जीवन में सफल मुकाम हासिल करने के लिए डिग्री ही नहीं अच्छे आचार विचार और संस्कार भी जरूरी- सुश्री उइके

रायपुर,

राज्यपाल एवं कुलाधिपति सुश्री अनुसुईया उइके आज संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षान्त समारोह में शामिल हुईं । सुश्री अनुसुईया उइके ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अध्ययन का काल वह महत्वपूर्ण समय है जब हमारे अंदर जीवन के सभी संस्कारों और क्षमताओं का निर्माण होता है। इस अवस्था में हमें जो ‘‘ज्ञान‘‘ मिलता है वह हमें सुसंस्कृत, सौम्य और संयमी बनाता है। जीवन के संकटों से लड़ने में हमारी मदद करता है। ज्ञान केवल उपाधियों तक सीमित नहीं होता है। ज्ञानार्जन आजीवन चलता रहता है। जिसने सीखना बंद कर दिया, वह अधूरा ही रह जाता है।
सुश्री उइके ने कहा कि विद्यार्थियों के परिश्रम और उनके पालकों के संस्कार का प्रतिफल है कि आज उन्हें यह सुखद अनुभूति हो रही है। डिग्री लेना अपने आप में जीवन की बड़ी उपलब्धि होती है लेकिन सफल मुकाम हासिल करने के लिए सही आचार विचार और संस्कार का होना बेहद जरूरी है। विद्यार्थीगण इनके अंगीकरण से समाज और देश के लिए मिषाल पेश करें। विद्या को केवल अपने तक सीमित न रखें बल्कि विद्या के द्वारा समाज निर्माण में योगदान देें।

उन्होंने कहा कि संत गहिरा गुरु ने जनजाति समाज के उत्थान के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। संत गहिरा गुरु के विचारों को आत्मसात करें और निरंतर आगे बढ़ें। इस विष्वविद्यालय को संत गहिरा गुरू के जनजातीय उत्थान के कार्य को और भी विस्तारित करना होगा। इस अंचल में जनजातियाँ बड़ी संख्या में निवास करती है। इन्हें षिक्षा सम्पन्न, स्वावलंबी और रोजगार युक्त करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अच्छी शिक्षा से ही इनका जीवन उन्नत होगा, पिछड़ापन मिटेगा।

छत्तीसगढ़ के संपूर्ण विकास के लिए विष्वविद्यालय को अपनी आकादमिक गतिविधियों से आगे बढकर सामाजिक सरोकारों और स्थानीय आवष्यकताओं से स्वयं को जोड़ते हुए नवाचार को बढावा दें और शिक्षा के माध्यम से अंचल को सुसंस्कृत, सुशिक्षित बनाएं। उन्होंन कहा कि हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने विकसित भारत का जो स्वप्न देखा था, वह अच्छी शिक्षा के द्वारा ही संभव होगा। उनके मार्ग पर चलें उनका अनुसरण करें और उनके सपनों को साकार करनें का प्रयास करें।

जनजातीय कार्य मंत्रालय के केन्द्रीय राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि षिक्षण संस्थाएं विद्यार्थियों के विकास में अमूल्य योगदान देती हैं। उपाधी धारकों को उन्होंने कहा कि यह आपके जीवन का स्वर्णिम कदम है ,इस षिक्षा और ज्ञान से आप विष्व को चमत्कृत कर सकते हैं। आजादी का यह अमृत वर्ष आपके जीवन का प्रारंभिक वर्ष होने जा रहा है। आपकी आज की षिक्षा ही यह तय करेगी कि 2047 में जब हम आजादी के सौ वर्ष पूरे करेंगे ,तब हम कहा होंगे। आपके आत्मनिर्भर होने से ही देष आत्मनिर्भर होगा। समस्त उपाधि प्राप्त कर्ताओं केा बधाई देते हुए उन्होंने कहा आप निरंतर अपने ज्ञान को बढ़ाएं और देष निर्माण में योगदान दें।

स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि महान संत और समाज सुधारक के नाम पर संत गहिरा गुरु के नाम पर विश्वविद्यालय नाम होना गर्व की बात है। यह समारोह प्रदेश के दूरस्थ आदिवासी अंचल में उच्च शिक्षा के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता और परिपूर्णता का प्रतीक है। उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि उन सभी छात्रों के जीवन का यह अविस्मरणीय अवसर है। यह विश्वविद्यालय संभाग के 5 जिलों के 75 महाविद्यालयों में सबसे बड़ा शिक्षा संस्थान है।

दीक्षांत समारोह के मुख्य वक्ता गिरीश पंकज ने कहा कि यह समारोह दीक्षा का अंत नहीं बल्कि शुरुआत है। दीक्षांत जीवन में आगे बढ़कर कैसे जीवन जीना है यह बताता है। हमें जीवन में अपने पारंपरिक मूल्यों से सदा जुडे़ रहना चाहिए। भारतीय संस्कृति जन्मभूमि को माता कहना सिखाती है। उन्होंने कहा कि स्वदेश से प्रेम करेंगे तभी हम आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि बड़प्पन ही हमे बड़ा बनाता है। युवा पीढ़ी को बडप्पन को आत्मसात करना चाहिए। सरगुजा विश्वविद्यालय से निकलने वाले विद्यार्थी सरगुजा के माटी को भी रोशन करेंगे।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक सिंह ने विद्यार्थियों से कहा कि षिक्षा वह माध्यम है जिससे जीवन हर मुकाम हासिल किया जा सकता हैं। मेरी यह इच्छा है कि जिस प्रकार छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है उसी प्रकार एक दिन यह ज्ञान का कटोरा भी कहलाए। उन्होेंने सभी छात्रों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी ।

राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अम्बिकापुर के ऑडिटोरियम भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों के 231 उपाधिधारकों को स्वर्ण पदक, 5 पीएचडी उपाधिधारकों और 2 मानद उपाधिधारकों को सम्मानित किया गया। समारोह का शुभारंभ शोभायात्रा, दीप प्रज्ज्वलन, कुलगीत गायन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ। छत्तीसगढ़ के ख्यातिप्राप्त भित्ति चित्र कलाकार स्व. श्रीमती सुन्दरी बाई व वृक्षमित्र स्व. ओपी अग्रवाल को मरणोपरांत मानदउपाधि प्रदान की गई। समारोह में राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके को कुलपति श्री अषोक सिंह ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सभी सदस्यों को भी स्मृति चिन्ह, शाल एवं श्री फल प्रदान किया गया।

इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव चिंतामणी महराज एवं पारसनाथ राजवाड़े, लुण्ड्रा विधायक डॉ प्रीतम राम, मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ विनय जायसवाल, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष शफी अहमद, आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं वनौषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, महापौर डॉ अजय तिर्की, पूर्व सांसद कमल भान सिंह,कमिश्नर जी.आर. चुरेन्द्र, कलेक्टर संजीव कुमार झा, पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले सहित अन्य जनप्रतिनिधि विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य, छात्र-छात्राएं एवं उनके अभिभावक उपस्थित थे।

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