते हैं या अन्य किसी भी प्रकार से ईंट का जवाब पत्थर से देने का प्रयास करते हैं तो संभव है आप इसमें सफल हो जाएँ लेकिन इस प्रयास में आपमें अनेकानेक अवगुणों का आना तथा आपका अपनी स्थिति से नीचे गिरना भी स्वाभाविक है। यदि आप उपेक्षा अथवा अपमान को सहन कर लेते हैं तो आप में धैर्य, सहिष्णुता और क्षमा जैसे अद्भुत गुणों का अतिरिक्त समावेश भी हो जाता है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इन गुणों से तो अंततः विरोधी व शत्रु भी मित्र हो जाते हैं।

 

सीताराम गुप्ता,

ए डी-106-सी, पीतम पुरा,

दिल्ली-110034

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