जग का हर मानव राम बने , हर नारी बने सीता की तरह-तेजपाल सोनी

साहित्य,

“नारी”

गीतों को ढालूं गीता की तरह,
मेरा हर गीत बने गीता की तरह ।
जग का हर मानव राम बने ,
हर नारी बने सीता की तरह ।।

शक्ति स्वरूपा है नारी,
कहते वेद पुराण हैं ।
सागर सा हृदय विशाल ,
और त्याग तपस्या प्राण हैं ।।

नारी ही है माँ पत्नी ,
तो कहीं बहन और बेटी है ।
प्रेम भाव स्नेह प्यार ,
नारी की यही कसौटी है ।।

स्थान मिले जैसा उसको,
वैसा स्वरूप वो पाती है ।
ढल कर उसमें दायित्वों के संग,
अपना कर्तव्य निभाती है ।।

लोक लाज की मर्यादा का ,
हनन नहीं होने देती ।
सज़ल नेत्र हो करूणा से,
आये दुख को है हर लेती । ।

अबला उसे समझना मत,
नारी होती है सबला ।
इतिहास साक्षी है इसकी,
आंच आई यदि मर्यादा पर ।
राख कर दिया उसे जला। ।

पर आज नारी ही ने नारी को,
चारों तरफ कैसा उतारा है ।
नजरें उठा कर देख लो,
कैसा नजारा है ।।

इसके दोषी वो नहीं ,
हम भी हैं दोषी ।
मर्यादा हनन होते देख,
अपनाते हैं केवल खामोशी ।।

किसी कवि ने नारी के
गुणों को पहचाना ,
नजदीक से देखा तो यूँ जाना ।
उन्ही के शब्दों में वर्णित है ,
ये छोटा सा नज़राना ।।

नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास रजत नभ् पग तल में ।
पीयूष श्रोत सम बहा करो,
जीवन के सुन्दर समतल में ।।

-तेजपाल सोनी                                                                                                                        (रायपुर)

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