छत्तीसगढ़ सरकार का राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के हित बड़ा फैसला, भर्ती की आयु सीमा में 5 साल की छूट को 5 साल के लिए और बढ़ाया

पुलिस आरक्षक संवर्ग भर्ती के लिए पुरूष अभ्यथियों को उच्चतर आयु सीमा में मिलेगी 5 वर्ष की छूट

Vishnudev Sai
Vishnudev Sai : विष्णुदेव साय कौन है जाने पंच से लेकर मुख्यमंत्री का तक सफ़र

रायपुर ।। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज शाम यहां मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओें के हित में अहम फैसला लिया गया, जिसका लाभ राज्य के लाखों युवाओं को मिलेगा। छत्तीसगढ़ राज्य के स्थानीय निवासियों को अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष में दी गई 5 वर्ष की छूट को कैबिनेट में 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट का लाभ 31 दिसंबर 2028 तक प्राप्त होगा।

मंत्रिपरिषद ने बैठक में यह भी निर्णय लिया कि अन्य विशेष वर्गों को अधिकतम आयु सीमा में मिल रही छूट पहले जैसे ही मिलती रहेगी। सभी छूटों को मिलाकर अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष होगी। यह छूट गृह (पुलिस) विभाग के लिए लागू नही होगी परंतु वर्तमान में छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला पुलिस आरक्षक संवर्ग के लिए लंबे समय से चल रही भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिपरिषद ने यह भी फैसला लिया है कि पुलिस आरक्षक संवर्ग के पुरूष अभ्यर्थियों को उच्चतर आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट दी जाएगी।

 गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला पुलिस आरक्षक संवर्ग में भर्ती के लिए वर्ष 2018 में 2259 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके पश्चात लगभग 5 वर्ष के बाद 4 अक्टूबर 2023 को आरक्षक संवर्ग के 5967 रिक्त पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, जिसके लिए अभ्यर्थियों से ऑनलाईन आवेदन लेने की प्रक्रिया जारी है। कैबिनेट के इस निर्णय से आरक्षक संवर्ग के लिए जारी भर्ती प्रक्रिया में पुरूष अभ्यर्थियों को उच्चतर आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट मिलेगी, जिसके चलते राज्य के लाखों युवा जो पूर्व निर्धारित आयु सीमा के चलते आवेदन करने से अपात्र हुए हैं, उन्हें इस छूट के चलते पुलिस आरक्षक संवर्ग की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।

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मंत्रिपरिषद की बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया। जिसके तहत विशुद्ध रूप से राजनीतिक आंदोलनों से संबंधित प्रकरणों की न्यायालयों से वापसी के लिए मंत्रिपरिषद की एक उपसमिति गठित की जाएगी, जो इन प्रकरणों पर विचार-विमर्श कर आगे की कार्यवाही के लिए अपनी अनुशंसा देगी।

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