साहित्य,
तुझ बिन कौन सुने दिल की बात यहाँ,
तेरे जैसे कौन निभाये अब साथ यहाँ।
हजारों ख्वाहिशें दबी हुई है इस दिल में,
तुम्हीं कहो कौन आके थामे हाथ यहाँ।
बड़ा ही मुश्किल है तन्हां जीवन जीना,
मेरे पास है बस तेरी इक सौगात यहाँ।
तुम कहाँ हो कैसे ढूंढे दिल तुमको अब,
कैसे करूँ तुम बिन नई शुरुआत यहाँ।
चलते चलते तन्हां इन राहों में खो गए तुम,
दिल में रह रह कर उठ रहे है जज्बात यहाँ।
तुम्हारी दी हुई प्रेम की सौगात रखी है पास,
उसी निशानी को देख गुजरती है रात यहाँ।
रश्मि शर्मा “इंदु”
जयपुर